RAIPUR. छत्तीसगढ़ में विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुके राजकीय पशु वन भैंसा की प्रजाति को बचाने के अभियान को अब गति मिली है। दरअसल, छत्तीसगढ़ का राजकीय पशु होने के बाद भी मादा वन भैंसा ना होने के चलते इनके प्रजाति खतरे में पड़ चुकी थी। छत्तीसगढ़ शासन की पहल के बाद असम से 5 मादा वन भैंसों को लाकर बारनवापारा में रखा गया है, जहां से इसे गरियाबंद के उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट के वन भैंसा प्रजनन केंद्र में लाकर रखा जाएगा।
ब्रीडिंग प्लान पर सीसीएमबी की मुहर
छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देश पर वन विभाग द्वारा तैयार किए गए ब्रीडिंग प्लान पर सीसीएमबी की मुहर लगते ही सभी मादाओं को उदंती सीता नदी अभ्यारण्य शिफ्ट कर दिया जाएगा। पीसीसीएफ सुधीर अग्रवाल की अगुवाई में अफसर उदंती सीतानदी टाइगर प्रोजेक्ट में मौजूद वन भैंसा प्रजनन केंद्र की कमियों को दूर करने में जुट गए हैं ताकि अभियान सफल हो सके।
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मूल नस्ल की सभी मादाएं खत्म
उदंती सीतानदी अभ्यारण्य में पाए जाने वाली मूल नस्ल की सभी मादाएं खत्म हो चुकी हैं। वहीं हरियाणा में क्लोन के माध्यम से भी एक मादा बन भैंसा तैयार किया जा चुका है जो नया रायपुर के जंगल सफारी में रखा गया है। उदन्ती में केवल 7 नर भैंसा ही मौजूद थीं, 2020 से सरकार ने राजकीय पशु के संवर्धन की योजना को हरी झंडी दे दी थी। तब से अमला इसी अभियान में जुटा है। छत्तीसगढ़ सरकार अब तक असम से 5 मादा और 1 नर लेकर आ चुकी है, जिसे भारत का सबसे बड़ा वन भैंसा विस्थापन माना गया है।