Janjgir-Champa: राहुल को फँसे हुए 89 घंटे बीते, फिर चट्टान ने रोकी राह

author-image
Yagyawalkya Mishra
एडिट
New Update
Janjgir-Champa: राहुल को फँसे हुए 89 घंटे बीते, फिर चट्टान ने रोकी राह

Janjgir-Champa।10 बरस के राहुल (Rahul sahu ) को बचाने की क़वायद को अब 89 घंटे का समय बीत चुका है। पिहरीद के जिस बोरवेल के गड्डे ( pihrid Janjgir Champa)में राहुल साठ फ़ीट अंदर फँसा है, उस तक सुरंग (tunnel) बनाकर पहुँचने की क़वायद फिर ठिठक गई है। कल जिस चट्टान को काट कर एनडीआरएफ (ndrf) की टीम आगे बढ़ी थी, उसे फिर एक चट्टान मिली है। इस चट्टान के ठीक पीछे राहुल है। राहुल और रेस्क्यू टीम के बीच क़रीब डेढ़ से दो फ़ीट का यह पत्थर (stone)है।इसे हटाने के बाद राहुल को निकाल लिया जाएगा।





कहाँ फँसा मसला

  राहुल साहू को बचाने के लिए जिस दो फ़ीट के चट्टान की बात हो रही है, उसे हटाना सामान्य रुप से कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन मसला यह है कि, राहुल ठीक उस चट्टान के पीछे है।मसला यह है कि चट्टान को हटाना तो है, पर इस सावधानी के साथ कि अंदर वाटर लेवल ना बढ़े, राहुल तक मौजूद ऑक्सीजन पाईप ना दबे और खुद राहुल को चोट ना पहुँचे। यही वजह है कि इन पत्थरों/चट्टानों को काटने के लिए मशीनों का उपयोग नहीं किया जा रहा है।राहुल तक जब क़रीब एक मीटर से भी कम की दूरी बची थी, तब से ही मशीनों का उपयोग कम से कम किया जा चुका है।





समय कितना लगेगा बता पाना मुश्किल

 एक फ़ीट के पत्थर को काटने या तोड़ने में दो से ढाई घंटे का समय लग रहा है।अभी क़रीब डेढ़ से दो फ़ीट का पत्थर/चट्टान फिर सामने है, और चुंकि अब सबसे नाज़ुक मसला है, इसलिए एक कुदाल का वार भी बेहद सम्हल के हो रहा है। कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने द सूत्र से कहा



कोई समय सीमा तय कर पाना मुश्किल है, सबसे नाज़ुक दौर है, कोई चूक स्वीकार नहीं है, इसलिए दुर्घटना से देर भली की नीति हम अपना रहे हैं







राहुल का दिव्यांग होना ही राहुल की सबसे बड़ी ताक़त बनी और प्रशासन के लिए चुनौती भी

  दस वर्षीय राहुल साहू दिव्यांग है, वह सुनने बोलने में अक्षम है।मानसिक रुप से भी वह उतना  सक्षम नहीं है।यह अवस्था ही इस विषम और विपरीत परिस्थितियों में भी राहुल को स्थित प्रज्ञ भाव में रखी हुई है, क्योंकि उसे अंतर समझ नहीं आ रहा है, और भयावह स्थिति के बीच भी उसका मस्तिष्क इसे सामान्य रुप में ले रहा है।

  लेकिन उसकी इस स्थिति का दूसरा पहलू भी है, राहुल सुन ना पाना उसका दिव्यांग होना बचाव अभियान में जुटे प्रशासन के लिए चुनौती है। राहुल को रस्सी के ज़रिए उपर ला पाने या इस तरह की कोई क़वायद इसलिए भी असफल हो गई क्योंकि वह उसे सुनने या समझने में असमर्थ है।


छत्तीसगढ़ Chhattisgarh Janjgir Champa जांजगीर चांपा Rahul sahu राहुल साहू pihrid पिहरीद rock 90 hours collector Jitendra shukla पत्थर सुरंग कलेक्टर जितेंद्र साहू