Raipur। शून्यकाल शुरु होते ही सदन में स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के पत्र और इस्तीफ़े का विषय विपक्ष ने गूंजा दिया। इस मसले पर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी बहस हुई।विपक्ष ने इस पर व्यवस्था की माँग रखी जिसे अध्यक्ष चरणदास महंत ने ख़ारिज कर दिया लेकिन विपक्ष अड़ा रहा। हंगामा होते देख विधानसभा की कार्यवाही पहले क़रीब दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई,और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
बृजमोहन,अजय,शिवरतन के तीखे तेवर
शून्यकाल शुरु होते ही विपक्ष की ओर से वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल,अजय चंद्राकर और शिवरतन शर्मा ने सिंहदेव के पत्र का विषय उठाया। विपक्ष के तेवर बेहद तल्ख़ थे। वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा − “मंत्री मुख्यमंत्री को पत्र लिखते रहते हैं, लेकिन जनहित के मुद्दों पर आरोप लगाकर साज़िश का आरोप लगाते हुए पद छोड़े तो मसला गंभीर है”
अजय चंद्राकर ने कहा − यह व्यवस्था का प्रश्न है, सदन के नेता यहाँ मौजूद है, मंत्री यहाँ नहीं है। सदन के नेता मुख्यमंत्री जी स्पष्ट करें कि मंत्री के आरोप सही हैं या ग़लत हैं। ग़लत हैं तो मंत्री का इस्तीफ़ा स्वीकार करने का एलान करें और यदि नहीं तो आरोपों पर स्थिति स्पष्ट करें”
विपक्ष ने माँग रखी कि, यह व्यवस्था का प्रश्न है, व्यवस्था आनी चाहिए।आसंदी से विधानसभा अध्यक्ष महंत ने कहा − “किसी मंत्री का पत्र लिखना संवैधानिक संकट नहीं है, यह व्यवस्था के प्रश्न के अंतर्गत नहीं आता”
सत्ता पक्ष ने पूछा पत्र सही या ग़लत आप कैसे तय कर रहे हैं
विपक्ष के हमले के बीच सत्ता पक्ष की ओर से अमरजीत भगत और शिव डहरिया ने मोर्चा सम्हाला और कहा − “पत्र सही है या ग़लत है, यह आप कैसे तय कर रहे हो.. यह विपक्ष का षड्यंत्र है, पत्र आया कैसे आप लोगों के पास”
सत्ता की ओर से आई टिप्पणी पर विपक्ष भड़क गया और फिर बृजमोहन ने कहा −“क्या छत्तीसगढ़ की सरकार बगैर संविधान बग़ैर नियम के चलेगी ? बृजमोहन ने मंत्री के शपथ के शब्दों को दोहराते हुए कहा
“यदि यह गोपनीय पत्र था तो मुख्यमंत्री के यहाँ से सार्वजनिक हुआ या मंत्री के यहाँ से ? यह शपथ का उल्लंघन है.. जब तक आवश्यक ना हो सार्वजनिक नहीं करुंगा, पर सार्वजनिक हुआ तो एक मिनट भी इस सरकार को रहने का अधिकार नहीं”
छजका के वरिष्ठ विधायक धर्मजीत सिंह ने चुटकी लेते हुए कहा −“छत्तीसगढ़ में हसदेव और सिंहदेव का अस्तित्व ख़तरे में है”
इस बहस के बीच नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा
“सबको सब पता है, यहाँ से दिल्ली तक सबको पता है, बस मुख्यमंत्री कहते हैं मुझे पता नहीं है, तो क्या इस सरकार को गूँगी बहरी सरकार कहें।”
विपक्ष इस मसले पर व्यवस्था के प्रश्न पर अड़ा रहा, प्रधानमंत्री आवास के लिए पैसा नहीं दिए जाने पर भी विपक्ष जवाब माँगता रहा,और फिर मसला इस कदर हंगामे में तब्दील हुआ कि,सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी गई।सदन की कार्यवाही दस मिनट के बाद जब शुरू हुई तो विपक्ष फिर इसी मसले पर व्यवस्था और सीएम बघेल से जवाब मांगने लगा, जिसके बाद सदन की कार्यवाही पूरे दिन के लिए स्थगित हाे गई।