Raipur। पंचायत विभाग में संविदा पर नियुक्त एपीओ को नियमों के तहत एक महीने की एडवांस तनखा देकर सेवामुक्त कर नियमित एपीओ नियुक्ति देने के आदेश के बाद, उन्हीं संविदा कर्मियों को उसी एपीओ पद पर बहाल करने का आदेश जारी तो हो गया लेकिन अब इस मसले पर विधिक सवाल ऐसा उलझा है कि, कैबिनेट की बैठक में भी इस पर राह नहीं सुझ रही है।ग़ौरतलब है कि, यह सभी आदेश मुख्यमंत्री बघेल के द्वारा या कि उनके अनुमोदन के बाद ही जारी किए गए हैं।
क्या है मसला
पंचायत विभाग में मनरेगा कर्मी हड़ताल पर थे, इस हड़ताल के बीच तत्कालीन मंत्री सिंहदेव ने चर्चा की पहल की, लेकिन यह आग्रह भी रखा कि, हड़ताल वापस ली जाए, चर्चा में समाधान निकलेगा। लेकिन हड़ताल समाप्त नहीं हुई। इस मामले में संविदा पर नियुक्त 21 एपीओ को एक महीने के एडवांस के साथ रवानगी दे दी गई और इनकी जगह पर नियमित APO नियुक्त कर दिए गए।यह सभी आदेश मुख्यमंत्री बघेल की अध्यक्षता वाली समन्वय समिति के अनुमोदन और उनके द्वारा जारी किए गए।जबकि यह सब हुआ तब पंचायत विभाग के मंत्री टी एस सिंहदेव थे। अचानक खुद मुख्यमंत्री बघेल ने उन सभी हटाए गए 21 APO को फिर से बहाल कर दिया जो कि संविदा में थे और हटाए गए थे।इन्हें बहाल तो किया गया लेकिन कई मसले इस फ़ैसले के आड़े आ गए, मसलन जब नियमित नियुक्ति हो चुकी तो संविदा को कैसे नियुक्त करें, क्योंकि जानकारों के अनुसार नियमों में ऐसा प्रावधान है। इस मसले को कैबिनेट की सुप्रीम शक्ति के सहारे सही करार देने की क़वायद कल दोपहर को विधानसभा स्थिति सीएम कक्ष में हुई जहां कैबिनेट बैठक रखी गई थी।
वरिष्ठ अधिकारी ने की आपत्ति और मसला चर्चा में सीमित रह गया
खबरें हैं कि, कैबिनेट की बैठक में जबकि यह विषय आया तो एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसे नियमों का हवाला देते हुए पुरज़ोर आपत्ति दर्ज कराई। वरिष्ठ अधिकारी की आपत्ति नियमानुसार और नियमों के हवाले से थी इसलिए इस पर कैबिनेट में निर्णय नहीं हुआ और मसला चर्चा पर सिमट गया।वहीं सूचना यह भी है कि यह मानस बन चुका है येन केन प्रकारेण संविदा नियुक्ति की पुनः बहाली को मंज़ूरी दे दी जाए।
मंत्री सिंहदेव के इस्तीफे पत्र में ज़िक्र था
मंत्री सिंहदेव ने पंचायत विभाग से इस्तीफ़े के कारणों को स्पष्ट करने वाला जो पत्र लिखा था, उसमें एक कारण हटाए गए संविदा कर्मियों की फिर से बहाली का भी था, जिसे लेकर मंत्री सिंहदेव ने लिखा था कि इन पदों पर नियमित नियुक्ति हो चुकी है,और इस फ़ैसले को लेकर भरोसे में नहीं लिया गया।