Raipur। राष्ट्रपति चुनाव में बतौर प्रत्याशी जिन तीन महिलाओं के नाम अंतिम निर्णय की सूची में शामिल होने की चर्चाएं थीं, उनमें छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसईया उइके का नाम भी चर्चाओं में था। लेकिन इस सर्वोच्च संवैधानिक प्रमुख पद के लिए श्रीमती द्रौपदी मौर्मू का नाम घोषित हुआ। इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने टिप्पणी की है, दिलचस्प यह है कि इस टिप्पणी पर बीजेपी ने मौन धारण किया है, मानों मौनस्य स्वीकृति लक्षणं हो। राज्यपाल और सरकार के बीच जो रिश्ते हैं वो कई बार तल्ख़ नुमाया होते रहे हैं। पर इस बार भले बीजेपी किसी नींद में ग़ाफ़िल है पर सीएम बघेल की टिप्पणी गहरे कूटनीतिक शैली का बोध दे रही है।
क्या कहा मुख्यमंत्री बघेल ने
सीएम बघेल जब कल देर शाम दिल्ली से लौटे तो एयरपोर्ट पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र निकलने पर कहा
“अनुसूईया उईके जी लगी हुई थीं, मगर उनको मौक़ा नहीं मिला.. क्योंकि उनकी पृष्ठभूमि कांग्रेस की थी, कांग्रेस से पहले विधायक थी इस कारण से उनको मौक़ा नहीं मिला”
कूटनीतिक टिप्पणी या तंज
छत्तीसगढ़ में राजभवन और सिविल लाइन के बंगला नंबर वन याने सीएम हाउस कार्यालय के बीच “गुडी-गुडी” रिश्ते नहीं रहे हैं। राजभवन ने कई मौक़ों पर साबित किया है कि, राज्यपाल रबड़ स्टैंप वाली किसी पुरातन छवि में सीमित नहीं हैं। सीएम बघेल की यह सीधी टिप्पणी कूटनीतिक मानी जा रही है,गोया कि,सीएम बघेल यह बता रहे हैं कि,आप के तीखे तेवर रहे हैं लेकिन आप की याेग्यता केवल इसलिए खारिज कर दी गई क्याेंकि,आप कभी कांग्रेसी थीं। हालांकि एक वर्ग यह भी मान रहा है कि, यह कूटनीतिक अंदाज में किया गया तंज है,जो तल्खियाें को बढ़ा सकता है।
राज्यपाल सुश्री अनुसूइया उइके को लेकर की गई यह टिप्पणी क्या रुख़ लेती है, यह मर्म को स्पर्श करती है या चुभती है, इसे लेकर समय का इंतज़ार करना होगा।