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RAIPUR. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण बहाली का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। आदिवासियों के 32 प्रतिशत आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर बीजेपी ने एकात्म परिसर से राजभवन तक पैदल मार्च किया। आरक्षण की मांग को लेकर बीजेपी का एक प्रतिनिधिमंडल पैदल मार्च कर राज्यपाल अनुसुईया उइके से मिला। इस दौरान राज्यपाल को ज्ञापन भी सौंपा गया।
BJP का एकात्म परिसर से राजभवन तक पैदल मार्च
वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अररुण साव ने कहा कि भूपेश सरकार की लापरवाही से आदिवासियों के आरक्षण में कटौती हुई है। इसका बीजेपी लगातार पूरी ताकत से विरोध कर रही है। कई बार विरोध-प्रदर्शन और चक्का जाम के बाद भी ये बहरी सरकार आदिवासी समाज की पीड़ा नहीं सुन रही है। बीजेपी इनकी आवाज बनकर इनका हक मिलने तक संघर्ष करती रहेगी। इसी कड़ी में 15 अक्टूबर (शनिवार) को बीजेपी के सभी विधायक, सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व सांसद, बीजेपी के वरिष्ठ आदिवासी नेतागण पैदल मार्च करते हुए मुख्य मार्ग से राजभवन निकले। राजभवन पहुंचकर राज्यपाल को इस आशय का ज्ञापन सौंपा।
ये है पूरा मामला
बता दें कि बिलासपुर हाईकोर्ट ने आदिवासियों के आरक्षण को घटा दिया है। पहले राज्य में 32 प्रतिशत आरक्षण था, जिसे 20 प्रतिशत कर दिया गया है। इसलिए आदिवासी समाज नाराज है और बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि प्रदेश ऐसा राज्य बन गया, जहां किसी समुदाय से उनका आरक्षण छीना गया हो। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरक्षण पर कहा है कि आदिवासियों को उनका अधिकार मिलकर रहेगा। हमारी सरकार हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने सुप्रीम कोर्ट गई है। हालांकि इस बीच सियासत तेज हो गई है।