Raipur। अविश्वास प्रस्ताव के लिए सदन के पटल पर रखे आरोप पत्र और उस पर बीजेपी के विधायकों द्वारा सदन में कही गई बातों को बीजेपी पुस्तिका के रुप में बीजेपी, प्रदेश की बूथ कमेटियों तक पहुँचाने वाली है। खबरें हैं कि, क़रीब दो लाख ऐसी किताबें छापी जाएँगी। बीजेपी की इस पुस्तिका में अविश्वास प्रस्ताव में शामिल बीजेपी के हर विधायक के व्यक्तव्य को जगह मिलनी है।लेकिन जिन पर फ़ोकस रहेगा उनमें बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा, अजय चंद्राकर,नारायण चंदेल और सौरभ सिंह का नाम प्रमुख है।नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक तो ख़ैर रहेंगे ही। इस किताब को लेकर जो खबरें हैं उसके अनुसार छजकां के विधायक धर्मजीत सिंह का व्यक्तव्य भी इसमें शामिल रहेगा। हालाँकि इसे लेकर कि धर्मजीत सिंह का व्यक्तव्य भी शामिल किया जाए या नहीं इस पर बीजेपी में अभी उच्च स्तर पर मंथन और निष्कर्ष होने की चर्चा है।
किताब क्यों
बीजेपी को विधानसभा के बाद सूबे में कहीं जीत हासिल नहीं हुई, लोकसभा के नतीजे जरुर मीठी सेंवई रही लेकिन उसका श्रेय मोदी के खाते दर्ज हो गया। क़रीब ढाई साल कोरोना में प्रभावित रहा। बीजेपी के रणनीतिकार हर सूरत क़वायद कर रहे हैं कि बीजेपी पूरी ताक़त से मैदान में उतरे। जनता की लड़ाई सदन से सड़क तक की अवधारणा को स्थापित करने के लिए यह किताब अहम साबित होगी, जहां बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं को यह मुकम्मल समझाया जा सकेगा कि, सदन के भीतर आख़िरकार बीजेपी कैसे सत्ता को घेरने की क़वायद करती है।
बृजमोहन, अजय चंद्राकर,सौरभ सिंह,शिवरतन, नारायण के व्यक्तव्य क्यों
सीएम बघेल बहुत सधे तरीक़े से सियासी गोटियाँ बिछाते हैं, उनकी छवि बेहद आक्रामक और भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बनाई और प्रचारित होती है।सीएम बघेल की आक्रामक छवि पर अविश्वास प्रस्ताव में जमकर हमले किए गए। इनमें जिनके व्यक्तव्यों ने बेहद तीखे हमले किए उनमें बृजमोहन, अजय चंद्राकर,सौरभ सिंह, नारायण चंदेल, शिवरतन के नाम हैं।
क्या कहा था सदन में विपक्ष के इन दिग्गजों ने
दस घंटे से उपर चले अविश्वास प्रस्ताव पर बहस में इन दिग्गजों ने जो बातें कहीं उनका विस्तार तो उस किताब में ही मिलेगा लेकिन कुछ अंश इस तरह हैं -
1- बृजमोहन अग्रवाल-“मंत्रियों के उपर चीफ़ सेक्रेटरी की कमेटी बनी है।मंत्री निर्णय नहीं लेंगे उनके निर्णयों की समीक्षा चीफ़ सेक्रेटरी करेंगे यह कौन सी सरकार है ? कहाँ की सरकार है ? यह कौन सा नियम क़ानून है ? वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने हाउस शब्द का 11 बार ज़िक्र किया और कहा - कौन सा हाउस है कहाँ का हाउस है, यह लोकतंत्र हैं,लोकतंत्र में मंत्रिमंडल है,लोकतंत्र में शासन प्रशासन है।लोकतंत्र में हाउस का उल्लेख नहीं है। विधानसभा का उल्लेख है।यह कौन सा हाउस है ? बहुप्रचारित गोधन न्याय योजना में सरकारी दावों पर उन्होंने कहा − 3,37,507 लोगों को 148 करोड़ रुपये दिए गए हैं।याने दो साल में प्रति व्यक्ति 4276 रुपये, महीने का 200-250 रुपए। दो सौ रुपए तो एक दिन की मज़दूरी हो जाती है।
2 शिवरतन शर्मा ने इस तुकबंदी से बात की शुरूआत की -“ बह गे नरुआ,खुला गरुआ,पट गे घुरवा, नहीं हे बाड़ी,अउ एखर नाम पर कतेक भ्रष्टाचार करबे संगवारी” MLA शिवरतन ने कहा −“भ्रष्टाचार और कांग्रेस एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं, जहां कांग्रेस रहेगी वहाँ भ्रष्टाचार रहेगा।कोयले की गाड़ी आती है तो 25+2=27 रुपये प्रति टन कोयले का देना पड़ेगा।तब तो कोयले की गाड़ी बाहर निकलेगी।यह सरकार कोयले के नाम पर प्रति गाड़ी में सीधा सीधा 540 रुपये की वसुली कर रही है।”
3 सौरभ सिंह - अलकतरा के इस युवा विधायक की बारी आख़िरी क्रम में आई थी। विधायक सौरभ सिंह ने कहा
“छत्तीसगढ़ में इस सरकार के बनने के बाद कोल माफिया, सप्लाई माफिया,शैंड माफिया,गिट्टी माफिया,सीमेंट माफिया, रेडी टू ईट माफिया,कैश माफिया का साम्राज्य फैल गया है। यह जो संचालनकर्ता लोग हैं,उन लोगों के यहाँ इंकमटैक्स के छापे पड़ रहे हैं और इंकम टैक्स के छापों की जाँच मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच रही है।एनजीटी ने बोला है एश डंपिंग का काम कैसे हो रहा है,मैं आपको कोरबा ज़िले के एक उदाहरण दे रहा हूँ। एनजीटी ने डायरेक्टिव दिया है कि, कोरबा ज़िले का काम हो रहा है और वह एश डंपिंग का काम और एश का काम कौन कर रहा है ?”
सौरभ ने सदन में कहा − “जब डीएमएफ की ख़रीदी होती है चाहे कोई भी व्यक्ति वहाँ पर जाकर बोलता है तो वहाँ पर कलेक्टर बैठे हुए हैं। पहले 23 परसेंट से चालू हुआ वह 30-40 तक पहुँच गया, और एक नया बहाना उन्होंने खोजा है, वह बहाना है कि सत्यता ?हाउस से खबर आई थी। ना हाउस को कोई पूछने जा रहा है, न हाउस को कोई देखने जा रहा है और न ही कोई बताने जा रहा है।यह क्या हो रहा है ? इस ढंग से सिस्टम चल रहा है।अगर हाउस की संलिप्तता नहीं है, अगर हाउस से कोई खबर नहीं है तो स्पष्ट बोलें कि कोई खबर नहीं जा रही है।”
क़रीब आठ से दस मिनट के मिले समय में सौरभ सिंह ने कहा -
“कोयला काला सोना है,उसकी आँच इंकमटैक्स में आ रही है।उन्हीं कोलवाशरी में कोयला खप रहा है जिन वाशरियों की ख़रीद की जा रही है। साढ़े तीन साल बाद छापा मारने पाँच टीम गई, साढ़े तीन साल से छापा क्यों नहीं मारा गया ? हसदेव अरण्य के कोल ब्लॉक में जो आदमी काम कर रहे है, एमडीओ का। मैं नाम लूँ और अगर आप बोलें तो नाम ले लेता हूँ कोई दिक़्क़त की बात नहीं है। वहीं छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के गारेपलमा के कोलब्लॉक का भी एमडीओ का काम कर रहे हैं और उसके कोल ट्रांसपोर्टिंग का काम कौन कर रहा है, मैं कंपनी का नाम लूँ। जो 108 चला रहे हैं वहीं ट्रांसपोर्टिंग का काम कर रहे हैं और कंपनी वही है तो यह डबल मापदंड क्यों ? यह डबल मापदंड नहीं होना चाहिए। विरोध करना है तो पूरा विरोध करिये।छत्तीसगढ़ सरकार ने 2 प्लांट बिजली के बंद किए।लेकिन उसका जो स्क्रैप बेचा गया, उसकी निविदा कैसे हुई थी, किस आदमी को स्क्रैप मिला, किस ढंग से स्क्रैप मिला और किस ढंग से स्क्रैप बेचा गया। इस ढंग की व्यवस्था यहाँ पर चल रही है।”
4अजय चंद्राकार ने चिटफंड कंपनियाें पर कार्यवाही के सरकारी दावाें को प्रश्नांकित किया,हालांकि उन्होने बहुतेरे विषयाें पर बात कही थी,जिसका विस्तार उस किताब में मिलेगा। चिटफंड और आदिवासियाें पर मामलाें को लेकर अजय चंद्राकर ने कहा −चिटफ़ंड कंपनियों के मसले पर -375 लोगों के उपर प्रकरण दर्ज हैं, एक के उपर से केस वापस नहीं हुआ।56 कंपनियों के जो 79 मालिकों के खिलाफ प्रकरण दर्ज है,कितना पैसा मिला ?कितने को किस प्रतिशत से वितरित किया गया वो सार्वजनिक नहीं हुआ।आदिवासियों की रिहाई के लिए जो कमेटी बनी है, अनलॉफूल एक्ट अभी भी आदिवासियों के उपर बस्तर में सरगुजा में लगाये जा रहे हैं।
धर्मजीत पर संशय
छजकां विधायक धर्मजीत सिंह ने राज्य में इंकमटैक्स छापे के दाैरान चर्चा में आए एक वीडियाे का जिक्र किया और बेहद सधे तरीके से सवाल किया कि, कौन है जो किसी को एकनाथ शिंदे बनाना चाहता है,इस मामले में एसआईटी का गठन होना चाहिए।
चुंकि धर्मजीत सिंह इस वक्त बीजेपी में नहीं है,हालांकि वे खूले तौर पर बीजेपी के साथ दिखते हैं, उनके बीजेपी में जल्द शामिल होने की खबरें भी तैरती हैं।इसलिए इस किताब में धर्मजीत सिंह का व्यक्तव्य शामिल होगा या नहीं, इस पर निर्णय बैठक के बाद होगा।