याज्ञवल्क्य मिश्रा, Dantewada. छत्तीसगढ़ के अनेक भागों में आज भी बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी है। सरकार भले ही लाख दावा करे लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। हालत यह है कि नागरिकों को आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाई जिसका कीमत आदमी जान देकर चुका रहा है। कुछ ऐसा ही मामला दंतेवाड़ा जिले में आया है जहां एक व्यक्ति की समय पर इलाज न मिलने के कारण मौत हो गई। इसकी मुख्य वजह सड़क का खराब होना। बाद में शव वाहन ने शव ले जाने से इंकार कर दिया। जानकारी के अनुसार दंतेवाड़ा के 52 वर्षीय ग्रामीण बंडी को उपचार के लिए जगदलपुर ले जाया जा रहा था लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो गई। दंतेवाड़ा से उसकी बॉडी को शव वाहन में रख नीलावाया लाया जा रहा था लेकिन सड़क खराब होने की वजह से समेली-अरनपुर मार्ग पर ही बॉडी समेत परिजनों को उतार दिया गया जहां बॉडी और परिजनों को उतारा गया वहां से 7 किमी दूर नीलावाया तक शव को परिजनों ने खाट पर रखकर पहुंचाया। इस दौरान खराब रास्ते और बरसाती नाले को पार करने की चुनौती भी थी।
पिछले 5 साल से सड़क अधूरी
बता दें कि नीलावाया वही गांव है जहां की सड़क पिछले 5 साल से अधूरी पड़ी है। इसी सड़क पर दूरदर्शन के कैमरामैन के साथ जवान शहीद हुए थे। तब से अभी तक यह सड़क उसी हालत में है। जहां एक तरफ पुलिस नक्सलियों के बैकफुट में होने का दावा कर रही है वहीं यह अधूरी सड़क और टूटी पुलिया अभी भी नक्सलियों की मौजूदगी का एहसास दिलाती है। इन दोनों के बीच भोले-भाले आदिवासी ग्रामीण पिस रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि यह सड़क बनने से पहले ही ठीक थी कम से कम गांव तक गाड़ियां तो पहुंचती थीं लेकिन जब से यह सड़क बनाना शुरू हुई है तब से गांव तक पहुंचने के लिए पैदल ही चलना पड़ता है। सड़क पर गिट्टी बिछाकर छोड़ दिया गया है जिससे नंगे पांव चलने में काफी परेशानी होती है और तो और सड़क बनने की वजह से माओवादियों ने यहां पहुंचने वाले गोला नाला के पुल को भी तोड़ दिया है जिसकी वजह से बारिश के दिनों में जान को जोखिम में डालकर नाला पार करना पड़ता है। यह सड़क पीएमजीएसवाई बनवा रही है जिसकी लागत 3 करोड़ 76 लाख रुपए है।