'राजा' के गढ़ में 'महाराजा' की सेंध: सालों पुरानी कहावत को बदलकर सिंधिया ने की चौपेट पार

author-image
एडिट
New Update
'राजा' के गढ़ में 'महाराजा' की सेंध: सालों पुरानी कहावत को बदलकर सिंधिया ने की चौपेट पार

भोपाल.राघौगढ़ (Raghogarh) में एक नदी है चौपेट नदी (Chaupet River)। और इसे लेकर कहावत है कि चौपेट के इस पार राजा यानी दिग्विजय सिंह (Diggvijay Singh) और उसपार महाराजा यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया। बरसों से चली आ रही ये कहावत बदल गई है। अब चौपेट के इसपार भी ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने आमद दे दी है। राघौगढ़ से दो बार के विधायक रहे मूलसिंह दादा (Mool Singh Dada) के बेटे हीरेंद्र सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया है। हीरेंद्र सिंह (Hirendra Singh) के साथ कांग्रेस (Congress) के करीब 5 हजार कार्यकर्ता भी बीजेपी (BJP) में शामिल हुए।

चौपेट नदी के पार सिंधिया की आमद

जब सिंधिया और दिग्गी दोनों कांग्रेस में थे तब चौपेट नदी को ना तो दिग्विजय ने पार किया ना ही सिंधिया ने लेकिन जब सिंधिया बीजेपी में शामिल हुए तो जयवर्धन और लक्ष्मण सिंह ने चौपेट नदी को पार कर सिंधिया को चुनौती दी और अब इसे इसी का जवाब माना जा रहा है। सिंधिया ने दिग्विजय के परिवार पर हमला बोलते हुए कहा कि मूल सिंह दादा का इस्तेमाल केवल सीट खाली होने के समय किया जाता था। जब बेटे को टिकट देने की बारी आई तो दिग्विजय सिंह ने मूल सिंह के सामने हाथ जोड़ लिए।

राघौगढ़ में नए अध्याय की शुरुआत : सिंधिया

हीरेंद्र सिंह के बीजेपी में शामिल होने के बाद सिंधिया ने कहा कि राघौगढ़ में नए अध्याय की शुरूआत हुई है। सिंधिया ने राघौगढ़ में उस कार्यक्रम की याद ताजा की जिसमें वो दिग्विजय सिंह के बेटे और राघौगढ़ विधायक जयवर्धन सिंह के साथ हीरेंद्र सिंह के पिता की स्मृति में दौड़े थे। सिंधिया ने कहा कि अब दौड़ लगाने की बारी हीरेंद्र सिंह की है। सिंधिया ने कहा कि  कुछ लोग हैं, जिनका काम हर अवसर में चुनौती ढूंढना है। जबकि BJP का काम चुनौतियों में अवसर ढूंढना है। उनकी सोच और विचारधारा बिल्कुल स्पष्ट है। एक तरफ हम हैं, जिनका कहना है कि प्राण जाएं पर वचन न जाएं। वहीं एक पार्टी का कहना है कि वचन तो जाए पर प्राण न जाएं।

किले में सेंध, फतह करना आसान नहीं !

मूल सिंह दिग्विजय सिंह के बेहद करीबी रहे हैं और दिग्विजय सिंह खुद उन्होंने दादा कहकर संबोधित करते थे। मूलसिंह दो बार राघौगढ़ से विधायक रहे और ये सीट परंपरागत रूप से दिग्विजय सिंह की है। इसी सीट से 2003 के चुनाव में दिग्विजय सिंह ने शिवराज सिंह चौहान को हराया था। 2008 के चुनाव में मूलसिंह दादा को टिकट दिया गया था और वो यहां से जीते भी लेकिन 2013 के चुनाव में दिग्विजय सिंह ने जयवर्धन सिंह को मैदान में उतारा और अब जयवर्धन लगातार दो बार से राघौगढ़ के विधायक है। हीरेंद्र सिंह का बीजेपी में शामिल होने के बाद कहा जा रहा है कि बीजेपी ने राघौगढ़ किले में सेंध लगाई है लेकिन राघौगढ़ के किले को फतह करना इतना भी आसान नहीं है इसके लिए बीजेपी को एक तगड़ी रणनीति के साथ मैदान में उतरना पड़ेगा।

द-सूत्र ऐप डाउनलोड करें :

https://bit.ly/thesootrapp

द-सूत्र को फॉलो और लाइक करें:

">Facebook  |   Twitter |   Instagram  |  Youtube

Diggvijay Singh BJP Jyotiraditya Scindia CONGRESS Jaivardhan Singh Raghogarh Hirendra Singh Mool Singh Dada Chaupet River