RAIPUR. सीएम भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। भेंट-मुलाकात के लिए सीएम 18 अक्टूबर को सक्ती जिले के चंद्रपुर विधानसभा जाने से पहले मीडिया से रूबरू। सीएम भूपेश ने कहा कि वित्त मंत्री जी कह रही हैं कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है डॉलर मजबूत हुआ है। इस पंचवर्षीय में ये जनता के लिए ऐसी कोई योजना लेकर नहीं आए। पिछले पंचवर्षीय में ये नोटबंदी लाए, जीएसटी लाए। उसका खामियाजा पूरा देश भुगत रहा है।
'नोटबंदी -जीएसटी से बढ़ी महंगाई-बेरोजगारी'
सीएम भूपेश ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से लाई गई जीएसटी और नोटबंदी की वजह से देश में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी है। वहीं खंडा चावल के निर्यात पर हालिया लगाए गई रोक से किसानों को भी भारी नुकसान हो रहा है। जीएसटी की वजह से महंगाई बढ़ी और नोटबंदी की वजह से बेरोजगारी बढ़ गई। किसान अलग परेशान हैं, नौजवान अलग परेशान हैं। किसानों को दाम सही से नहीं मिल पा रहा है और नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही।
चावल का निर्यात बैन होने से छग के किसानों को नुकसान
उन्होंने कहा कि अभी रूस-यूक्रेन युद्ध से बनी परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने चावल के खंडा का निर्यात को बैन कर दिया है। इस बैन का नुकसान हमारे छत्तीसगढ़ के किसानों को हो रहा है। अभी बरसात में यहां की मंडियो में धान 1900 से 2400 रुपया प्रति क्विंटल की दर पर बिका। अब उसके भाव में 300 रुपए की गिरावट आ गई है।
आरक्षण देना न पड़े, इसलिए सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रही केंद सरकार
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बीजेपी पर आरक्षण खत्म करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को बेचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, भाजपा तो आरक्षण ही खत्म करना चाहती है। आरक्षण देना ना पड़े इसके लिए सभी सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रहे हैं। बालको बिका, भिलाई बिकने वाला है, नगरनार बिकने वाला है, रेल बिक रहा है, रेलवे स्टेशन बिकने वाला है, एयर इंडिया बेच दिए अब एयरपोर्ट बिकने वाला है। जब पद ही नहीं रहेंगे तो आरक्षण का लाभ कहां से मिलेगा। केंद्र सरकार ने भर्तियां भी बंद कर दी हैं। सार्वजनिक उपक्रमों में जहां नौकरी मिल रही थी उसे बेच रहे हैं। यह दोहरी मार है।
आरक्षण खत्म करना चाहती है बीजेपी- भूपेश
आरक्षण का लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ों और महिलाओं को न मिले इसके लिए वे सब खत्म कर रहे हैं। मुख्यमंत्री भूपेश ने कहा कि बीजेपी तो आरक्षण ही खत्म करना चाहती है। आरक्षण देना न पड़े इसके लिए सभी सार्वजनिक उपक्रमों को बेच रहे हैं। केंद्र सरकार ने भर्तियां भी बंद कर दी हैं।