Raipur.राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आग्रह किया है कि वे माता कौशल्या का मंदिर, गौ माता के लिए बने गौठान और स्वामी आत्मानंद स्कूलों को जाकर देखें। विदित हो कि सरसंघचालक मोहन भागवत सात दिवसीय प्रवास पर छत्तीसगढ़ आए हुए हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत संघ के राष्ट्रीय समन्वय बैठक में मार्गदर्शन देंगे।
छत्तीसगढ़ की संस्कृति को आत्मसात करें
तड़के जबकि मुख्यमंत्री बघेल कन्याकुमारी जा रहे थे तब उनसे पत्रकारों ने सरसंघचालक मोहन भागवत की राजधानी में उपस्थिति का ज़िक्र किया था। इस पर मुख्यमंत्री बघेल ने संघ प्रमुख भागवत के आगमन का स्वागत करते हुए कहा- “स्वागत करते हैं.. आएं, बढ़िया है..और मुझे पता चला है कि यहां के जो व्यंजन है छत्तीसगढ़ी.. चीला फरहा चौसेला..ये सब खा रहे हैं तो छत्तीसगढ़ की संस्कृति को आत्मसात् करें।
“ये प्रदेश भाईचारा शांति प्रेम का है, ये प्रदेश कबीर का है, गुरु घासीदास का है..माता कौशल्या का है.. मैं तो इनसे आग्रह करुंगा माता कौशल्या का मंदिर जीर्णोद्धार सौंदर्यीकरण हम लोगों ने किया है..उसे दर्शन करने जाएँ..गौ माता की बात करते हैं..हम गौठान बनाए हैं उसे देखने जाएं..स्वामी आत्मानंद अंग्रेज़ी स्कूल खोले हैं उसे भी वो वहाँ जाकर देखें।”
भूपेश की राजनीति
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनीति की हर कला में माहिर हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत को उन्होने राज्य सरकार की तीन याेजनाओं का देखने का आग्रह किया, वे तीनाें धर्म सेवा और शिक्षा से सीधे संबंध रखती याेजनाएं हैं। यह अलहदा है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत वहां जाएं या कि ना जाएं लेकिन इन तीन प्रकल्पाें का जिक्र कर सीएम बघेल ने यह संदेश पहुंचाने की कोशिश की है कि, राम से जुड़ा विषय हो, या गाय का या फिर शिक्षा का वे सारे काम भूपेश सरकार कर रही है,जबकि इन्हे लेकर संघ के राजनैतिक अनुषांगिक सगंठन बीजेपी का जोर रहता है। बगैर कहे सीएम बघेल ने यह भी कह दिया है कि,पंद्रह बरसाें के शासनकाल में बीजेपी ने माता कौशल्या के मंदिर की सुध नहीं ली, गाय के लिए गौठान की सोच तक नहीं रखी और शिक्षा पर स्वामी आत्मानंद जैसा नवाचार नहीं किया।
यहां याद रखना चाहिए कि, माता कौशल्या मंदिर श्री राम वनगमन पथ का हिस्सा है, गाय के लिए बने गौठान गौ मूत्र याेजना का परिचय देते हैं, और स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी स्कूल में संस्कृत अनिवार्य भाषा है जिसे लेकर सीएम बघेल ने कहा है कि, संस्कृत इसलिए अनिवार्य है ताकि हमारी संस्कृति इतिहास से बच्चे परिचित हों। यह बताने की जरूरत नहीं है कि,इन सब विषयाें पर संघ की कितनी रुचि और जोर रहता है।