Raipur। सेना के लिए चार वर्षीय समयावधि के लिए शुरु की गई अग्निपथ भर्ती योजना को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सवाल तो उठाया ही है, साथ ही साथ गंभीर संकेत दिए हैं। यह गंभीर संकेत उन्होंने सवालिया लहजे में दिए हैं।साथ ही मुख्यमंत्री बघेल ने यह कहा है कि क्या केंद्र सरकार के पास पैसे नहीं है, इसलिए यह फ़ैसला किया गया है ? सीएम बघेल ने सेना की चार वर्षीय भर्ती याेजना की जमकर आलोचना करते हुए आशंका जताई कि,सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त यह समूह बेरोजगार हुआ और अपराध समूह बना लिया तो क्या होगा, और इसी के साथ उन्होने सवालिया अंदाज में यह कह दिया कि, नक्सलियाें को प्रशिक्षण कौन देता है। सीएम बघेल के यह कहते ही सवाल उठ गए हैं कि, सेना भर्ती के मसले पर कहते कहते नक्सलियाें को ट्रेनिंग का मसला सवालिया अंदाज में ही सही, को जोड़ क्या सीएम बघेल ने कोई गंभीर संकेत दिए हैं।
नक्सलियों को ट्रेनिंग और सेना का मुद्दा
सेना के जवानों की भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का ज़िक्र करते हुए केंद्र सरकार की तीखी आलोचना करते हुए नक्सलियों को ट्रेनिंग कौन देता है का विषय सीएम बघेल ने ही सबसे पहले बीते 17 जून को सर्किट हाउस में उठाया था। सेना में चार वर्षीय भर्ती के मसले पर तब सीएम बघेल ने कहा था
“पूर्णकालिक भर्ती होनी चाहिए हमारी मांग है और राहुल जी ने आज भी ट्वीट किया है। पूर्णकालिक भर्ती करने में तकलीफ क्या है? आप बताना चाहते हैं क्या सेना में भर्ती करने के लायक भी आपके पास पैसा नही है? देश की सुरक्षा करने वाले जवानो की भर्ती करने के लायक भी आपके पास पैसा नही है? वो जज्बा लेकर देश की सीमाओं में जाता है कि मुझे देश की सुरक्षा करना है। उसके साथ, उसके भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ होना चाहिए। इसप्रकार से क्यों होना चाहिए? आप एक तरफ देश की संपत्ति बेच रहे हैं, जितनी भी संपत्ति है और दूसरी तरफ सेना में भर्ती करने के लिए भी आपके पास पैसा नही है। आपको श्वेत पत्र जारी करना चाहिए कि ऐसी स्थिति क्यों आई”
सीएम बघेल ने इसके आगे कहा था
“तो फिर तो वो गिरोह बनाकर अपराधी घटनाओ में भी शामिल हो सकते हैं। अभी आप देखेंगे, चाहे नक्सली प्रभावित हो या और क्षेत्रों में आखिर किन लोगों ने ट्रेनिंग दी? वो जो ट्रेनिंग हुआ है, नक्सलियों को ट्रेनिंग किसने दी? हजारो की संख्या में बिल्कुल नौजवान बच्चे हैं और वो बेरोजगार हो जाएंगे, उसके सामने क्या है? यदि वो गुमराह होंगे तो उस गांव के उस शहर की उस प्रदेश की स्थिति क्या होगी? एक maturity के बाद 20 साल बाद उसमे maturity आ जाती है, और उसके पास पर्याप्त साधन हो जाता है, बचे ज़िन्दगी वो गुजार सकते हैं, वो समझ आता है लेकिन, 25 साल के लड़के को, 20 साल के लड़के को इस प्रकार से करेंगे तो आप देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, देश की सीमाओं के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।”
सेना की नई भर्ती योजना की आलोचना और उस पर चिंता का मसला तो समझ आता है, लेकिन इस चिंता के साथ नक्सलियों को ट्रेनिंग कौन देता है की बात ने गहरे संकेत दे दिए। सीएम बघेल से उनके दिल्ली प्रवास की रवानगी के ठीक 19 जून को द सूत्र ने एयरपोर्ट पर यह सवाल किया
“आपने सेना भर्ती की इस नई योजना पर सवाल उठाए, तीखी आलोचना की और कहा नक्सलियों को ट्रेनिंग कौन देता है, सेना और नक्सलियों की ट्रेनिंग के बीच क्या संबंध है”
इस पर सीएम बघेल ने कहा
“जो चर्चाएं हुई और जो बातें निकल कर आई नक्सलियों को ट्रेनिंग देने वाले जो बहुत सारे लोग हैं कभी सुनने में आता है लिट्टी से मिलता है कभी कहते हैं भूतपूर्व सैनिक हैं इंजीनियर है”
सीएम बघेल ने आगे कहा
“यदि इस प्रकार की संख्या बढ़ेगी और नौजवान बेरोजगार है 10 12 लाख रुपए मिल भी जाए 4 साल बाद क्या करेगा एक शादी करेगा पार्टी देगा उसी में खत्म है 10 12 लाख होता क्या है उसके बाद अपना परिवार कैसे चलाएगा फिर सेना में जाने के बाद मानसिकता क्या होती है दो ही चीज बताई जाती है या तो तुम्हारा दुश्मन है या दोस्त है तीसरी चीज कुछ नहीं। उसमें सब से बातचीत चाहते हैं चाहते हैंपुलिसिंग में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति उसमें सब से बातचीत चाहते हैं हमारे एक-एक कॉन्स्टेबल को यह ट्रेनिंग दी जाती है कि कैसे संभालना है, सोशल पुलिसिंग वही है कि कैसे संभालना है बल प्रयोग तो आखिरी है वहां दुश्मन है मतलब सीधा गोली चलाओ, सीमा के उस पार दुश्मन दिखा माने सीधा गोली चलाना है, ट्रेनिंग में जमीन आसमान का अंतर है वैसे लोग आएंगे तो स्थिति क्या बनेगी। और फिर वह लड़के करेंगे क्या 10 परसेंट रख लेंगे 25 परसेंट रख लेंगे आखिर 65 परसेंट लोग कहां जाएंगे उनकी स्थिति क्या है गांव में शहर शहर में गली-गली में फैले रहेंगे, उनको बंदूक चलाना आता है उनको और बहुत सारे आर्म्स की ट्रेनिंग होगी, और यदि वो गलत हाथों में चला गया इतनी बड़ी संख्या में तो समाज की स्थिति क्या होगी इसके बारे में कोई कल्पना है। भारत सरकार को यह बताना चाहिए क्या उसके पास पैसा नहीं है, हम तो अब भी कह रहे हैं कुछ बिगड़ा नहीं है यह आदेश को वापस ले और सेना की जो पारंपरिक रूप से भर्ती होती थी, भर्ती करे। नौजवानों में आक्रोश खत्म हो उनका भी परिवार है उनका भी भविष्य है लेकिन एक जज्बा है देश सेवा का तो दोनों की पूर्ति होनी चाहिए देश सेवा भी होना चाहिए देश की सीमाओं की सुरक्षा भी होनी चाहिए और जो सैनिक है उनके परिवार का भविष्य भी सुरक्षित होना चाहिए”
माओवादियाें ने जारी की विज्ञप्ति
खबर के लिखते लिखते बस्तर से खबर आई है कि, माओवादियाें ने सेना भर्ती के चार वर्षीय कार्यक्रम का विरोध किया है। ऐसे वक्त जबकि बीते तीन दिनाें से सीएम बघेल इस मसले पर नक्सली कनेक्शन का जिक्र सवालिया अंदाज में ही सही पर कर चुके हैं, नक्सलियाें की इस विज्ञप्ति में जिसमें तारीख 18 जून दर्ज है,सेना भर्ती की इस याेजना की तीखी आलोचना की गई है। माओवादियाें की ओर से जारी यह विज्ञप्ति अग्रेजी में है और इसे माओवादियाें की केंद्रीय समिति के प्रवक्ता अभय की ओर से जारी किया गया है। इसमें अग्निपथ याेजना को अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक करार देते हुए आरोप लगाया गया है कि, यह सेना के नाजीवाद में बदलने और समाज को सैन्यीकरण की ओर ले जाने का छिपा एजेंडा है।