RAIPUR. सामाजिक आर्थिक बहिष्कार के मामलों में हाईकोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है। इस मामले में 6 जिलों के कलेक्टरों को नोटिस जारी कर गृह सचिव-एसपी समेत कई अफसरों से जवाब मांगा गया है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रायपुर,जांजगीर चांपा, कांकेर, बलोदा बाजार, रायगढ़, धमतरी कलेक्टर को नोटिस जारी किया है। साथ ही राज्य विधिक सेवा के सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और संबंधित जिलों के एसपी को भी नोटिस जारी कर कोर्ट ने 6 सप्ताह में जवाब देने के लिए कहा है।
याचिकाकर्ताओं ने पीटिशन में ये कहा
दरअसल, प्रदेश में कार्य कर रही संस्था गुरु घासीदास सेवादार समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि प्रदेश के विभिन्न थानों में सामाजिक प्रताड़ना और बहिष्कार के मामले दर्ज हो रहे हैं। लेकिन पुलिस और प्रशासन के साथ ही राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। छत्तीसगढ़ में सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध कानून नहीं है। इसका फायदा उठाया जा रहा है। यह कानून महाराष्ट्र में लागू है। अंतरजातीय विवाह, धार्मिक और व्यक्तिगत मामलों में भी सामाजिक बहिष्कार और प्रताड़ना के मामले अक्सर सामने आ रहे हैं । मृत्युभोज नहीं कराने पर भी समाज से अलग कर दिया जाता है। रोजी रोटी छीनने के साथ ही दंड भी दिया जा रहा लेकिन पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही है।
यह कानून आदिवासियों पर लागू नहीं करने की मांग उठी थी
गौरतलब है कि आदिवासी समाज के संगठनों से संयुक्त रूप से मांग की थी की कि सामाजिक बहिष्कार कानून लागू करने से पहले यह लिखा जाए कि यह आदिवासियों पर लागू नहीं होगा। कहा गया था कि अनुसूचित जनजाति के नारी बुमकाल, रूढ़ीगत ग्रामसभा को भारतीय संविधान में अनुच्छेद 13 (3) में मौलिक अधिकार माना गया है। संविधान के अनुच्छेद 13(4) के तहत अनुच्छेद 368 के अधीन किए गए संविधान के किसी भी संशोधन को इन क्षेत्रों में लागू नहीं किया जा सकता था।