BASTAR: मानसून की दस्तक के साथ ही बस्तर के ग्रामीण इलाकों में डायरिया का खतरा बढ़ने लगता है। ये वो इलाके हैं जहां अमूमन हर साल डायरिया के चलते कई लोगों को इलाज नहीं मिल पाता। जिसकी वजह से अधिकांश लोग मौत का शिकार भी हो जाते हैं। बस्तर के इन ग्रामीण इलाकों में लोग डायरिया जैसी गंभीर बीमारी के लिए थोड़े कम जागरुक हैं। जिस वजह से डायरिया का इलाज कराने सही समय पर अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र पर नहीं जाते। पीड़ित होने वालों में बच्चों की संख्या ज्यादा है। जिसे ध्यान में रखते हुए अब स्वास्थ्य विभाग 25 जून से 10 जुलाई तक डायरिया पखवाड़ा मना रहा है।
बढ़ रहा है डायरिया
बस्तर संभाग में चल रहे इस अभियान के तहत जिले और ब्लॉक स्तर पर टीम गठित की गई है। ये टीम घर - घर दौरा कर ORS के पैकेट बांट रही है। साथ ही आंगनबाड़ी से लेकर स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को ऐसे मरीजों पर नजर रखने के लिए कहा गया है जिन्हें डायरिया हो रहा है या लक्षण नजर आ रहे हैं।
इस मुस्तैदी के चलते संभाग के कई क्षेत्रों में कुछ मामले सामने आए भी हैं, लेकिन हालात काबू में हैं। स्वास्थ विभाग के मुताबिक गांव स्तर तक मॉनिटरिंग की जा रही है। जिससे किसी भी तरह की आपात स्थिति ना बन सके। इससे पहले तक बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा और बास्तानार और दरभा ब्लॉक में डायरिया के ज्यादा मामले सामने आते रहे हैं। यह वो इलाके हैं जहां आवाजाही आसान नहीं है। नक्सल और बाढ़ का असर भी यहां ज्यादा ही रहता है। यही वजह है कि इन इलाको में विशेष तौर पर स्वास्थ्य टीम को अलर्ट पर रखा गया है।
जागरूकता की कमी
पिछले कुछ सालों में डायरिया यहां 28 से ज्यादा मरीजों की जान ले चुका है। यही वजह है कि स्वास्थ अमला यहां हालात सुधारने की कोशिश में जुट गया है। जिसकी शुरूआत ग्रामीणों को सतर्क और जागरुक करने से हुई है।