Raipur। बीजेपी ने वर्मी कंपोस्ट लेने के लिए किसानों पर दबाव बनाने का सरकार पर आरोप लगाया है। वर्मी कंपाेस्ट से आशय है गोबर खाद। सबसे पहले भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने राज्य सरकार पर किसान पर दबाव बनाते हुए गोबर खाद लेने का आरोप लगाया और आरोप के समर्थन में राज्य सरकार और सहकारी केंद्रीय बैंक के पृथक पृथक पत्र जारी किए। इसके ठीक बाद बीजेपी का अनुषांगिक संगठन किसान मोर्चा इस मसले पर सामने आया और उसने जिला प्रशासन के माध्यम से विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन साैंपा है। बीजेपी इस दौरान यह आरोप भी लगा रही है कि, राज्य सरकार की नीति किसान विरोधी है, और किसानों की समस्याएं इस कदर गंभीर हो रही हैं कि, प्रदेश भर में किसान आत्महत्या कर रहे हैं। बीजेपी किसान मोर्चा ने दस दिनाें के भीतर वर्मी कंपोस्ट किसान द्वारा लिए ही जाने के आदेश को वापस लिए जाने की समय सीमा देते हुए चेतावनी दी है कि, आगामी 23 मई से समितियाें पर किसान मोर्चा प्रदर्शन करेगी।
क्या है मसला
मामला राज्य की भूपेश सरकार के गोबर खरीदी याेजना से जुड़ा हुआ है। राज्य सरकार ने गोबर खरीदी याेजना शुरू की, जिसके तहत राज्य में व्यापक गोबर खरीदी की गई है। बजट सत्र में राज्यपाल के अभिभाषण के जरिए सरकार ने 127 करोड़ रूपए का गोबर खरीदना उल्लेखित किया था। इसी अभिभाषण में यह उल्लेख मिलता है कि, सरकार ने 6 लाख मीट्रिक टन जैविक खाद तैयार किया है। सीएम बघेल की गोबर खरीदी याेजना गोधन न्याय याेजना है,जिसमें दो रूपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाती है। इस याेजना के पीछे उद्देश्य जैविक खेती को बढावा देना बताया जाता है। गौठानों से इस गोबर को खाद में बदला जाता है। इसके संचालन के लिए गोधन न्याय मिशन की स्थापना भी की गई है। इसे 20 जुलाई 2021 को शुरू किया गया है। बीते दिनाें यह दावा भी किया गया है कि, आने वाले समय में गोबर से बिजली भी बनाई जाएगी।
पर हालिया मसला उसी खाद पर जा टिका है जो गाेबर की खरीदी से बना है,गाय के गोबर से कंपोस्ट,वर्मी कंपोस्ट और सुपर कंपोस्ट खाद बनाई गई है, अब मसला है इसकी बिक्री का,तो बीजेपी का आरोप यह है कि, सरकार इस वर्मी कंपाेस्ट को किसान को प्रति एकड़ तीन बोरी वर्मी कंपाेस्ट लेने को बाध्य कर रही है। जबकि यह किसान की मर्जी होनी चाहिए कि, वह रासायनिक खाद ले या फिर वर्मी कंपाेस्ट ले।
जबरन खरीदे किसान इस आरोप का आधार क्या है
दरअसल किसान खरीफ और रबी की फसलाें के लिए अल्पकालिक ऋण लेता है, राज्य सरकार सहकारी बैंको के जरिए उसे ऋण की सुविधा देती है। इसके तहत किसान क्रेडिट कार्ड बनते हैं,जो पचास हजार से लगायत और अधिक राशि के होते हैं। सहकारी बैंक से मिले केसीसी कार्ड के जरिए किसान सहकारी साख समितियाें से बतौर ऋण खाद बीज लेता है,इसका ऋण का भुगतान वह धान खरीदी याेजना के तहत मिले पैसे से करता है,व्यवस्था इस तरह की है कि, यह सब ऑटो मोड से होता है,केसीसी के जरिए सब लिंक रहता है,और इसलिए ही कई बार लिंकेज खरीदी शब्द का उपयाेग होता है। खाद बीज जो वह लेता है वह वस्तु ऋण के रूप में दर्ज होता है। बीजेपी का आरोप यह है कि, राज्य सरकार ने सहकारी साख समितियाें को यह पत्र जारी किया है कि, किसानों को रासायनिक उर्वरक की तरह कंपोस्ट शून्य ब्याज पर प्रति क्विंटल प्रति एकड़ की दर से वस्तु ऋण के रूप में दिया जाए।बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने इस आरोप के समर्थन में गोबर न्याय मिशन के सचिव और प्रबंध संचालक भारती दासन का सभी कलेक्टर और सभी जिला पंचायत सीईओ को जारी पत्र के साथ साथ जिला सहकारी केंद्रीय बैंक रायपुर का पत्र भी जारी किया है जिसमें वर्मी कंपोस्ट वितरण कराना सुनिश्चित करें लिखा गया है।
मंत्री रविंद्र चाैबे का इंकार
बीजेपी ने इस मसले को लेकर आंदोलन की भुमिका तय कर ली है, बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर ने सरकारी पत्राें को आरोपोां के समर्थन में जारी किया है लेकिन राज्य सरकार में कृषि मंत्री रविंद्र चाैबे ने किसान पर दबाव बनाए जाने के आरोपों को खारिज किया है। मंत्री रविंद्र चाैबे ने द सूत्र से कहा कि, प्रयास है कि, किसान जैविक खेती की ओर अग्रसर हो ताकि रासायनिक उर्वरक के बेतहाशा उपयाेग से जो खेती की जमीन की उपज क्षमता पर दुष्प्रभाव हो वह कम हो। किसान पर कतई दबाव नही है। मंत्री रविद्र चाैबे ने कहा है कि, बीजेपी विधायक अजय चंद्राकर जी को प्रधानमंत्री को पत्र लिखना चाहिए कि, पाेटाश जो 1100 का है वह 1700 बिक रहा है,किसान के खेत में उपयोग होने वाली अनिवार्य चीजों के दाम में तेजी और उसकी उपलब्धतता में कमी क्याें किए है।