Pendra: छत्तीसगढ़ में वनों की कोई कमी नहीं है। यहां के जंगलों में आज भी कई किस्म के दुर्लभ पेड़ पौधे मौजूद हैं। सरगुजा से शुरू करें और बस्तर तगक जाएं जो जंगल ही जंगल मिलेंगे। इन जंगलों में कई ऐसे पेड़ लगे हैं जो औषधिय गुणों से भरपूर हैं। शोधकर्ताओं के लिए आज भी ये जंगल और पेड़ रहस्यों से भरपूर हैं। जंगल में जितना भीतर जाते हैं उतने नए किस्म के पेड़ मिलते चले जाते हैं। जिन पर शोध जारी है। ऐसा ही एक पेड़ है जिसके फल गुलाब जामुन के नाम मशहूर हैं। इस पेड़ के फलों का नाम इतना अजीबोगरीब कैसे पड़ा इसकी वजह भी दिलचस्प है।
नाम ही नहीं स्वाद में भी गुलाब जामुन
इस फल को गुलाब जामुन क्यों कहते हैं इसका राज खुशबू और स्वाद में छिपा है। ये पेड़ पेंड्रा के जंगलों में ज्यादा मिलता है। जिसका फल गुलाब जामुन सा आनंद देता है। हर साल लोग इस पेड़ के फलों का शिद्दत से इंतजार करते हैं। पेड़ पर फरवरी के महीने से फल लगना शुरू होते हैं जो अप्रैल से मई तक खाने लायक हो जाते हैं। फलों का दिखने में गुलाब जामुन से कोई लेना देना नहीं है। ये फल पके हुए अमरूद की तरह नजर आते हैं, हल्के हरे। कभी कभी थोड़ा पीलापन भी लिए होते हैं। पल की परत खाई जाती है। जिसके अंदर गोल बीज निकलता है। जो लोग इस फल को खा चुके हैं उनका दावा है कि फल का स्वाद और महक बिलकुल गुलाब जामुन की तरह ही होता है इसलिए इसे गुलाब जामुन फल ही कहते हैं।
गुठली भी है फायदेमंद
ये फल सेहत के लिए काफी फायदेमंद माने जाते हैं। फल की पहचान करने केलिए इन हरे फलों को अपने कान के पास लाकर हिलाएं। आपको बीज की आवाज साफ सुनाई देगी। फल को खाने के लिए अपने अंगूठे की ताकत से इसे दबाएं। फल की परत खुल जाएंगी। फिर आप इस फलनुमा गुलाब जामुन का जम कर मजा ले सकते हैं। वैसे तो जिन्हें जानकारी नहीं है वो इस फल के बीज फेंक देते हैं। पर, पर्यावरणविद और इस फल के जानकार बीजों को न फेंकने की सलाह देते हैं। क्योंकि, उसमें भी कई औषधीय गुण होते हैं। इन फलों के बीच से शरीर में नए सेल्स बनते हैं।
बीज का पाउडर बना कर खाने से शुगर की बीमारी में भी फायदा होता है। इस फल के बीजों का पाउडर शुगर पर कंट्रोल करता है।
पत्तों का चूर्ण
इस पेड़ पर लगने वाले पत्ते सुखा कर उसका पाउडर बनाया जाता है। शुगर पेशेंट्स को सुबह खाली पेट गुनगुने पानी से या दिन भर में कभी भी पत्तियों का चूर्ण पीने की सलाह दी जाती है। इससे भी काफी हद तक शुगर कंट्रोल में रहती है। बाजार में ये फल सौ से डेढ़ रूपये किलो तक बिकता है।