छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य पर सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान विद्युत निगम और केंद्र सरकार का वादा- अगली सुनवाई तक पेड़ नहीं कटेंगे

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Rahul Garhwal
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छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य पर सुप्रीम कोर्ट से राजस्थान विद्युत निगम और केंद्र सरकार का वादा- अगली सुनवाई तक पेड़ नहीं कटेंगे

याज्ञवलक्य मिश्रा, RAIPUR. हसदेव अरण्य में राजस्थान विद्युत निगम को आवंटित खदानों की वन अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और राजस्थान विद्युत निगम ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगली सुनवाई तक कोई पेड़ों की कटाई नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत ने इस कथन के बाद सुनवाई की तारीख आगे बढ़ाने का निवेदन स्वीकार कर लिया।



क्या है हसदेव अरण्य का मामला



हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ में सुदीप श्रीवास्तव की ओर से ये याचिका सुप्रीम कोर्ट में 2014 में दायर की गई थी। जिसकी कल सुनवाई हुई है। इस याचिका में हसदेव अरण्य में कोयला खनन के लिए वन अनुमति को चुनौती दी गई है। इस याचिका में आधार आईसीएफआरई की रिपोर्ट को बनाया गया है। बीते 13 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने सुनवाई करते हुए आईसीएफआरई द्वारा केंद्र सरकार को सौंपी रिपोर्ट अगली सुनवाई में पेश करने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत में ये रिपोर्ट पेश नहीं हुई। सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले में समय मांगा और आग्रह किया कि सुनवाई दीपावली अवकाश के बाद की जाए, संभव हो तो 13 नवंबर के बाद की जाए। सरकार की ओर से समय मांगे जाने पर याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और अधिवक्ता नेहा राठी ने कहा सुनवाई बढ़ाने में आपत्ति नहीं है लेकिन राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम और सरकार के द्वारा आगे कोई पेड़ों की कटाई नहीं होनी चाहिए।



जिस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट मांग रहा है उसमें क्या है ?



सुप्रीम कोर्ट ने आईसीएफआरई की रिपोर्ट तलब की है। ये रिपोर्ट दो खंडों में है। इसमें भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट और उसके बाद आईसीएफआरई की रिपोर्ट है। वन्य जीव संस्थान ने हसदेव अरण्य पर उत्खनन के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया था। भारतीय वन्य जीव संस्थान ने यह लिखा था कि यदि यहां उत्खनन हुआ तो पर्यावरण को अभूतपूर्व नुकसान होगा जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं होगी। भारतीय वन्यजीव संस्थान ने चेतावनी दी थी कि यदि यहां उत्खनन होगा तो हाथी मानव द्वंद्व और बढ़ेगा। आईसीएफआरई ने कथित तौर पर भारतीय वन्य जीव संस्थान की रिपोर्ट को बगैर कारण बताए खारिज कर दिया और चार खदानों को खोले जाने की वन अनुमति केंद्र सरकार को दे दी। सुप्रीम कोर्ट उसी पूरी रिपोर्ट को केंद्र सरकार से मांग रहा है।



कितनी तेज है न्याय की गति जरा देखिए



हाईकोर्ट छत्तीसगढ़ में अधिवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सुदीप श्रीवास्तव ने 2012 में NGT में वन अनुमति के खिलाफ अपील की। 2014 में सारी अनुमति NGT ने खारिज कर दी। इस आदेश के खिलाफ 2014 में RRVUNL (राजस्थान राज्य विद्युत निगम) ने सुप्रीम कोर्ट में अपील फाइल की। 2014 से 2018 तक इसमें कुछ भी नहीं हुआ। 2019 में तत्काल सुनवाई का आवेदन अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव की ओर से शीर्ष अदालत को दिया। 2022 आते-आते सर्वोच्च न्यायालय ने पूछा है कि वन अनुमति की रिपोर्ट कहां है।



हसदेव अरण्य में इस सुनवाई के पहले कटे पेड़



हसदेव अरण्य में इस स्तर पर सुनवाई के पहले पेड़ कट चुके हैं। परसा और परसा ईस्ट केते बासेन फेज-2 को अनुमति दी जा चुकी है।


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