Bilaspur। परसा कोल ब्लॉक को मंजुरी देने की प्रक्रिया को प्रश्नांकित करते हुए दायर अलग अलग पाँच याचिकाओं की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सख़्त तेवर अपनाए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान आधी रात को पेड़ कटाई की सूचना पर बेहद सख़्त तेवर अपनाए हैं। परसा कोल ब्लॉक और केते एक्सटेंशन को मिला कर जो अड़ानी कंपनी के द्वारा जो उत्खनन होना है उसे मध्य भारत का सबसे बेहतरीन जंगल समाप्त हो जाएगा।परसा के ग्रामीण इस इलाक़े में उत्खनन ना होने देने की माँग लिए लगातार आंदोलित रहे हैं।परसा के ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि उत्खनन कराने पर आमादा सरकार ने फ़र्ज़ी ग्रामसभा को आयोजित किया और इस मामले में प्रमाणित शिकायत करने के बावजूद कोई जाँच नहीं की गई, इसके साथ ही इस इलाक़े में सारे नियमों को धता बताकर कोल बेरिंग एक्ट के तहत उत्खनन की अनुमति दे दी गई, जबकि कोल बेरिंग एक्ट यहाँ प्रभावी नहीं हो सकता था।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव श्रीवास्तव, अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव के साथ सौरभ साहू, रजनी सोरेन,सौम्या शर्मा, शैलेंद्र शुक्ला और एचएस अहलूवालिया हाईकोर्ट में उपस्थित थे। हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया
वैसे तो याचिकाओं में कोल बेयरिंग एक्ट को चुनौती दी गई है, लेकिन उस एक्ट को संवैधानिक मानकर भी यदि चला जाए तो अधग्रहित की गई ज़मीन किसी निजी कंपनी को खनन के लिये नहीं दी जा सकती। इस मामले में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के नाम पर भूमि अधिग्रहण कर अड़ानी की स्वामित्व वाली कंपनी को ज़मीन सौंपी गई है।यह स्वयं कोल बेयरिंग एक्ट के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए कोल ब्लॉक पर फ़ैसले के खिलाफ है।इसलिए परसा कोल ब्लॉक से संबंधित कोई भी काम आगे नहीं बढ़ाया जा सकता,इस वजह से पेड़ों की कटाई पर भी तुरंत रोक लगनी चाहिये।
इस तर्क पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम और राजस्थान कॉलरी ( अड़ानी )की ओर से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता निर्मल शुक्ला ने कहा
“पेड़ों की कटाई कंपनी ने नहीं वन विभाग ने की है,और खदान को सभी तरह की वन पर्यावरण अनुमति प्राप्त है”
जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस एम के चंद्रवंशी की पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा
“यदि भूमि अधिग्रहण निजी कंपनी के हाथ जाने के कारण अवैध स्थापित होता है तो इन कटे हुए पेड़ों को क्या पुनर्जीवित किया जा सकता है”
जस्टिस भादुड़ी और जस्टिस चंद्रवंशी की डबल बेंच ने कहा
“अधिग्रहण को चुनौती गंभीर विषय है और इसके समाप्त होने पर वन्य तथा पर्यावरण अनुमतियाँ अपने आप प्रभावहीन हो जाएँगी”
हाईकोर्ट ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कटे हुए पेड़ों के मसले पर राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है। वहीं ये सभी याचिकाएं जिन पर उत्खनन में स्थगन माँगा गया है,उस पर सुनवाई 4 मई तय की गई है।इस मामले में याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने द सूत्र से कहा
“इन्होंने अधिग्रहण के लिए कोल बेयरिंग एक्ट का प्रयोग किया है,जबकि वन अधिकार अधिनियम,भूमि अधिग्रहण के नए क़ानून और पेसा अधिनियम के प्रभावी होने पर पूरी स्थिति बदल जाती है, जहां तक कोल बेयरिंग एक्ट का मसला है तो उसका पालन भी परसा कोल ब्लॉक मामले में नहीं हुआ है”