Raipur। छत्तीसगढ़ की सियासत में मसला बने नान घोटाले में ईडी की दाे याचिकओं पर सुनवाई सोमवार को होगी। इनमें पहली याचिका नान घोटाले में आरोपी बनाए गए अनिल टूटेजा और आलोक शुक्ला को हाईकोर्ट से मिली अग्रिम ज़मानत को ख़ारिज करने के लिए लगाई गई है।जबकि दूसरी याचिका नाम केस के ट्रायल को ट्रांसफर करने को लेकर है। अनिल टूटेजा और आलोक शुक्ला छत्तीसगढ़ में बेहद प्रभावशाली अफ़सर माने जाते हैं, जबकि नान घोटाला हुआ तब अनिल टूटेजा और आलोक शुक्ला उसके शीर्ष पदाधिकारी थे, दोनों ही अधिकारी भूपेश सरकार में और ज़्यादा प्रभावशाली हैं और इसीलिए इस सुनवाई पर सबकी नज़रें टिकी हुई हैं। आलोक शुक्ला रिटायर हो चुके हैं, लेकिन संविदा में शिक्षा समेत महत्वपूर्ण विभागाें के प्रमुख सचिव का पद सम्हाल रहे हैं, जबकि अनिल टूटेजा उद्योग विभाग का दायित्व सम्हाल रहे हैं।
क्या है मसला
नागरिक आपूर्ति निगम राज्य के नागरिकों को राशन वितरण का काम करती है।12 फ़रवरी 2015 ACB/EOW ने क़रीब दो दर्जन से अधिक ठिकानों पर एक साथ छापा मारा और करोड़ों रुपये बरामद किए थे। छापे को लेकर ब्यौरे में यह बताया गया कि राइस मिलों से घटिया चावल (अमानक) लिया गया और इसके एवज़ में करोड़ों रुपये की आमद हुई।कथित रुप से गड़बड़ी परिवहन में और नमक में भी हुई।इस छापे में कई अभिलेख भी जप्त किए गए जिसमें डायरी को लेकर खूब चर्चा रही और उस डायरी के कथित पन्ने में लिखे कूट नाम ( सांकेतिक नाम ) आज भी राजनीति में आरोप के रुप में खूब उछाले जाते हैं। इस मामले में EOW/ACB ने 27 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया। जबकि यह छापा पड़ा तब आलोक शुक्ला नान के चेयरमेन और अनिल टूटेजा मैनेजिग डायरेक्टर थे।इस घोटाले में EOW/ACB ने इन्हें बाद में आरोपी बनाया। इस वक्त ये मामला रायपुर कोर्ट में चल रहा है, और हालिया दिनों इसकी सुनवाई में बेहद तेज़ी आई है।
डायरी का क़िस्सा क्या है
इस छापे के दौरान एक डायरी के कुछ पन्ने तब वायरल हुए जिसे लेकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल ने खूब सवाल किए और डायरी के पन्नों में दर्ज कूट नामों को लेकर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और उनके परिवार पर जमकर निशाना साधा। तब भूपेश बघेल ने ट्विट में लिखा था
“नान डायरी में सीएम मैडम का नाम है, और डॉ साब का भी। हमने EOW में मामला दर्ज करने अर्ज़ी लगाई है, क़ानून अपना काम करेगा ?”
इसके पहले एक अन्य ट्विट में भूपेश बघेल ने लिखा था
“डॉ रमन सिंह भ्रष्ट लोगों को बचाने में लगे हैं, नान घोटाला 36 हज़ार करोड़ का है। इसमें मुख्यमंत्री के रिश्तेदार, मंत्री और अधिकारी शामिल हैं।”
इसी कथित डायरी और उसके पन्नों को लेकर कांग्रेस आज भी बीजेपी पर हमला करती है। सीएम बघेल हों या कि कांग्रेस संगठन वह इस मसले पर लगातार आक्रामक रहता है।
ED कैसे इस मसले पर आई
नान घोटाला जो कथित रुप से 36 हज़ार करोड़ का है, उसमें ईडी का प्रवेश हुआ जबकि ईडी ने 2019 में मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज किया।भूपेश सरकार के कार्यकाल के दूसरे ही साल आयकर ने 27 फ़रवरी 2020 को छापा मारा।इन छापों में आयकर विभाग को कथित रुप से करोड़ों के मनी लॉंड्रिंग के साक्ष्य मिले। कई डिजीटल अभिलेख भी इस दौरान जप्त हुए।आयकर विभाग की टीम ने इसे ईडी को सौंप दिया और ईडी ने इस पर कार्यवाही शुरू की। आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा को लेकर यह चर्चा रही कि, उन्हें ईडी ने बयान पूछताछ के लिए तलब किया था।लेकिन इसी के साथ इन दोनों को ही हाईकोर्ट बिलासपुर से अग्रिम ज़मानत मिल गई। ईडी की सुप्रीम कोर्ट में याचिका इस अग्रिम ज़मानत को निरस्त कराने को लेकर दायर है।ईडी ने एक अन्य याचिका में नान मामले की सुनवाई अन्यत्र करने और सीबीआई जांच की मांग की है।
ईडी की ओर से अभिलेखों की इसलिए है चर्चा
ईडी की ओर से इस मामले में दायर याचिका के साथ कथित रुप से डिजिटल साक्ष्यों से प्राप्त इनस्क्रिप्ट मैसेज भी प्रस्तुत किए गए हैं। यह डिजिटल साक्ष्य ईडी को आयकर विभाग ने सौंपे थे, जो कि आयकर को फ़रवरी 2020 में छत्तीसगढ़ से बरामद हुए थे।इन अभिलेखों को लेकर यह रिपोर्ट है कि, यह सीलबंद लिफ़ाफ़े में सर्वोच्च अदालत को सौंपे गए।
इसी याचिका में ईडी की ओर से पेश हलफ़नामा चर्चाओं में है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस हलफ़नामे में कहा गया है
“इस ट्रांसस्क्रिप्ट मैसेज से साफ़ है कि, नान घोटाले में छत्तीसगढ़ की सत्ता का दुरुपयोग किया गया है।गवाहों को प्रभावित किया गया,साक्ष्यों से छेड़छाड की गई।इस पूरे केस को कमजोर किया गया है”
खबरेे हैं कि,इन डिजिटल साक्ष्यों में राज्य के तत्कालीन EOW चीफ,विधि विभाग से जुड़े बेहद गंभीर पद नाम के लोगाें के चैट इस डिजिटल साक्ष्य में उपलब्ध हैं।
रायपुर कोर्ट में अब तक ये हुआ
नान घोटाले के इस मामले में 173 गवाहों का बयान हो चुका है।22 अगस्त से रोज़ बयान हो रहे हैं।इस समय अभियोजन की ओर से अंतिम गवाह संजय देवस्थले का बयान दर्ज हो रहा है।इस मामले की सुनवाई अंतिम रुप से पूरी करने के लिए 5 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने एक वर्ष का समय दिया है और इस निर्देश के साथ दिया है कि, अब यह समय नहीं बढ़ेगा। इस मामले में FIR में 29 लोगों का नाम था, लेकिन चालान 18 के खिलाफ ही पेश हुआ है। शेष को लेकर यह सूचना है कि, कुछ लोग सरकारी गवाह बने जबकि कुछ के खिलाफ चालान पेश नहीं हुआ।
एक सूचना यह भी है कि, रायपुर कोर्ट में चल रहे इस मामले को लेकर एक रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट भेजने के लिए इस ब्यौरे के साथ तैयार की गई है कि,केस अधिकतम तीन से चार महीनों में समाप्त हो जायेगा, इसी रिपोर्ट में यह ब्यौरा भी है कि अब तक इस केस में कितनी गवाही हुई है और कितनी बची है।लेकिन इस रिपोर्ट को लेकर केवल चर्चाएँ हैं इसकी अधिकृत पुष्टि नहीं है।
चर्चाएं इतनी लेकिन डेढ साल में ईडी केस की सुनवाई नहीं हो पाई
इस बेहद हाईप्रोफाइल केस की चर्चाएं लगातार होती रहीं। दिल्ली से प्रकाशित मीडिया में खबरें आती रहीं कि, ईडी के द्वारा पेश सीलबंद लिफाफे मे बेहद गंभीर संवाद दर्ज हैं।जो सत्ता प्रतिष्ठान को ही सवालों के घेरे में ले आता है। लेकिन यह भी सच है कि, जिस ईडी के इस केस को लेकर इतनी खबरें आती रही हैं,उस केस को एक बार फिर सुनवाई के स्तर पर आने में डेढ बरस का समय लग गया है। यह डेढ बरस भी तब सही होगा जबकि कल इस केस की सुनवाई होगी। इसके पहले इस केस को लेकर महीनाें के अंतराल में तारीखें जरूर सुनाई देती रहीं लेकिन सुनवाई नहीं हुई।