Raipur। निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के डीजी पद पर पदोन्नति के मसले पर हाईकोर्ट ने कैट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें कैट ने IPS मुकेश गुप्ता को डीजी पद पर पदोन्नति को सही मानते हुए उन्हें पदोन्नति दिए जाने का निर्णय दिया था। हाईकोर्ट में चीफ़ जस्टिस अरुप गोस्वामी और जस्टिस पी पी साहू की डबल बेंच ने मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त तय की है। संकेत हैं कि इसी दिन अंतिम सुनवाई हो सकती है।
30 सितंबर को रिटायरमेंट है IPS मुकेश गुप्ता का
कभी रमन सरकार की आँखों का तारा रहे IPS मुकेश गुप्ता मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की आँखों की किरकिरी हैं। कांग्रेस सरकार आते ही मुकेश गुप्ता पर आर्थिक अनियमितता समेत कुछ मामलों में सिलसिलेवार मुक़दमों की क़वायद हुई, आईपीएस मुकेश गुप्ता ने अपने विरुद्ध सभी मामलों को अदालत में चुनौती दी और सब पर रोक लग गई।भूपेश बघेल सरकार ने डीजीपी पद पर पदोन्नति को भी वापस ले लिया। आईपीएस मुकेश गुप्ता ने कैट की शरण ली, जहां कैट ने मुकेश गुप्ता की पदोन्नति को सही मानते हुए उन्हें वापस पदोन्नत करने का आदेश दिया। इसी मामले में राज्य सरकार हाईकोर्ट पहुँची जहां सुप्रीम कोर्ट के मानिंद अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने राज्य सरकार की ओर से पक्ष रखा, जबकि मुकेश गुप्ता की ओर से सर्विस मसलों पर अधिकार रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता ए के बेहरा और मलय श्रीवास्तव प्रस्तुत हुए। राज्य की ओर से दलील दी गई कि, पदोन्नति दे दी गई थी लेकिन केंद्र से पद की स्वीकृति नहीं थी, जबकि मुकेश गुप्ता की ओर से इसका विरोध करते हुए कहा गया कि, केंद्र ने इंकार नहीं किया था, और राज्य सरकार जिस सर्कुलर का हवाला दे रही है, वह सत्रहवें वेतनमान पर प्रभावी होता है ना कि सोलहवें पर।
आईपीएस मुकेश गुप्ता के अधिवक्ताओं की ओर से यह आग्रह भी किया गया कि, मुकेश गुप्ता की सेवानिवृत्ति 30 सितंबर को है, इस पर हाईकोर्ट ने प्रकरण की अगली सुनवाई 22 अगस्त नियत कर दी और तब तक के लिए कैट के आदेश पर रोक लगा दी। संकेत हैं कि 22 अगस्त को ही हाईकोर्ट इस मसले पर अंतिम सुनवाई भी कर सकता है।