Bilaspur. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने जातिभेद की वजह से सामाजिक बहिष्कार के बढ़ते मामलों को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए प्रदेश के मुख्य सचिव, गृह विभाग के सचिव, डीजीपी, जांजगीर-चाँपा,बलौदा बाज़ार,कांकेर, रायगढ, रायपुर और धमतरी के कलेक्टर तथा एसपी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।यह याचिका गुरुघासीदास सेवा संघ और मित्र संगठन क़ानूनी मार्गदर्शन केंद्र बिलासपुर द्वारा संयुक्त रुप से लगाई गई है।
क्या कह रही है याचिका
याचिका में छत्तीसगढ़ के क़रीब 6 ज़िलों में कथित रुप से गठित सामाजिक बहिष्कार के मामलों का नामजद ज़िक्र है, जिसमें मिशन याने कि ईसाई धर्म से प्रभावित होने या कि उनके प्रार्थना में शामिल होने, अंतर्जातीय विवाह करने, शादी मृत्यु भोज नहीं दे पाने या कि जाती पर केंद्रित मतदान ना करने जैसे घटना क्रमों का ब्यौरा शामिल है।याचिका यह कहती है कि,सामाजिक ठेकेदार या कि समाज में प्रभावी लोग अर्थदंड मारपीट और सामाजिक बहिष्कार करते हैं और इस मामले में पुलिस और प्रशासन प्रभावी क़ानूनी कार्यवाही नहीं करते हैं,जिससे पीड़ितों को ना तो राहत मिलती है और ना ही दोषियों को सजा मिलती है।
याचिका में क्या माँग है
अधिवक्ता रजनी सोरेन ने बताया है कि इस याचिका के ज़रिए यह प्रमुखता से माँग है कि, सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध क़ानून बनाने के लिए कमेटी बननी चाहिए।महाराष्ट्र जैसे राज्य में जो क़ानून बने हैं वैसा छत्तीसगढ़ में भी होना चाहिए।पीड़ितों कि सुरक्षा पुनर्वास और मुआवज़े के लिए सक्षम कार्यवाही होनी चाहिए।याचिका में जिन मामलों का ज़िक्र है उन पर कार्यवाही की माँग भी इस याचिका में की गई है।
जवाब के लिए दस हफ़्ते का समय
हाईकोर्ट के चीफ़ जस्टिस अनूप गोस्वामी और जस्टिस दीपक तिवारी की बेंच ने इस मामले में नोटिस जारी करते हुए जवाब पेश करने के लिए दस हफ़्तों का वक्त दिया है।