Raipur। हसदेव अरण्य में उत्खनन को लेकर चल रहे आदिवासियों के आंदोलन और उसमें कांग्रेस के भीतरखाने “ओपन सिक्रेट पॉलिटिक्स” को समझने बूझने के बीच जबकि हसदेव के भीतर परसा ईस्ट केते बासेन फ़र्स्ट फ़ेज़ का उत्खनन जारी है, और उसके एक्सटेंशन से लेकर नई परियोजनाओं को लेकर संघर्ष जारी है, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकृत ट्विटर हैंडल पर वीडियो के साथ किए दावे ने एक नया विषय खड़ा कर दिया है, और इस विषय को सवाल बनाकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने पूछा है कि, सच कौन कह रहा है।
क्या है मसला?
आईएनसी के अधिकृत ट्विटर हैंडल से एक वीडियो के साथ 10 जून को रात को क़रीब 9 बजे ट्विट हुआ, जिसमें अंग्रेज़ी में वॉयस ओवर था, और यह दावा था कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हसदेव अरण्य में सभी खनन कार्य रोकने के आदेश दिए हैं। ट्विट में जो अंग्रेज़ी में कहा गया और उसका हिंदी अनुवाद यूँ है
मूल वॉयस ओवर-On may 23 congress leader Rahul Gandhi said he is working for the rights of adivasis in Chhattisgarh and soon the people will see the results. Two weeks later on 9th June, the Congress Government in Chhattisgarh has put 3 mining projects on hold indefinitely in the state. Chhattisgarh Chief Minister Shri Bhupesh Baghel ordered to stop all mining work in Hasdeo aranya forest and said not even a single tree will be cut. The Chief Minister also reiterated Shri Rahul Gandhi and said that the voices of locals and adivasis are of utmost importance and will be heard.
हिंदी अनुवाद-मई 23 को कांग्रेस नेता श्री राहुल गांधी ने कहा कि वो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के अधिकार के लिए काम कर रहे हैं और जल्द ही लोगों को इसका परिणाम दिखेगा। 2 हफ्ते बाद, 9 जून को छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार ने राज्य में 3 खनन परियोजनाओं पर अनिश्चित समय तक रोक लगा दी। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने हसदेव अरण्य जंगल में सभी खनन कार्य को रोकने का आदेश दिया और कहा कि एक भी पेड़ काटा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने श्री राहुल गांधी की बात को दोहराते हुए कहा कि स्थानीय निवासियों और आदिवासियों की आवाज़ें सबसे महत्वपूर्ण हैं और हमेशा सुनी जाएगी।
इस ट्विट पर नेता प्रतिपक्ष कौशिक क्या कह रहे हैं
इस ट्विट को लेकर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने यह सवाल उठाया है कि, सच कौन बोल रहा है। दरअसल कांग्रेस के ट्विटर हैंडल में जो दावे हैं वे उस पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कौशिक का सवाल बीते 11 जून को हैलीपैड पर सीएम बघेल के बयान के उल्लेख के साथ है। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल ने कहा
“उत्खनन तो बंद हुआ नहीं है, परसा ईस्ट केते बासेन में उत्खनन जारी है, शेष को लेकर भी कोई निर्देश आदेश कहीं है नहीं, दूसरी बात मुख्यमंत्री बीते 11 जून को याने इस ट्विट के एक दिन बाद और इसके पहले कांकेर के भानूप्रतापपुर में जो कह चुके हैं वह बिल्कुल अलग है। यदि राष्ट्रीय कांग्रेस के दावे को सही मानना है या मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी की बात को सही मानना है। यदि अनिश्चित काल के उत्खनन बंद है,सभी खनन कार्य बंद है, एक भी पेड़ नहीं काटा जाएगा तो इसके आदेश की कॉपी उपलब्ध करा दें”
सीएम बघेल का 11 जून का बयान क्या था ?
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पत्थलगांव विधानसभा में भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम के बाद लौटते वक्त हैलीपैड में पत्रकारों से चर्चा की थी। तब उनसे सवाल हुआ था कि क्या हसदेव अरण्य में उत्खनन परियोजना को रद्द करने वाले हैं, इस पर मुख्यमंत्री बघेल ने कहा था
“देखिए आप लोग इस बात को अपने दिमाग़ से निकाल दीजिए। राज्य सरकार की इसमें क्या भूमिका है, ये पूरा कोल आबंटन भारत सरकार करती है।वन अधिनियम पर्यावरण अधिनियम भारत सरकार की जो गाइडलाइन है उसके हिसाब से हम लोग काम करते हैं।वो भारत सरकार चाहे कोयला खदान को नीलाम करें प्रायवेट प्लेयर को,चाहे वो राज्य सरकार को आबंटित करे, ये काम उनका है।हमारी भूमिका डाकिया की होती है और वो हम कर रहे हैं। मैं पहले ही कह रहा हूँ निरस्त मैं नहीं कर सकता,राज्य सरकार कुछ नहीं कर सकती,निरस्त भारत सरकार को करना है।वो हम पेड़ कटाई रोक दिए, इसका मतलब एलॉटमेंट रुक गया क्या, नहीं रुका है।तो यदि करना है तो भारत सरकार के पास जाएँ आंदोलन करना है तो वहाँ करे।”
कमोबेश यही बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दिल्ली रवाना होते वक्त एयरपोर्ट पर भी दोहराई, उन्होंने एयरपोर्ट पर कांकेर के भानूप्रतापपुर में दिए चर्चित उस बयान को दोहराते हुए कहा
“कोयला से बिजली आएगी, विरोध करना है तो अपने घर की बिजली काट दें”
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की इन्हीं बातों और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिकृत ट्विटर हैंडल पर लिखी बातों के विरोधाभासी होने का हवाला देते हुए सवाल किया है कि, सच कौन बोल रहा है,कौन बताएगा किससे पूछें ?
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