सिंहदेव बोलेः कोई बंदूक़ भी लेकर आए तो मुझे बुला लें, पहली गोली मुझे लगेगी

author-image
Yagyawalkya Mishra
एडिट
New Update
सिंहदेव बोलेः कोई बंदूक़ भी लेकर आए तो मुझे बुला लें, पहली गोली मुझे लगेगी

Ambikapur। हसदेव अरण्य पर आंदोलनरत (protest on hasdev aranya)  ग्रामीणों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (cm bhupesh baghel) के तीखे बल्कि और फटकार भरे तेवर सुनने को मिले हैं तो उन्हें व्यापक जनसमर्थन के साथ अब मंत्री टी एस सिंहदेव (ts singhdeo) का समर्थन भी हासिल हो गया है।इसके पहले जिला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर सिंहदेव (aadityeshwar singhdeo)के नेतृत्व में ज़िला पंचायत प्रभावित ग्रामीणों के समर्थन में सामने आई और कलेक्टर से प्रभावित ग्रामों में दूबारा ग्राम सभा कराने का पारित प्रस्ताव सौंप दिया। हालाँकि इस पारित प्रस्ताव के बाद तब गतिरोध बढ़ गया जब प्रशासन ने पुलिस के कव्हर के साथ खनन के लिए पेड़ कटाई शुरु कराने की क़वायद की। आंदोलनरत ग्रामीण पेड़ कटाई की क़वायद से भड़क गए और पेड़ों को घेरकर खड़े हो गए। ज़िला पंचायत उपाध्यक्ष आदित्येश्वर सिंहदेव ने फिर पत्र लिखकर आपत्ति दर्शाई और पारित प्रस्ताव की याद दिलाते हुए फिर से ग्रामसभा कराने की माँग दोहराई।लेकिन इसके बाद कलेक्टर की ओर से जवाबी पत्र में यह कह दिया गया कि, सीबी एक्ट के तहत कार्यवाही की गई है ग्रामसभा कराने की जरुरत नहीं है।



क्या बोले मंत्री सिंहदेव



विनम्रता की चिर परिचित शैली के साथ मंत्री टी एस सिंहदेव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उन बातों का क्रमवार जवाब दिया, जिसका उल्लेख करते हुए सीएम बघेल ने आंदोलनकारियों और हसदेव अरण्य को बचाने की लड़ाई लड़ने वालों को तीखे तेवर में कह दिया था कि, पहले अपने घर की बिजली काट लें एसी कूलर बल्ब बंद कर लें फिर बात करें। मंत्री सिंहदेव ने कहा



“मैं उनकी बात का खंडन नहीं कर रहा,ना करने की कोई बात है। दो तीन बात है एक बात यह है कि आठ लाख पेड़ का आँकड़ा कहाँ से आया ? राष्ट्रीय स्तर की जो संस्था है उसने सर्वे कर के यह आँकड़ा प्रस्तुत किया है कि अगर सोलह सौ हैक्टेयर अगर ज़मीन जा रही है,और एक हैक्टेयर में अगर चार सौ वृक्ष हैं, तो सत्रह चौके कितना होता है?वो ८ लाख पेड़ के आसपास होता है।आठ लाख पेड़ की जो बात आई है वो चाहे एक साल में कटे चाहे तीस साल में कटे आठ लाख पेड़ों की कटाई की संभावना को राष्ट्रीय स्तर की संस्था ने सर्वे कर के रिकॉर्ड में लिया है, कटेंगे आठ लाख पेड़। तीस साल में जो खदान की बात आ रही है, हमने देखा कि अभी जो खदान जिसमें अभी काम किया जा रहा है लंबे समय तक चलने वाली खदान थी लेकिन समय के पहले ही कोयला पूरा निकाल लिया गया है।जहां दस मिलियन टन निकालना था उनमें अनुमति लेकर पंद्रह मिलियन टन निकाल दिया, तो लंबे समय तक चलेगा वो भी नहीं दिख रहा।तीसरा मैंने मुख्यमंत्री जी की बात को सुना था,कि पेड़ काटने के पहले पेड़ लगाए जाएँगे,और ऐसा हो रहा है तो उनको इस बाबत भी गुमराह किया जा रहा है कि पेड़ काटने के पहले अभी ये पेड़ कटे हैं जितने, इसके दोगुना पेड़ कहीं लगे हों तो मुझे बता दीजिए।ये नियम है कि एक एकड़ ज़मीन में पेड़ कटेगा तो दो एकड़ में प्लांटेशन होगा।तीसरा इस संदर्भ में कि यहाँ की पेड़ कटाई के एवज़ में जो प्लांटेशन किया जा रहा है उसको कोरिया में चिन्हाकित किया गया है,कटाई हो रही है उदयपुर में और सरगुजा में भी नही,पेड़ कहाँ लगाए जाएँगे कोरिया में, तो यहाँ के पर्यावरण का संतुलन कैसे बनेगा।समीपस्थ क्षेत्र के पर्यावरण का संतुलन कैसे बनेगा?ये बातें हैं जहां हो सकता है कि या तो मेरी जानकारी कमी हो या वहाँ तक कोई पूरी बात ना पहुँची हो।”



  मंत्री सिंहदेव ने यह माना कि, प्रभावित गाँव या ग्रामीणों की जगह पर अन्य आसपास ईलाके के ग्रामीणों प्रभावित गाँव का बताने की क़वायद होती है और उससे मसला और बिगड़ गया है।उन्होंने दो टूक अंदाज में कहा



“जो प्रभावित गाँव हैं,उन गाँव वालों से और केवल उन गाँव वालों से बात होनी चाहिए, चर्चा होनी चाहिए और राय ली जानी चाहिए”



 मंत्री सिंहदेव आंदोलन स्थल पर पहुँचे और आंदोलनरत ग्रामीणों से संवाद किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि,गाँव में एका बनाइए,यदि ऐसा हुआ कि, आधे कह दें कि हम देना चाहते हैं ज़मीन, और आधे कह रहे हैं हम नहीं देना चाहते तो कुछ कर पाना संभव नहीं हो पाता।



  आंदोलन स्थल पर ग्रामीणों को संबोधित करते हुए मंत्री सिंहदेव ने कहा



“दुनिया में जो तय हुआ है वो यही तय हुआ है कि हमको धीरे धीरे आने वाले समय में कोयले का इस्तेमाल बिजली बनाने के लिए बंद करना है।पूरी तरीक़े से बंद करना है।दुनिया में एक विचार है कि २०७० तक ये हमें पा लेना है।उस दिशा में और ना बढ़े ये हमको २०५० तक पा लेना है, ये २०२२ चल रहा है। और हमारे देश के जो प्रतिनिधि वहाँ गए उन्होंने कहा नहीं हम २०२० तक कोशिश करेंगे।तो जब हमारा देश दुनिया के सामने ये कह चुका है ये ज़बान दे चुका है।मैं फिर कह रहा हूँ हरिहरपुर और फ़तेहपुर की बात मैं नहीं कर रहा, घाटबर्रा केते कि और बासेन की बात नहीं कर रहा।पूरे देश की तरफ़ से विश्व के मंच पर जब ये कहाँ जा चुका है कि हमको कोयले के उपर आधारित बिजली बनाने से पीछे जाना है छत्तीसगढ़ में कोरबा में हमारे बिजली बनाने के जो कारख़ाने हैं,२ ऐसे कारख़ाने हैं जिनका समय पूरा हो गया है।छत्तीसगढ़ की ही सरकार ने बिजली बनाने की इन इकाईयो में कोयला लगता था, उसके लिए फ़ैसला लिया कि और ऐसे कारख़ाने जो बिजली के लिए कोयले पर आधारित हों वो नहीं बनाएंगे।ये छत्तीसगढ़ सरकार का फ़ैसला है तो वहाँ पर ये कहना कि बिजली बनाने के लिए और कोई विकल्प नहीं है। हमको हरिहरपुर और फ़तेहपुर का ही कोयला चाहिए या बासेन का घाटबर्रा का ही कोयला चाहिए, अपने आप में ये बात सही नहीं है।८० साल का कोयला बताया जाता है कि हमारे पास है,८० साल का,और हम तय कर चुके हैं कि कोयले का इस्तेमाल आगे नहीं करेंगे।तो पहले कौन सा कोयला इस्तेमाल करना चाहिए अगर ८० साल का कोयला है।उन क्षेत्रों के कोयला का इस्तेमाल करना चाहिए जहां पेड़ों की कटाई इतनी मात्रा में नहीं होगी।जहां लोगों को विस्थापित करने की उस मात्रा में जहां वन आच्छादित क्षेत्र है या हसदेव अरण्य में जल संग्रहण में परिवर्तन आ सकता है वायुमंडल में परिवर्तन आ सकता है। तो हमारे पास दूसरे भी खदान है यही खदान है ऐसी कोई बात नहीं। फिर आगे विदेश से कोयला मिल रहा है जो देश के कोयले से सस्ता है, अगर कोयले की जरुरत है तो वहाँ से कोयला मिल रहा है यहाँ की फ़ैक्ट्रियां बाहर से कोयला लाकर अपने काम को कर सकती हैं।कहने का मतलब यहाँ का कोयला नहीं आएगा तो बिजली के कारख़ाने बंद हो जाएँगे ऐसी बात नहीं है।ऐसी बात बिलकुल नहीं है।”



  मंत्री सिंहदेव ने मंच से सरगुजिहा में कहा



“विपक्ष में रहेन कमजोर, नेता प्रतिपक्ष में रहेन तो कुछ कोशिश करेन,सरकार के हिस्सा हन तो ज्यादा करत बनथे,मैं अपने मन के हिसाब से जइसे करे चाहत हो नही कर पात हों,मोर राय है कि यहां दोबारा ग्राम सभा होना चाही एहू ल फरी फरी बोलत हों।अगर गांव वाला ओ ठन ग्राम सभा में कहे रहीन की जमीन देबो तो  आज काहे मना करहिं ओ टाइम हौ कहे रहिन तो आज भी करहिं लेकिन ओ टाइम कर  कोई न कोई भेद है तबे न गांव वाला बार बार कहत है,मैं जहां तक जानत हो करीब क़रीब पूरा गांव एक राय है,ग्रामसभा कराए के पूछ ला और जो आए हैं ग्राम सभा में अपन अपन वोटर आईडी और आधार कार्ड लेके,सुनिश्चित करे कि जो गांव के व्यक्ति है वही सभा मे बैठे,नही तो बहिष्कार करा।आज मैं देखेन कि बस में कुढाए के आदमी मन पहुँचें रहिन।ओकस में जीव हर दुखेल भरम होएल ओकस में बनल मामला भी बिगड़ जाथे अइसा मत होए।”



राहुल के बयान के बाद मामले में आई और तेज़ी



  लंदन में राहुल गांधी के बयान के बाद सरगुजा में चल रहे इस आंदोलन के समर्थन में सरगुजा कांग्रेस खुलकर सामने आ गई। राहुल गांधी ने हसदेव अरण्य के आदिवासियों के आंदोलन से सहानुभूति जताई थी और कहा कि, मैं इस पर कुछ कर रहा हूँ जल्द छत्तीसगढ़ में नतीजे दिखेंगे।



सियासती मायने साफ



   मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कांकेर में जिस तेवर से बयान दे गए थे उसने विपक्ष को पूरी तरह हमलावर होने का मौक़ा दे दिया। विपक्ष ने सीएम बघेल के घर की लाईट काट लो फिर आंदोलन करो वाले बयान पर पूछा कि, राहुल गांधी के घर की लाईट चालू है या कटी है। सीएम बघेल ने 8 लाख पेड़ कटने की बात को भी ख़ारिज कर दिया था। मुख्यमंत्री बघेल इसके पहले भी यह कह चुके हैं कि बिजली चाहिए तो कोयला लगेगा ही, और कोयला जंगल में है तो जंगल कटेगा। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भीतरखाने भूपेश और सिंहदेव के रिश्ते “ओपन सिक्रेट” की तरह हैं। सीएम बघेल के खदान के समर्थन में दिए बयान के बाद मंत्री टी एस सिंहदेव का आंदोलन स्थल पर पहुँचना और आंदाेनकारियाें को समर्थन देते हुए क्रमवार यह बताना कि कैसे आठ लाख पेड़ कटेंगे और वृक्षारोपण का सच क्या है। साबित करने के लिए काफ़ी है कि आख़िर हो क्या रहा है।


भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ Chhattisgarh ts singhdeo छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री Surguja मंत्री टी एस सिंहदेव हसदेव अरण्य समर्थन Hasdeo Aranya hariharpur