Raipur। झारखंड में तेज़ी से बदल रहे घटनाक्रम के बीच जैसी कि खबरें थीं, शाम ठीक 6 बजे झारखंड से विधायकों का दल जिसमें मंत्री भी शामिल हैं वह विशेष विमान से रायपुर आ गया। इनकी कुल संख्या 41 हैं जिसमें 34 विधायक और शेष संगठन से जुड़े लोग बताए गए हैं। कड़ी सुरक्षा में इन सभी को एयरपोर्ट से तीन बसों में नया रायपुर स्थित रिसोर्ट ले ज़ाया गया है।
CM सोरेन और कुछ मंत्री झारखंड में
लाभ का पद मसले पर सीएम सोरेन पर बर्ख़ास्तगी की तलवार लटक रही है। राज्यपाल रमेश बैस के यहाँ निर्वाचन आयोग का लिफ़ाफ़ा पहुँचा है, जिसमें अब तक कोई फ़ैसला राज्यपाल ने नहीं लिया है। बीजेपी सरकार बनाने के जादुई आँकड़े से बमुश्किल 11 विधायकों के समर्थन की दूरी पर है। जबकि राजभवन से दो दिनों तक कोई हलचल नहीं हुई तो झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस और राजद के कान खड़े हो गए, और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार होने की वजह से इसे अपेक्षाकृत सुरक्षित मानते हुए समर्थक विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजा गया है।
कांग्रेस संगठन और प्रशासन ने की अगवानी
कांग्रेस संगठन की ओर से जो चेहरे वहाँ नुमाया थे, वे सभी सीएम बघेल और संगठन प्रभारी पुनिया के बेहद करीबी माने जाते हैं।इनमें खनिज विकास निगम के गिरीश देवांगन और कर्मकार मंडल अध्यक्ष सन्नी अग्रवाल के साथ नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल शामिल हैं। इन चेहरों की मौजूदगी में साफ संकेत दिए कि व्यवस्था की पूरी जवाबदेह मुख्यमंत्री बघेल की है।
राज्यपाल रमेश बैस गृह क्षेत्र है रायपुर
जिस राज्यपाल के मौन ने पूरे झारखंड में सियासत में तूफान मचा रखा है, और जिन परिस्थितियाें में विधायकों को एयरलिफ्ट कराया गया है,उस के पीछे झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस का मौन बहुत अहम कारण है। दिलचस्प संयाेग है कि, छत्तीसगढ उन्ही राज्यपाल का गृह प्रदेश है और जिस रायपुर में इन विधायकों को सुरक्षित मानते हुए रिसाेर्ट में ठहराया गया है, वह रायपुर राज्यपाल रमेश बैस का गृहक्षेत्र है।