Raipur,18 अप्रैल 2022। मदनवाड़ा जाँच आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ IPS मुकेश गुप्ता की ओर से पेश याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई करने का फ़ैसला किया है। बीते 12 अप्रैल को हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फ़ैसला सुरक्षित कर लिया था, जिसे आज सार्वजनिक किया गया है।हाईकोर्ट ने एकल सदस्यीय मदववाड़ा जाँच आयोग के अध्यक्ष रिटायर जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव और मदनवाड़ा जाँच आयोग के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। याचिका में राज्य सरकार को भी पक्षकार बनाया गया है।
क्या है मामला
मदनवाड़ा जाँच आयोग की रिपोर्ट में IPS मुकेश गुप्ता के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां की गई हैं।मदनवाड़ा में 12 जुलाई 2009 को नक्सलियों ने एंबुश लगा कर हमला किया था,इस हमले में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक व्ही के चौबे समेत 29 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने जनवरी 2020 में जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एकल सदस्यीय न्यायिक जाँच आयोग गठित किया था।इस जाँच आयोग की रिपोर्ट को इसी साल 17 मार्च को भूपेश बघेल सरकार ने विधानसभा में रखा।आयोग ने अपने निष्कर्ष में तत्कालीन आईजी मुकेश गुप्ता पर गंभीर टिप्पणियाँ की।इसमें कहा गया कि जो घटना घटी वह कमांडर इन चीफ़ ( मुकेश गुप्ता ) की लापरवाही कमी और काहिलपन है।उन्होंने कुछ नहीं किया और वह सिर्फ़ गोलियों की बौछार से खुद को बचाते रहे और बुलेटप्रूफ़ वाहन में बैठे रहे। फिलहाल निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता ने इस रिपोर्ट को पूर्वाग्रह पर आधारित रिपोर्ट मानते हुए उल्लेखित निष्कर्षों जिसमें उन्हें लेकर टिप्पणी की गई थी, के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की और सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार करने के साथ साथ अंतरिम राहत की याचना की थी।
हाईकोर्ट में क्या हुआ
जस्टिस राजेंद्र चंद्र सिंह सामंत की कोर्ट में इस मामले की बीते 12 अप्रैल को क़रीब डेढ़ घंटे तक सुनवाई चली। अधिवक्ता महेश जेठमलानी और विवेक शर्मा ने मुकेश गुप्ता की ओर से दलील दी -
आयोग ने छवि को क्षति पहुंचाने वाली टिप्पणी की है,कमिश्नर ऑफ इंक्वायरी एक्ट सेक्शन 8 बी के अनुसार कोई भी प्रतिकूल टिप्पणी के पहले सुनवाई का अवसर देना था जो कि नहीं दिया गया,इसलिए न्यायिक जाँच आयोग की रिपोर्ट प्रक्रिया के विरुध्द होने की वजह से शून्य है, नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं हुआ।याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार की जाए और अंतरिम राहत दें
इस पर राज्य की ओर से महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा ने कड़ा प्रतिरोध किया और कोर्ट से कहा कि, धारा 8 बी का पालन करते हुए नोटिस दिया गया था, याचिकाकर्ता वकील के माध्यम से पेश हुआ था जिससे साबित है कि उन्हें आयोग के समक्ष कार्यवाही की जानकारी थी। जो आवेदन याचिकाकर्ता की ओर से दिया गया था उसका निराकरण भी आयोग के अध्यक्ष ने कर दिया है।याचिकाकर्ता के द्वारा आयोग के खिलाफ लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं।इस तर्क पर याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया जिस नोटिस का ज़िक्र किया जा रहा है वह गवाह के रुप में पेश होने के लिए तामील की गई थी, प्रतिकूल टिप्पणी के पहले सुनवाई के लिए जो नोटिस देना था यह वह नोटिस नहीं है।बहस को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुरक्षित कर लिया।
क्या कहा कोर्ट ने
हाईकोर्ट ने फ़ैसले को सार्वजनिक करते हुए याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए मदनवाड़ा न्यायिक जाँच आयोग के अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस शंभुनाथ श्रीवास्तव और मदनवाड़ा जाँच आयोग के सचिव को नोटिस जारी कर आठ हफ़्ते के भीतर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। वहीं इस मामले में अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया है।