BALOD: बालोद जिला मुख्यालय (balod district headquarter) के शिवनी गांव, और ऐसे ही सैकड़ों दूसरे गांवों में महिला कमांडो (woman commando) की टीम है। जो मैरून कलर की साड़ी (maroon gang) और सिर पर टोपी डालकर निकलती है तब शराबी, जुआरी और बदमाशों की सांस फूल जाती है। इनकी बुरी आदतों की दुश्मन महिला कमांडो की टीम गावों में स्वच्छता और अनुशासन भी बनाकर रखती हैं। मरून साड़ीधारी इन्हीं महिला कमांडोज का असर है कि बालोद जिले के गांवों में अब बदले बदले दिखते हैं। शराबी-जुआरी महिला कमांडो की सीटी की आवाज सुनते ही गली में दिखना बंद हो जाते हैं।
65 हजार महिलाओं की ब्रिगेड
महिला ब्रिगेड की कामयाबी देखते हुए 14 जिलों की कुल 65 हजार महिलाएं इससे जुड़ चुकी हैं। इस ब्रिगेड क संस्थापक शमशाद बेगम हैं। जो बीते 16 सालों से महिला कमांडो को लीड कर रही हैं। पुलिस प्रशासन जब शराबियों और जुआरियों के सामने बेबस नजर आता है। तब वहां मोर्चा संभालती है मैरून साड़ीधारी महिला कमांडो।
कौन हैं शमशाद बेगम?
शमशाद बेगम बालोद जिला के गुण्डरदेही ब्लॉक की रहने वाली हैं। जिन्हें भारत सरकार पद्मश्री से नवाज चुकी है। शमशाद बेगम सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में कार्य करती हैं। पद्मश्री शमशाद बेगम ने कई लोगों की आलोचना झेलते हुए 2006 में 100 महिलाओं की टीम गठित कर महिला कमांडो बनाई थी। ये सभी कमांडो साधारण परिवार की गृहणियां ही होती हैं। जो अपने घर का कामकाज निपटा कर रोज शाम को दो-तीन घंटा गांव की गली-मोहल्ले में निकलती हैं। पोशाक होती है मेहरूम कलर की साड़ी-टोपी और हाथ में लाठी डंडा। इस अंदाज में निकलती महिलाओं की टोली से गांव की तस्वीर अब बदल रही है।