RAIPUR: छत्तीसगढ़ में स्कूल खुले दो दिन बीच चुके हैं। जिसका महोत्सव जोरशोर से मनाया गया, शाला प्रवेशोत्सव के नाम से। लेकिन छत्तीसगढ़ की सरकार ये भूल गई कि जिन स्कूलों में पढ़ने के लिए वो बच्चों को जलसा मनाकर बुला रही है उन स्कूलों में सफाईकर्मी मौजूद नहीं है। प्रदेश के तकरीबन 43 हजार से ज्यादा सफाईकर्मी पिछले 117 दिन से हड़ताल पर बैठे हैं। जिन्होंने अब इस्तीफा ही दे दिया है। मांग है उन्हें फुलटाइमर बनाने की। अब ये समझा जा सकता है कि जब सफाईकर्मी ही नहीं होंगे तो स्कूलों में सफाई कैसे होगी।
बूढ़ा तालाब पर धरना
छत्तीसगढ़ में सरकारी स्कूलों की संख्या काफी ज्यादा है। जहां सफाई के लिए कर्मचारी तैनात हैं। सुबह शाम स्कूल में जाकर एक एक घंटे सफाई करने वाले इन कर्मचारियों को बतौर मानदेय 2300 रुपये दिए जाते हैं। इन सफाईकर्मियों की मांग है कि सरकार उन्हें अब पूर्णकालिक कर्मचारी घोषित करे। बस इसी मांग पर अड़े सफाईकर्मी 117 दिन से रायपुर के बूढ़े तालाब के पास धरना दे रहे हैं।
नहीं निकलता घरखर्च
धरने पर बैठे सफाईकर्मियों का दर्द ये है कि इतने से मानदेय में उनका घर चलना मुश्किल हो रहा है। दूसरा दर्द ये है कि वो इतने दिनों से हड़ताल पर बैठे हैं लेकिन उनकी मांगे सुनने कोई नहीं आया। जिसके चलते वो मजबूरन बड़ा कदम उठा रहे हैं। सफाई कर्मचारी संघ से जुड़ी महिलाओं ने कहा कि उन्हें स्कूल में पूरा दिन हो जाता है बदले में सिर्फ तेईस सौ रूपये मिलते हैं। उनकी परेशानी पर ध्यान देने वाला कोई नहीं। इसलिए वो सभी अब इस्तीफा देने पर मजबूर हो गए हैं।
इन सफाईकर्मियों का कहना है कि इस महंगाई के जमाने में अब तेईस सौ रूपये में गुजारा करना बहुत मुश्किल है। उनका दावा है कि राज्यभर के कर्मचारियों में सबसे कम सैलेरी उन्हें ही मिलती है। जिससे घर का राशन तक खरीद पाना उनके लिए मुश्किल हो जाता है। इसले ये कर्मचारी बार बार सरकार से गुहार लगा रहे हैं कि उनकी मांगे सुनी जाएं।