BILASPUR: ‘हसदेव बचाओ’ आंदोलन में शामिल होने छत्तीसगढ़ पहुंची मेधा पाटकर, जल जंगल जमीन की लड़ाई को बताया जरूरी

author-image
एडिट
New Update
BILASPUR: ‘हसदेव बचाओ’ आंदोलन में शामिल होने छत्तीसगढ़ पहुंची मेधा पाटकर, जल जंगल जमीन की लड़ाई को बताया जरूरी

BILASPUR: हसदेव अरण्य (hasdeo bachao andolan) को लेकर चल रहे आंदोलन में अब सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर (medha patkar) भी शामिल हो गई हैं। बुधवार को हसदवे बचाओ आंदोलन के समर्थन में मेधा पाटकर बिलासपुर (bilaspur) पहुंची। उन्होंने परसा कोल ब्लॉक (parsa coal block) को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों पर निशाना भी साधा। पाटकर ने हसदेव अरण्य में खदानों आवंटित करने  को राजनीति में दलीय मिलीभगत भी बताया। ये भी कहा कि अगर जल, जंगल और जमीन के लिए नहीं लड़े तो कुछ भी नहीं बचेगा। मेधा पाटकर जल्द ही आंदोलनरत ग्रामीणों से मिलने के लिए हसदेव भी जाएंगी।





कई दिनों से जारी है विरोध प्रदर्शन





हसदेव अरण्य में कोल ब्लॉक की अनुमति के खिलाफ कई दिनों से विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जिसके बारे में नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने कहा कि राजस्थान में कोयले की कमी नहीं है। उन्होंने ऐलान किया कि जब तक कोल ब्लॉक की अनुमति रद्द नहीं होगी, तब तक ये आंदोलन जारी रहेगा। 





विकास के नाम पर शहर उजाड़ने की कोशिश





मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि प्रदेश में असंवैधानिक रूप से जमीन हड़पने की कोशिश हो रही है। ये सरकार का विकास मॉडल नहीं विनाश का मॉडल है। मेधा पाटकर ने भी तय किया है कि वो आंदोलनकारियों से भी मुलाकात करेंगी। आपको बता दें कि इस मुद्दे पर आदिवासियों का आंदोलन भी जारी है। जिसे सौ से ज्यादा  दिनों का वक्त हो गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि उस जंगल से अब तक 6 सौ से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं। हालांकि फिलहाल सरकार ने काम पर रोक लगा दी है।



नर्मदा बचाओ आंदोलन बिलासपुर न्यूज मेधा पाटकर Bilaspur News हसदेव अरण्य Medha Patkar adiwasi protest hasdeo aranya news छत्तीसगढ़ न्यूज Narmada Bachao Andolan Chhattisgarh News