Raipur।चाइल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट पर सीधे NCRB याने नेशनल क्राईम रिकॉर्ड ब्यूरो की नज़र है। वे शख़्स जो चाईल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट को शेयर या पोस्ट करते हैं, वे NCRB के रडार में आ जाते हैं, एनसीआरबी ऐसे प्रोफ़ाइल या कि डाटा यूज़र को चिन्हाकित करती है,और राज्यवार पुलिस को भेज रही है। बीते साल से यह कार्यवाही जारी है।छत्तीसगढ़ में बीते छ महिने के ही आँकड़े देखें तो 130 व्यक्तियों के खिलाफ एफ़आइआर हो चुकी है।बिलाशक राजधानी रायपुर इस सूची में टॉप पर है, राज्य के 19 ज़िलों में चाइल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट के शेयर करने पर कार्यवाही की गई है।
ये हैं ज़िलों की सूची
चाईल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट मामले को लेकर बीते 6 महिने में राज्य के 19 ज़िलों में कार्यवाही हुई है।इनमें बालोद (2),बलौदाबाजार भाटागांव (1),बलरामपुर (8),बस्तर (6),बेमेतरा (3),बीजापुर (2),बिलासपुर (9),दंतेवाड़ा (2),धमतरी (1),दुर्ग (11),कबीरधाम/कवर्धा (1),कांकेर (2),कोरबा (8),कोरिया (2),रायगढ़ (1),रायपुर (67),राजनांदगाँव (5),सुकमा (1),सूरजपुर (3)।
क्या संकेत देते हैं चार्ट
राज्य के इन 19 ज़िलों में से यदि चार्ट को गौर से देखें तो समझ आता है कि प्रदेश के वे ज़िले जो प्रदेश के प्रमुख शहरों के रुप में गिने जाते हैं, वहाँ आँकड़े बेहद ज़्यादा हैं। इनमें रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, कोरबा और राजनांदगाँव शामिल हैं।ये शहर राज्य के महानगरों की श्रेणी में आते हैं।विकास,सामाजिक जागरूकता,नियम क़ानून का ज्ञान और उसका पालन के साथ साथ नैतिक शुचिता के व्यवहार की अपेक्षा यदि हो तो ग़लत नहीं है, लेकिन आँकड़े बताते हैं कि विकास अपने साथ गंभीर मनोरोग ले आया है।पर मसला यहीं थमता तो भी कोई बात थी, प्रदेश के अपेक्षाकृत पिछड़े या कि बहुतेरी समस्याओं से जूझते ज़िलों के नाम भी इस सूची में शामिल हैं।इनमें सघन नक्सल प्रभावित सुकमा बीजापुर ज़िलों के नाम हैं।
क्या सलाह है चिकित्सकों की
शासकीय आयुर्वेद कॉलेज में सहायक प्राध्यापक डॉ संजय शुक्ला इसे गंभीर मानसिक बीमारी मानते हैं और बेहद गंभीर मनोवैज्ञानिक कार्यवाही की अपेक्षा रखते हैं। डॉ संजय शुक्ला ने कहा
“काउंसिलिंग की अनिवार्य जरुरत है। अपराध में जेल गया वह क़ानूनी कार्रवाई है।पर चाईल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट हों या कि पोर्न देखना यह लत है जो गंभीर अपराध की ओर बढ़ा देती है।अब यह काउंसिलिंग जेल में हो या इसे व्यापक रुप से कैसे किया जाए इसे लेकर गंभीर कार्ययोजना की जरुरत है।यह हमने देखा है कि, ऐसे लोग अंतर्मुखी ज़्यादा होते हैं।यही मसला बच्चों के लिए भी है, बदलते खानपान और जीवनशैली की वजह से बच्चों में यौनगत शारीरिक बदलाव पहले के मुक़ाबले जल्दी हो रहा है।बच्चों में पोर्नोग्राफी की लत बढ़ रही है। यह विषय केवल सरकार के नहीं बल्कि समाज के भी हैं।”
कैसे नज़र रख रही है NCRB
भारत में कई पोर्नोग्राफ़िक साइट्स बैन हैं, इन सब पर NCRB की नज़र है।NCRB यह देखती है कि,इन साइट्स पर अपलोड की क्या स्थिति है। वह आईपी याने वह एड्रेस ट्रेस करती है जिससे चाईल्ड पोर्नोग्राफ़िक कंटेट डाउनलोड या कि शेयर किए गए हैं। उस आईपी के साथ शेयर किया गया कंटेट राज्यवार पुलिस को भेजा जाता है। छत्तीसगढ़ में सायबर सेल उस आईपी एड्रेस के ज़रिए उस मोबाइल नंबर तक पहुँचती है जो उस डिवाइस में चल रहा है, मोबाइल नंबर के साथ मोबाईल नंबर धारक के डिटेल मिलते हैं और फिर कार्यवाही हो जाती है।
क्या सजा है
चाइल्ड पोर्नोग्राफी को देखना न केवल अपराध है बल्कि इसके लिए सात साल तक की सजा का भी प्रावधान है। पोर्न फिल्में बनाना, अश्लील कंटेंट को शेयर करना और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी देखना यह सब आईटी कानून 2008 की धारा 67 (ए) और आईपीसी की धारा 292, 293, 294, 500, 506, 509 के तहत आता है। कानून के तहत पहली बार अपराध करने पर 5 साल तक सजा और दस लाख का जुर्माना हो सकता है। वही दोबारा ये काम करने पर सजा को बढ़ाकर 7 साल कर दिया जाता है।पोर्नोग्राफी कंटेट कंप्यूटर में सेव करना अपराध चाइल्ड पोर्न के अलावा भारतीय कानून के तहत विदेशों से संचालित होने वाली पोर्नोग्राफी वेबसाइट के कंटेंट को अपने लैपटॉप में सेव करना भी अपराध की श्रेणी में आता है। यह भी आईटी कानून 2008 के अंतर्गत अपराध माना जाता है। सामान्य पोर्नोग्राफी देखना अपराध नहीं है लेकिन पॉर्नोग्राफी को शेयर करना अपराध की श्रेणी में आता है।