Raipur। छत्तीसगढ़ में 9 सितंबर को दोपहर बाद से कुल ज़िलों की संख्या 33 हो जाएगी। नौ सितंबर की सुबह मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर ज़िला अस्तित्व में आएगा, और उसके कुछ घंटों के बाद सक्ती ज़िला अस्तित्व में आ जाएगा। मनेंद्रगढ़ और सक्ती में नए जिले को लेकर भव्य समारोह की तैयारियाँ चल रही हैं। पहले यह सूचना थी कि, नौ तारीख को मनेंद्रगढ और दस तारीख को सक्ती का उद्घाटन होगा। लेकिन अब इसे नाै सितंबर को ही करने का फैसला लेने की खबरें हैं। कोरिया से अलग होकर नए जिले के रूप में आकार ले रहा मनेंद्रगढ हो या फिर सक्ती यह दोनों विधानसभा अध्यक्ष महंत का क्षेत्र है।
सीएम बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत करेंगे उद्घाटन
मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर और सक्ती ज़िले के उद्घाटन समारोह की सबसे बड़ी अनिवार्यता विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत की मौजूदगी है। इस अनिवार्य उपस्थिति के साथ मुख्यमंत्री बघेल 9 सितंबर को सुबह क़रीब 11 बजे मनेंद्रगढ़ में नए ज़िले का उद्घाटन करेंगे,और उसके बाद क़रीब दो बजे सक्ती ज़िले का उद्घाटन करेंगे।
कोरिया में नाराज़गी,चिरमिरी भी सुलगी
असंतुलित बँटवारे से कोरिया जिससे कि विभाजित होकर नया ज़िला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर बन रहा है, उस कोरिया में नए ज़िले को लेकर विरोध तो नहीं है लेकिन असमान वितरण से नाराज़ हैं। नए ज़िले मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर के गठन के बाद कोरिया ज़िले में कुछ बचा ही नहीं है। कोरिया ज़िले में केवल दो जनपद रहेंगे,पुलिस के दृष्टिकोण से यह एक ऐसा ज़िला हैं जिसे चार थानों का ज़िला कहा जाएगा।
मसला नवगठित जिला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में भी है। इस नवगठित ज़िले में चिरमिरी में लंबे अरसे से एक आंदोलन चल रहा है जिसमें यह माँग है कि, ज़िला मुख्यालय चिरमिरी को बनाया जाए। लेकिन माँग पूरी ना होते देख कल याने 8 सितंबर से आमरण अनशन की घोषणा की गई है, वहीं 9 सितंबर जबकि नए ज़िले का उद्घाटन होगा, उस दिन ज़िला मुख्यालय बनाओ संघर्ष समिति ने काला दिवस मनाने का फ़ैसला किया है।
मनेंद्रगढ़ में जश्न, दशकों के संघर्ष का फल मिला
मनेंद्रगढ़ के लिए यह मौक़ा जश्न का है। क़रीब पैंतीस साल पुराना संघर्ष का इतिहास ज़िला मुख्यालय को लेकर मनेंद्रगढ़ का रहा है। एकीकृत मध्यप्रदेश के समय नए ज़िलों के गठन और उसके मुख्यालय की आवश्यकता को समझने जिस आयोग को बनाया गया था, उसमें मनेंद्रगढ़ को ज़िला बनाने की मज़बूत सिफ़ारिश की थी। दिग्विजय शासनकाल के समय इस आयोग की रिपोर्ट पर अमल हुआ और कोरिया ज़िला अस्तित्व में आ गया, लेकिन मामला तब फिर भड़क गया और आंदोलन हिंसक हो गया क्योंकि ज़िला मुख्यालय बैकुंठपुर बनाया गया। ज़िला मुख्यालय बैकुंठपुर बनने के पीछे बिलाशक जिस शख़्स को इसका श्रेय जाता है वह कोरिया कुमार डॉ आर सी सिंहदेव थे। उस दौर के उग्र आंदोलन को लेकर एक क़िस्सा अक्सर मनेंद्रगढ़ में कहा जाता है। वह क़िस्सा है कि राज्य परिवहन की बसें उग्र आंदोलन की भेंट चढ़ गई तो तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्गी राजा ने ज़िला मुख्यालय बैकुंठपुर का फ़ैसला बदलने के बजाय यह कह दिया कि, मेरे पास और ढेरों कंडम बसें हैं, मै उसे भी भेज देता हूँ। जैसे कई सियासती क़िस्से होते हैं यह क़िस्सा भी वैसा ही है। इसका कोई लिखित प्रमाण नहीं मिलता लेकिन यह क़िस्सा खूब कहा सुना जाता है।
भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरो ने ज़िला और ज़िला मुख्यालय की सौगात मिलने पर मुख्यमंत्री बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत का आभार जताया है। गुलाब कमरो ने द सूत्र से कहा
“यह बहुत बड़ी सौग़ात है, मेरा क्षेत्र भरतपुर सोनहत वनांचल और आदिवासी बाहुल्य इलाक़ा है।वहाँ के कई गाँव के लिए ज़िला मुख्यालय जाने का मतलब दो दिनों का सफ़र था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। मनेंद्रगढ़ में ज़िला मुख्यालय होना मनेंद्रगढ़ के दशकों के आंदोलन का हासिल है। मुझे यह भरोसा भी है कि, नया जिला है तो जो दूरस्थ इलाक़े हैं वहाँ हम ऐसा प्रशासनिक ढाँचा बैठा लेंगे कि, जनता के लिए दूरी कम से कमतर होगी।”