SARGUJA: जिला मुख्यालय (district headquarter) से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर स्थित है हरिहरपुर गांव (hariharpur gaon)। इस गांव में तीन कोयला खदानों (coal mines) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। मंगलवार तक इस विरोध प्रदर्शन ने 113 दिन पूरे कर लिए हैं। वैसे ग्रामीणों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए राज्य सरकार ने तीन कोयला खदान परियोजना से संबंधित सारी प्रक्रियाएं रोक दी हैं। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी नहीं माने हैं। प्रदर्शनकारी इस परियोजना को रोकने नहीं बल्कि रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं। ये खदान छत्तीसगढ़ सरकार (chhattisgarh government) ने राजस्थान (rajasthan) राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित की हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की एक मुलाकात हुई थी, जिसमें खदानों पर चर्चा हुई। जिसके बाद राज्य सरकार ने सरगुजा और सूरजपुर जिलों में जंगल की जमीन का बड़ा हिस्सा गैर वानिकी कार्य करने के इस्तेमाल में लेने के लिए अनुमति दे दी। हसदेव अरण्य (hasdeo aranya) क्षेत्र में आवंटित केंटे एक्सटेंशन कोयला खदान पर जनसुनवाई लंबित है।
कर चुके हैं पैदल मार्च
ग्रामीण इस मामले पर पहले भी विरोध दर्ज करवा चुके हैं। पिछले साल अक्टूबर में ग्रामीणों ने सरगुजा से रायपुर तक 300 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की थी। उस वक्त उन्होंने वनभूमि में प्रस्तावित खदान के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया था। इसके बाद भी जब राहत नहीं मिली तो परियोजना से प्रभावित साल्ही, फतेहपुर, हरिहरपुर और घाटबर्रा गांव के निवासियों ने हरिहरपुर गांव में ही डेरा जमा लिया और अनिश्चिकालीन प्रदर्शन शुरू कर दिया।
प्रदर्शन का केंद्र बना हरिहरपुर
इसके बाद से ही हरिहरपुर प्रदर्शन का केंद्र बन गया है। प्रदर्शनकारी अपने घर से सामान लाते हैं और यहीं पका कर खाते हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि कोयले की खातिर जंगलों को नष्ट न किया जाए। बल्कि जंगल संरक्षित करने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि बरसात में भी वो यहीं डटे रहेंगे। जब तक कि उनकी मांग पूरी नहीं हो जातीं।