Raipur।हसदेव अरण्य में उत्खनन को लेकर कैंब्रिज विश्वविद्यालय में युवाओं से संवाद के दौरान राहुल गांधी ने बेहद साफगाेई से यह स्वीकारा है कि, इस मसले को लेकर जो निर्णय हुआ है,उससे उनकी असहमति है,उन्हे दिक्कत है इसलिए वे उत्खनन के निर्णय का पक्ष नहीं लेंगे, इसी के साथ राहुल गांधी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि, वे इस मसले को लेकर पार्टी के भीतर चर्चा कर रहे हैं, और जल्द ही नतीजे छत्तीसगढ़ में दिखेंगे। राहुल के इस बयान के सूबे के राजनीतिक वर्ग में कई मायने निकाले जा रहे हैं,वहीं हसदेव अरण्य को बचाने की जद्दोजहद में जुटे सामाजिक कार्यकर्ता उत्साहित हैं। हालांकि उन्हे राहुल गांधी के जल्द नतीजे का इंतजार है।
क्या हुआ कैंब्रिज में
राहुल गांधी बीते साेमवार को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कॉपर्स क्रिस्टी कॉलेज में छात्राें से संवाद कर रहे थे। यह वही संवाद कार्यक्रम था जिसमें राहुल गांधी से हसदेव अरण्य को लेकर सवाल हुआ, एक छात्रा ने उनसे पूछा
2015 में आपने छत्तीसगढ़ के आदिवासी लोगों के साथ खड़े होने का वादा किया था, जिनके जीवन और जमीन को खनन और वन कटाई से खतरा है। लेकिन यह कांग्रेस पार्टी अपने निर्णय से पलट गई और अब हसदेव में खनन हेतु वन काटने की अनुमति दे रही है। आदिवासियों के अधिकारों को देखते हुये आप अपनी पार्टी के इस निर्णय के साथ कैसे खड़े हो सकते हैं जब आपने पहले ऐसे वादे किए हैं?
इस असुविधाजनक से लगते सवाल पर राहुल ने बेहद साफगोई से कहा
मुझे खुद इस निर्णय से दिक्कत है। इसलिए मैं इसका पक्ष नहीं लूंगा।
जबकि राहुल गांधी ने इस जवाब के जरिए यह स्पष्ट किया कि, वे हसदेव अरण्य इलाके में उत्खनन के फैसले से सहमति नही रखते तो अगला सवाल हुआ
ठीक है, तो आप इसके विरोध में खड़े होने के लिए क्या कर रहे हैं?
इस सवाल पर राहुल ने कहा
मैं इस पर काम कर रहा हूँ। मैं अपनी पार्टी के अंदर इस पर काम कर रहा हूँ।
इस जवाब पर उनसे आग्रह किया गया कि, वे इसे विस्तार से बताएं कि आखिर काम क्या कर रहे हैं तो राहुल गांधी ने कहा
आपको नतीजा दिख जाएगा
इस जवाब पर युवा छात्रा ने फिर सवाल किया कि, नतीजे कब और कहां दिखेंगे तो राहुल ने कहा
कुछ हफ़्तों में,छत्तीसगढ़ में
इस पर आखिरी सवाल आया कि, क्या आप उन्हे अर्थात उत्खनन को पूरी तरह रोकने के लिए काम कर रहे हैं तो राहुल गांधी ने कहा
मैं इस पर काम कर रहा हूँ। मुझे विरोध की जानकारी है। मुझे पता है कि वहां विरोध प्रदर्शन चल रहा है और मुझे लगता है कुछ मायनों में यह विरोध न्यायोचित है।
राहुल गांधी के इस बयान से हसदेव अरण्य को बचाने को लेकर जूझ रहे पर्यावरण पंसद और सामाजिक कार्यकर्ताओं में खुशी तो है, लेकिन उन्हे राहुल गांधी की उस बात के क्रियान्वयन का इंतजार है जिसमें कि उन्होेने कहा है कि, नतीजे दिखेंगे, जल्द दिखेंगे और छत्तीसगढ़ में दिखेंगे।