RAIPUR: रायपुर के जगन्नाथ मंदिर (jagannath mandir) में भगवान अब स्वस्थ हो गए हैं। जिसके बाद मंदिर में नेत्र उत्सव (netra utsav) मनाया गया। नेत्रउत्सव तब मनता है जब 15 दिन बीमार रहने के बाद भगवान अपने नेत्र खोलते हैं। भगवान के अस्वस्थ रहने के दौरान उन्हें अलग अलग जड़ी बूटियों से बना काढ़ा पिलाया जाता है। इस काढ़े से भगवान स्वास्थ लाभ लेते हैं। अब भगवान स्वस्थ हो चुके हैं। और नेत्र खोल चुके हैं। पूरे धूमधान से नेत्र उत्सव मनने के बाद अब रथ यात्रा की तैयारी है।
नेत्र उत्सव शुरू होते ही मंदिर के महंत और पुजारियों ने जगन्नाथ प्रभु के नेत्र खोलने की सारी परंपराएं निभाई। इस अवसर पर प्रभु का पूरा श्रृंगार किया गया। पहले भगवान का पूजन और हवन हुआ। जिसके बाद मंदिर के पट भक्तों के लिए खोल दिए गए। भगवान के रोगग्रस्त होने के चलते मंदिर के पट 15 दिनों से बंद थे। पट खुलते ही मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए भक्त बड़ी तादाद में मंदिर पहुंचे।
1 जुलाई को होगी रथ यात्रा
अब जब भगवान स्वस्थ हो चुके हैं ये भक्त और भगवान के बीच सीधा संवाद करने का समय है। जो रथ यात्रा के जरिए होगा। आयोजन समिति के मुताबिक रायपुर में एक जुलाई से भव्य रथ यात्रा निकलेगी। ये ऐसा पर्व होता है जिसमें भक्त और भगवान आपस में जुड़ते हैं। दोनों का रिश्ता भी गहरा होता है।
मौसी के घर जाएंगे जगन्नाथ
भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ तीन अलग-अलग रथ पर सवार होंगे। अपने मंदिर से निकलकर तीनों अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाएंगे। इसे ही रथ यात्रा कहा जाता है। रथ यात्रा में शामिल जगन्नाथ जी के रथ को नंदीघोष कहा जाता है, उनके ज्येष्ठ के रथ को ताल ध्वज कहते हैं और दोनों भाइयों के मध्य चलता है बहन सुभद्रा का रथ। जिसे देव दलन रथ कहते हैं।