Raipur। कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य की दो सीटों के लिए दो नामों का एलान होते ही विपक्ष हो या फिर आम नागरिक सभी ने इस पर सवाल खड़े कर दिए हैं।सोशल मीडिया पर मीम की बाढ़ सी आ गई है, तुकबंदी के अंदाज में नारे गढ़ दिए जा रहे हैं जिसे पढ़ कर लोग मौज ले रहे हैं। यह बवाल बखेड़ा इसलिए हुआ है क्योंकि भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार,सरकार के तंत्र का एक बेहद प्रभावी हिस्सा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस संगठन यह प्रचारित प्रसारित करने में कोई कमी नहीं करते कि, भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ी के प्रति ‘ना भूतो ना भविष्यति’ वाले अंदाज में समर्पित है। लट्टू घुमाने गेड़ी चढ़ने से लेकर बोरे बासी जैसे खाद्य संस्कार जो उड़ीसा में पखाल दिवस के रुप में अरसे से स्थापित है उन सबको प्रचार की ऐसी उंचाई दी गई कि यह बात विश्वसनीय रुप से मानस में स्थापित भी हुई।अब ऐसे में जबकि राज्यसभा से दो सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम में छत्तीसगढ़ से किसी का नाम नहीं है,तो उससे बीजेपी को सियासती हमले का अवसर मिला है, और लोगों को मौज लेने का, दोनों ही अपना काम मुकम्मल अंजाम दे रहे हैं।
राज्यसभा के लिए एक यूपी से एक बिहार से प्रत्याशी
राज्यसभा के लिए कांग्रेस ने राजीव शुक्ला को और श्रीमती रंजीत रंजन को प्रत्याशी घोषित किया है। इनमें से राजीव शुक्ल की पृष्ठभूमि यूपी से जबकि श्रीमती रंजीत रंजन की राजनैतिक भूमिका बिहार से है।इन दो नाम के सार्वजनिक होने के ठीक पहले यह तेज़ी से प्रचारित हुआ था कि, तुलसी साहू राज्यसभा की प्रत्याशी होंगी। तुलसी साहू जो कि चार धाम की यात्रा पर थीं उन्हें वापस आने के लिए फ़ोन गया था और वे वापस आ रहीं थीं, लेकिन जबकि उत्तराखंड से दिल्ली पहुँच रहीं थीं तभी मुकुल वासनिक के दस्तख़त से वह पत्र जारी हो गया जिसमें यह उल्लेख था कि, कांग्रेस के राज्यसभा से प्रत्याशी कौन कौन होंगे, और उसमें तुलसी साहू का नाम मौजूद नहीं था। तुलसी साहू के नाम के पहले भी छत्तीसगढ़ से कई दावेदार पूरा दम लगाए हुए थे, इनमें कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, पी आर खूँटे, किरणमयी नायक के नाम भी शामिल थे। बेहद गंभीरता से खबरें सीएम बघेल के सलाहकार विनोद वर्मा की भी थीं।पर जैसा कि लिस्ट से स्पष्ट हुआ, किसी नाम को जगह नहीं मिली।यहाँ नाम से आशय छत्तीसगढ़ और छत्तीसगढ़िया है, जिसका कोई उल्लेख नहीं था। पर ऐसा नहीं है कि यह केवल छत्तीसगढ़ में हुआ बिलकुल ऐसा राजस्थान में भी हुआ और छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान में यह विशिष्ट समानता है कि दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार है।
बीजेपी हुई हमलावर
जैसे ही AICC ने राज्य सभा के लिए प्रत्याशी का घोषणा की, भाजपा हमलावर हो गई।बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष विष्णु देव साय ने सवाल किया कि,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल यह बताएँ कि, उनका तथाकथित छत्तीसगढ़िया वाद कहाँ छुप गया है।बीजेपी अध्यक्ष साय ने पूछा
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बताएँ कि उन्हें कृषि विश्वविद्यालय में तो छत्तीसगढ़िया कुलपति चाहिए होता है, लेकिन छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ का राज्य सभा सांसद नहीं चाहिए होता है।
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने इस फ़ैसले को छत्तीसगढ़ के साथ छल बताते हुए कहा
छत्तीसगढ़ को धोखा मिला है,पौने तीन करोड़ की आबादी में एक राज्यसभा का सदस्य बन जाए वैसी योग्यता कांग्रेस को दिखाई नहीं दी है।कांग्रेस को कांग्रेस ने धाेखा दिया है।
बीजेपी के दिग्गज नेता राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह ने इस मसले को लेकर ट्विट किया है, और टिप्पणी की है कि कांग्रेस और भूपेश बघेल के लिए छत्तीसगढ़िया सिर्फ़ बातों में हैं। डॉ रमन सिंह ने ट्विट पर लिखा है
कांग्रेस और भूपेश बघेल के लिए छत्तीसगढ़िया सिर्फ बातों में है, जब नेतृत्व की बात आती है तो इधर-उधर के राज्यों से नेता आयातित कर उन्हें राज्यसभा भेज देते हैं।भाजपा ने कभी किसी बाहरी नेता को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा नहीं भेजा और यह सरकार छत्तीसगढ़ी लोगों का अधिकार छीनने में लगी है।
छत्तीसगढ़ का अपमान है यह बात क़द्दावर बीजेपी नेता और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भी कही है। जबकि तंज और तीखे शब्द बाणों के लिए पहचाने जाने वाले अजय चंद्राकर ने तो बैक टू बैक ट्विट की क़तार ही लगा दी है।
छजका अध्यक्ष अमित जोगी ने जय हो हाईकमान भाड़ में जाये छत्तीसगढ़ का मान के साथ बाहरी प्रत्याशियों को कांग्रेस की दूषित सोच बताया है। अमित जोगी ने सीएम भूपेश बघेल को निशाने पर लेते हुए लिखा है कि,उन्होने छत्तीसगढ़ के मान सम्मान को दिल्ली में बेच दिया है।अमित जोगी ने पिता अजीत जोगी के शासनकाल का जिक्र करते हुए याद दिलाया है कि, उन्होने अपने अल्प कार्यकाल में तीन छत्तीसगढ़ियाें श्रीमती कमला मनहर,रामाधार कश्यप और मोतीलाल वोरा को राज्यसभा में भेजा था। अमित जोगी ने आह्वान किया है
मैं कांग्रेस के सभी विधायकों से विनती करता हूं कि,छत्तीसगढ़ की अस्मिता और मान की खातिर,10 जून को थाेपे गए दोनों बाहरी प्रत्याशियाें के लिए वाेट न करें। पहले छत्तीसगढ़ है फिर राजनीति,अगर हम छत्तीसगढ़ का मान नहीं रख सकते तो ऐसी राजनीति किस काम की। साेचिए जरा
मीम और तुकबंदी ने भी जगह बनाई
राज्यसभा में छत्तीसगढ़िया के ना होने के मसले ने मीम भी तैयार कर दिए हैं। ना केवल मीम बल्कि तुकबंदी में तंज भी मौजूद हो गए हैं। किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष गौरी शंकर श्रीवास ने व्यंग्यात्मक अंदाज में ट्विट पर लिखा है
छत्तीसगढ़िया रत्नबेटी ग्राम रानीतराई पाटन वाली (हर्ले ड़ेविलशन बाइक) रंजित रंजन जी ल छत्तीसगढ़ के राज्यसभा सांसद बने के सेती बधाई।
इसके साथ साथ तुकबंदी में तंज का अलग दौर जारी है। व्हाट्सएप कतार लगी है। मसलन एक में लिखा है
-“एक युपी दूसर बिहारी धरो कांदा ला ये दारी”
जबकि एक और जो व्हाटसएप पर वायरल हो रहा है उसमें किसी ने लिखा है
यहाँ के नेता बस नरवा गरवा घुरवा बारी,गेड़ी चढ़ भवरा चला पलाटी मार अउ बसी ल खा सगवारी
इसके अलावा भी कई तुकबंदियां साेशल मीडिया पर वायरल हो रहीं हैं।
यह त्याग का समय है - मोहन मरकाम
इस मामले में चाैतरफा घिरी कांग्रेस की ओर से पीसीसी चीफ मोहन मरकाम की बेहद सधी और संक्षिप्त टिप्पणी देते हुए आलाकमान के निर्णय का स्वागत किया है। मोहन मरकाम ने कहा है
आदरणीया सोनिया जी ने कहा है,यह त्याग का समय है,कांग्रेस से बहुत कुछ मिला है,अब देने का वक्त है,हम सभी कांग्रेस जन इस निर्णय का स्वागत करते हैं