BHANUPRATAPPUR. हाईकोर्ट ने 58 फीसदी आरक्षण रद्द किया है जिसके बाद यह मामला प्रदेश में दिनों दिन बड़ा रूप अख्तियार कर रहा है। आरक्षण में कटौती को लेकर आदिवासी समाज सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर रहा है। भारी विरोध प्रदर्शन के चलते शहर की दुकानें पूरी तरह से बंद कर दी गईं हैं। दूसरी ओर कहीं कोई अनहोनी न हो इसे ध्यान में रखकर शहर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम भी किए गए हैं।
बंद को मिला व्यापारी संघ का समर्थन
जिले में आदिवासी समाज के बंद के आह्वान को व्यापारी संघ का भी समर्थन मिला। आज इसका सीधा असर देखा गया। सुबह से ही आदिवासी समाज ने व्यापारियों से दुकानें बंद करने की अपील की थी और विरोध प्रदर्शन में सहयोग देने को कहा था। दोपहर में आदिवासी समाज के लोगों ने शहर में बड़ी रैली निकालकर अपना विरोध जताया।
जिला बंद के चलते लोग हुए परेशान
जिला बंद का असर भानुप्रतापपुर, अंतागढ और दुर्गूकोंदल में साफ तौर पर देखा गया। दुकानें पूरी तरह से बंद रहीं। दूसरी ओर बंद के चलते लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। मेडिकल समेत जरूरी दुकानें को ही बंद में छूट दी गई। बंद को देखते हुए सुरक्षा के नजरिए से शहर में पुलिस बल की तैनाती की गई। जिससे किसी प्राकर की कोई अप्रिय घटना ना हो सके। हंगामे वाली जगहों पर बड़ी संख्या में पुल्स के जवान तैनात रहे।
बीते दिनों बीजेपी ने किया था प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जनजाति वर्गों को दिए जाने वाले 32 फीसदी आरक्षण में से 12% आरक्षण घटाए जाने को लेकर बीजेपी ने बीते दिनों चक्काजाम किया था। बस्तर, दुर्ग, सरगुज़ा में बीजेपी आदिवासी मोर्चा ने दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक नेशनल हाइर्व में चक्काजाम कर प्रदर्शन किया था। जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग बीजेपी, अनुसूचित जाति वर्ग बीजेपी, युवा मोर्चा और अनुसूचित जनजाति महिला मोर्चा के पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
प्रदेश सरकार पर आरोप
बीजेपी अनुसूचित जनजाति वर्गों ने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि यह सरकार आदिवासियों को दिए जा रहे आरक्षण की विरोधी सरकार है। जिसकी वजह से हाईकोर्ट में अच्छे वकील बहस नहीं की जिसकी वजह से 32 फीसदी आरक्षण को घटाकर 20 फीसदी कर दिया गया है। इससे आदिवासी समाज में भारी आक्रोश है।
बूथ लेवल पर जाकर सरकार की मनसा बताएंगेः बीजेपी
बीजेपी का कहना है कि आने वाले समय में उग्र आंदोलन के साथ बूथ लेवल स्तर पर जाकर इस सरकार की मनसा को बताएंगे और आने वाले 2023 चुनाव में इसका मुंहतोड़ जवाब जनता देगी। जाहिर है कि आगामी चुनावों को देखते हुए बीजेपी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है।