सीहोर. सीहोर (Sehore) जिले की ग्राम पंचायत छापरी कलां (Gram Panchayat Chhapri Kalan) में सभी ग्रामीणों ने एकता की एक अनोखी मिसाल कायम की है। गांववालों ने सरपंच चुनाव (Sarpanch Election) में होने वाले विवादों को टालने के लिए सर्वसम्मति से अपना सरपंच चुन लिया है। इस फैसले से गांव के सभी नागरिक खुश भी हैं।
चार उम्मीदवारों में से चुनना था सरपंच
चुनाव के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं। यह देखते हुए ग्राम चंदेरी के समाजसेवी एमएस मेवाड़ा (Social Worker MS Mewada) और युवा संगठन ने पहल की। आपसी रंजिश मिटाने के लिए सभी ग्रामीणों को बुलाकर बैठक करवाई गई। सरपंच का चुनाव लड़ने वाले चार प्रत्याशियों बने सिंह, बाबूलाल, चंद्र सिंह और धर्मेंद्र सिंह (Bane Singh Mewada, Chandersinh Mewada, Babulal Mewada, Dharmendra Mewada) की उम्मीदवारी तय हुई। इन चारों से मंदिर विकास के लिए 11-11 हजार रुपये जमा कराए गए। राम मंदिर में बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि चारों उम्मीदवारों के नाम की चार पर्चीयाँ बनाई जायेंगी। जिसके बाद गांव की एक सात वर्षीय लड़की से पर्ची चुनने के लिए कहा गया। पहली पर्ची पर चंद्र सिंह मेवाडा का नाम आया जिसके बाद सभी ग्राम वासियों ने उनका समर्थन किया और उनको सर्वसम्मति से सरपंच चुन लिया गया। बैठक में चुनावी खर्च का आंकलन कर 4 लाख 20 हजार रुपये की तय राशि को मंदिर विकास में दान में देने का फैसला लिया गया।
चार उम्मीदवारों में से चुनना था सरपंच
चुनाव के नाम पर लाखों रुपये खर्च होते हैं। यह देखते हुए ग्राम चंदेरी के समाजसेवी एमएस मेवाड़ा और युवा संगठन ने पहल की। आपसी रंजिश मिटाने के लिए सभी ग्रामीणों को बुलाकर बैठक करवाई गई। सरपंच का चुनाव लड़ने वाले चार प्रत्याशियों बने सिंह, बाबूलाल, चंद्र सिंह, धर्मेंद्र सिंह की उम्मीदवारी तय हुई। इन चारों से मंदिर विकास के लिए 11-11 हजार रुपये जमा कराए गए। राम मंदिर में बैठक कर यह निर्णय लिया गया कि चारों उम्मीदवारों के नाम की चार पर्चीयाँ बनाई जायेंगी। जिसके बाद गांव की एक सात वर्षीय लड़की से पर्ची चुनने के लिए कहा गया। पहली पर्ची पर चंद्र सिंह मेवाडा का नाम आया जिसके बाद सभी ग्राम वासियों ने उनका समर्थन किया और उनको सर्वसम्मति से सरपंच चुन लिया गया। बैठक में चुनावी खर्च का आंकलन कर 4 लाख 20 हजार रुपये की तय राशि को मंदिर विकास में दान में देने का फैसला लिया गया।
जमा करना होगा नामांकन - सीईओ
जिला पंचायत सीईओ हर्ष सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत छापरी कला का मामला मेरे संज्ञान में नहीं है। यदि ग्रामीणों ने चुना है तब भी नामांकन जमा करना होगा। यदि अन्य प्रत्याशी सामने नहीं आते हैं तो वैधानिक प्रक्रिया के तहत उसे निर्विरोध चुना जाएगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो चुनाव होगा।
2012 में शराब बेचने पर भी लगा चुके हैं प्रतिबंध
ग्रामीणों की माने तो पहले गांव में शराब बेची जाती थी, जिससे आए दिन विवाद होते थे। इसे खत्म करने के लिए 2012 में गांववालों ने बैठक कर शराब बेचने पर प्रतिबंध लगाया था। गांव में शराब बेचने पर 22 हजार रुपये का जुर्माना तय किया गया है, वहीं मंदिर के सामने यदि कोई भी व्यक्ति शराब का सेवन कर गदर करता है, तो उस पर भी पांच हजार रुपये का जुर्माना तय किया गया है। प्रतिबंध लगने के बाद अभी तक शराब बिक्री से जुड़ा कोई मामला सामने नहीं आया है।
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