Kanker. विधानसभा उपाध्यक्ष और भानुप्रतापपुर से विधायक मनोज मंडावी का दिल का दौरा पड़ने से सुबह निधन हो गया। मनोज मंडावी की तबियत ठीक नहीं थी और सुबह उन्हें चारामा स्थित अस्पताल लाया गया जहां से बेहतर उपचार के लिए उन्हें रायपुर ले ज़ाया जा रहा था। रायपुर जाने के दौरान धमतरी के पास उनकी तबियत और गंभीर होते देख उन्हें अस्पताल लाया गया जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वहीं राज्य सरकार ने मनोज के निधन के बाद एक दिन का राजकीय शोक घोषित किया है।
आक्रामक छवि के क़द्दावर आदिवासी नेता थे मनोज मंडावी
58 वर्षीय विधायक मनोज मंडावी का जन्म 14 नवंबर 1964 को सामान्य कृषक परिवार में हुआ था। वे बेहद आक्रामक तेवर वाले आदिवासी नेता माने जाते थे। 1998 में उन्होंने भानुप्रतापपुर से पहली बार जीत दर्ज की थी। वे छत्तीसगढ़ की पहली कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने उन्हें गृह,जेल,परिवहन,लोक निर्माण और नगरीय प्रशासन मंत्री का पोर्टफ़ोलियो दिया था। मनोज मंडावी ने 2013 और 2018 में भी भानुप्रतापपुर से जीत दर्ज की थी। वे इस समय विधानसभा उपाध्यक्ष थे।
सीएम बघेल ने शाेक जताया
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विधानसभा उपाध्यक्ष मंडावी के निधन पर शाेक जताया है। उन्होने कहा कि मनोज सिंह मंडावी आदिवासी समाज के बड़े नेता थे। वे आदिवासियों की समस्याओं को विधानसभा में प्रभावशाली ढंग से रखते थे। श्री मंडावी आदिवासी समाज की उन्नति और अपने क्षेत्र के विकास के लिए सदैव प्रयासरत रहे। प्रदेश के विकास में उनके योगदान को सदैव याद रखा जाएगा। उनका निधन हम सबके लिए अपूरणीय क्षति है। मुख्यमंत्री ने मनोज सिंह मंडावी के शोक संतप्त परिवारजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए दिवंगत आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।
विधानसभा अध्यक्ष महंत ने कहा अपूरणीय क्षति
विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज मंडावी के असामयिक निधन पर गहरा दुख जताया है। डॉ महंत ने इसे अपूरणीय क्षति करार दिया है। विधानसभा अध्यक्ष डॉ महंत ने कहा कि, मनाेज मंडावी में आदिवासी समाज के प्रति समर्पित नेता थे। प्रदेश की विधानसभा में उन्होने बेहद कुशलता से अपने दायित्वाें का निर्वहन किया। डॉ महंत ने परिजनाें के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है।