Raipur. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ के बारह जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की घोषणा की,और इस घोषणा के साथ ही प्रदेश में श्रेय की होड़ मच गई है।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा पत्र सार्वजनिक किया तो तो डॉ रमन सिंह समेत क़रीब क़रीब पूरी बीजेपी ने भी इन बारह जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल होने को लेकर पूरी ताक़त से दम ठोका कि जो हुआ वह छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रयास से हुआ। चाहें मुख्यमंत्री बघेल हों या उनके समर्थक या कि डॉ रमन सिंह हों और उनके समर्थक दोनों ने ही इस मसले को लेकर लिखे पत्रों को सार्वजनिक किया है। श्रेय लेने की लड़ाई पूरे दमख़म से जारी है, लेकिन इस पूरे मामले में पहले पहल पत्र लिखकर लगातार इस मुद्दे को उठाने वाले स्व.दिलीप सिंह जूदेव और उनके पुत्र स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव की याद किसी को भी नहीं है।
कब लिखा था पत्र जूदेव ने
जशपुर कुमार स्व. दिलीप सिंह जूदेव ने 28 सितंबर 2008 को राज्यसभा सांसद रहते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को पत्र लिखा था और उसमें संवरा/सांवरा जाति के आदिवासी वर्ग में होने और केवल लिपिकीय त्रुटि की वजह से जाति प्रमाण पत्र जारी ना होने पाने का आग्रह किया था।
स्व. जूदेव के पुत्र स्व. युद्धवीर सिंह का पत्र
जिन जातियों को केंद्र सरकार ने आदिवासी या कि अनुसूचित जनजाति के रुप में मान्यता दी है, वे केवल उच्चारण या कि दर्ज की गई मात्रात्मक त्रुटियों की वजह से अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र हासिल नहीं कर पा रहे थे।चंद्रपुर से विधायक रहते हुए स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव ने 2 दिसंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को पत्र लिखा था। स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव का पत्र सवरा,पथारी, नागवंशी,धनवार,धनगढ,भारिया,भूमिया,पांडो, तनवर,कोंध,मांझी,मंझवार, गोड़,खैरवार,कोडाकू और बियार का उल्लेख करता है और यह आग्रह करता है कि,ये सभी अनुसूचित जनजाति के रुप में अधिसूचित होने के बाद भी मात्रात्मक त्रुटि और उच्चारण भिन्नता की वजह से जाति प्रमाण पत्र जारी होने में समस्याएँ हैं, उसे दूर करने हेतु निर्देशित करे।
मसला वोट का है तो श्रेय की जंग सहज है
दशकों से परेशान जिन 12 जाति समूहों को केंद्र सरकार ने अनुसूचित जनजाति के रुप में नोटिफाई किया है उससे बतौर आदिवासी होने के सरकारी अभिलेख उन्हें हासिल हो जाएँगे, जो उनके लिए बेहद अहम हैं। इन सभी की संख्या भी बेहद प्रभावी है। लोकतंत्र में संख्या बल वो भी जब मत के रुप में हो वोट के रुप में हो तो श्रेय लेने का मसला क्यों नहीं बनेगा, और वही हो रहा है। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के 12 जाति समूहों को अजजा के रुप में नोटिफाई करते ही सीएम बघेल ने ट्विट कर प्रधानमंत्री मोदी को 11 फ़रवरी 2021 का पत्र शेयर किया और लिखा
“माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र भेजकर छत्तीसगढ़ की विभिन्न जातियों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का आग्रह किया था।आज केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ की 12 जाति समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की स्वीकृति प्रदान की है।जनता को बधाई एवं @PMOIndia का धन्यवाद”
इसी के साथ डॉ रमन सिंह ने भी ट्विट किया और उन्होंने 17 जुलाई 2021 को प्रधानमंत्री मोदी को भेजे पत्र को शेयर किया और लिखा
“प्रधानमंत्री जी का यह फैसला छत्तीसगढ़ के 20 लाख लोगों के जीवन में नया सबेरा लेकर आएगा। इस संबंध में मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय मंत्री श्री अर्जुन मुंडा जी को पऋ लिखकर जनजाति भाइयों की पीड़ा को बताया था,जिसे आज केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दूर कर दिया।”
मसला यहीं तक नहीं थमा है, कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही ओर से सोशल मीडिया पर यह दावे तस्वीर के साथ हैं कि, इस सौग़ात से लाभान्वित वर्ग आभार जताने उन तक पहुँच रहा है।
अब केवल स्मृतियों में हैं जशपुर कुमार और युद्धवीर
बीजेपी के फ़ायर ब्रांड लीडर दिलीप सिंह जूदेव की मृत्यु 14 अगस्त 2013 को जबकि उनके पुत्र युद्धवीर सिंह जूदेव का निधन 20 सितंबर 2021 को हो गया। छत्तीसगढ़ के भीतर विशेषकर उत्तर छत्तीसगढ़ में बीजेपी को जूदेव के जाने के बाद कोई दूसरा विकल्प नहीं मिल पाया जो इस औरे में पहुँचना तो दूर इसके आस-पास भी पहुँच पाता। जशपुर कुमार स्व. दिलीप सिंह जूदेव के पुत्र स्व. युद्धवीर सिंह जूदेव के बाद अगर कुछ शेष है तो वह बस सन्नाटा है।