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BILASPUR. एक रसूखदार के कहने पर रायगढ़ के आदिवासी को गिरफ्तार कर जेल भेजने के मामले में दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। साथ ही जेल में बंद आदिवासी आरोपी को अंतरिम जमानत के रूप में तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।
तहसील से मकशीरो और उसकी बहनों के नाम जमीन चढ़ गई
बता दें कि रायगढ़ निवासी मकशीरो ने पिता पीला राम की मौत के बाद उनकी जमीन का नामांतरण करने के लिए तहसील में आवेदन किया था। तहसील से मकशीरो और उसकी बहनों के नाम जमीन चढ़ गई। इसके बाद मकशीरों ने एक आवेदन लगाया, कि उसके पिता की ऋण पुस्तिका गुम हो गई और उसे डुप्लीकेट ऋण पुस्तिका उपलब्ध कराया जाए, जिस पर दो आपत्तियां आई। अजीत मेहता ने कहा कि पीला राम ने जमीन मेरे नाम वसीयत कर दी है। वहीं अर्पित मेहता ने कहा कि मृतक पीला राम ने उन्हें जमीन लीज पर दे रखी है और ओरिजनल ऋण पुस्तिका हमारे पास है।
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पिता-पुत्र की आपत्ति को खारिज कर दिया
इसकी सुनवाई के दौरान तहसीलदार ने सवाल उठाया, कि एक आदिवासी की जमीन की वसीयत गैर आदिवासी कैसे करा सकता है और मेहता पिता-पुत्र की आपत्ति को खारिज कर दिया। साथ ही पुलिस को निर्देशित किया कि अजित मेहता से ओरिजनल ऋण पुस्तिका जब्त कर तहसील में जमा करें। इसके खिलाफ मेहता पिता पुत्र ने एसडीओ के समक्ष अपील किया वो भी खारिज हो गई। अपील खारिज होने के बाद मेहता पिता पुत्र ने कोतवाली पुलिस से मिलकर मकशीरो के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और उसे जेल भेज दिया।
कोर्ट ने जमानत देते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया
जिला न्यायालय से जमानत याचिका खारिज होने के बाद मकशीरों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई। मामले की सुनवाई हाईकोर्ट जस्टिस संजय के अग्रवाल और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की डिवीजन बेंच में हुई। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद जेल में बंद आदिवासी आरोपी मकशीरो को अंतरिम जमानत देते हुए तत्काल रिहा करने का आदेश दिया है।