AMBIKAPUR. झारखंड का रहने वाला और झारखंड के सीमावर्ती जिलों समेत छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में सक्रिय रहा पूर्व नक्सली एरिया कमांडर विकास उर्फ गुड्डू आखिर पकड़ा गया। जिस दौर में यहां नक्सली गतिविधियां बड़े पैमाने पर होती थी तब उसने जवानों समेत अन्य लोगों की हत्या करने व लूट जैसे अपराध किए थे। लिहाजा कोर्ट ने उसके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया था। पुलिस ने सरगुजा रेंज में ऑपरेशन ईगल चलाते हुए आखिरकार उसे दबोच लिया।
साल 2003 में उसे एरिया कमांडर की जिम्मेदारी मिली थी
आपको बता दें कि पूर्व नक्सली छोटा विकास उर्फ गुड्डू मूलतः झारखंड के रंका थाना क्षेत्र के ग्राम चपकली का रहने वाला है। बलरामपुर जिले में करीब 20 साल पहले नक्सलियों की सक्रियता थी। तब झारखंड के कई नक्सली भी यहां सक्रिय रहते थे। इनमें छोटा विकास उर्फ गुड्डू भी शामिल था। साल 2003 में उसे एरिया कमांडर की जिम्मेदारी मिली थी। उस दौर में उसका कार्यक्षेत्र झारखंड के गढ़वा जिले के रंका, धुरकी, बरडीहा व चैनपुर थाना के अलावा बलरामपुर जिले का चलगली, बलरामपुर, रामचंद्रपुर थाना था। साल 2003 में उसने साथी नक्सलियों के साथ मिलकर चलगली क्षेत्र में सीआरपीएफ गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया था।
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दो अलग-अलग प्रकरण में उस पर नामजद अपराध दर्ज हैं
इस मामले में उसके खिलाफ धारा 120बी, 109, 114, 115, 116 117, 145 के तहत अपराध दर्ज किया गया था। साल 2005 में उसके द्वारा रामचंद्रपुर थाना क्षेत्र में लूट, हत्या और 2007 में भी नक्सली घटना को अंजाम दिया गया। रामचंद्रपुर थाना क्षेत्र के दो अलग-अलग प्रकरण में उसके खिलाफ नामजद अपराध दर्ज है। चलगली थाने के प्रकरण में उसके खिलाफ फरारी में चालान भी पेश किया जा चुका है, जबकि रामचंद्रपुर थाना क्षेत्र के दो प्रकरणों में उसकी गिरफ्तारी की गई थी।
रेंज के सभी जिलों में ऑपरेशन ईगल चलाया जा रहा है
कुछ दिनों तक वह अंबिकापुर जेल में बंद रहा। थाना चलगली के एक नक्सली प्रकरण में उसके खिलाफ स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। इस बीच वह फरारी काटता रहा। पुलिस महानिरीक्षक रामगोपाल गर्ग ने फरार वारंटियों की धरपकड़ के लिए रेंज के सभी जिलों में ऑपरेशन ईगल चलाया जा रहा है। इसी के तहत पुलिस की गठित विशेष टीम ने आखिरकार उसे पकड़ लिया। उसे रामानुजगंज की अदालत में पेश किया गया।
झारखंड में दर्ज हैं 41 प्रकरण
बता दें कि छोटा विकास उर्फ गुड्डू के खिलाफ झारखंड के विभिन्न जिलों के अलग-अलग थानों में उसके खिलाफ कुल 41 प्रकरण हैं। इसमें गढ़वा जिले के थाना रंका, थाना धुरकी, थाना बरडीहा के साथ ही थाना चैनपुर में ये मामले दर्ज हैं। जब नक्सली गतिविधियां होती थीं उस दौर में छोटा विकास दुर्दांत नक्सलियों में गिना जाता था।
इसलिए कहलाया छोटा विकास
पुलिस के इंटेलिजेंस से इन नक्सलियों के बारे में और उनकी गतिविधियों के बारे में पता चलते रहता था। पुलिस ने जानकारी दी है कि तब एक और खतरनाक नक्सल लीडर था, जिसका नाम भी विकास था। ऐसे में उसे बड़ा विकास कहा जाने लगा और नक्सलियों के बीच यह छोटा विकास के रूप में प्रसिद्ध हो गया।