याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. ईडी के द्वारा चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन को पत्र के साथ अनिल टूटेजा और एपी त्रिपाठी के विरुध्द जारी समंस तामील कराए जाने के मसले पर उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के संयुक्त सचिव अनिल टूटेजा ने पत्र भेज कर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। टूटेजा ने सीएस अमिताभ जैन को पत्र लिखकर कहा है कि वह ईडी की कार्यवाही में सहयोग देने तैयार हैं, लेकिन उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर कर रखा है और इसलिए उन्हें दो हफ्ते का समय चाहिए। टूटेजा के पत्र में ईडी की मौजूदा कार्यवाही को अवैध और अनाधिकृत बताया गया है।
करीब पचास पन्ने का है पत्र
व्यापार एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव अनिल टूटेजा का यह पत्र करीब पचास पन्नों का है। इसमें से छ पन्नों में टूटेजा ने मुख्य सचिव को संबोधित करते हुए विस्तार से पक्ष रखा है। जबकि शेष 46 पन्नों में ईडी को लिखे गए पत्र समेत कई अन्य पत्रों के साथ अधिवक्ताओं द्वारा लिखे गए पत्रों की प्रतिलिपि है।
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ईडी ने चीफ सेक्रेटरी को भेजा था पत्र और समंस
ईडी ने चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन को पत्र भेजा था और उसमें उल्लेखित था कि उन्हें (ईडी ) को एपी त्रिपाठी और अनिल टूटेजा की तलाश है। दोनों को ही नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वे जांच में उपस्थित नहीं हो रहे हैं। ईडी ने पत्र के साथ समन की कॉपी भेजी थी और यह आग्रह किया था कि, चूकि चीफ सेक्रेटरी पूरे राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था का प्रमुख होता है, इसलिए वे अपने अधीनस्थ दोनों को यह समंस तामील कराएं और उन्हें ईडी के रायपुर कार्यालय में उपस्थित कराएं।
टूटेजा ने पत्र में क्या लिखा है?
व्यापार एवं उद्योग विभाग के संयुक्त सचिव टूटेजा ने पत्र में ईडी के पत्र के संदर्भ में मुख्य सचिव कार्यालय से जारी पत्र दिनांक 16 अप्रैल का जिक्र करते हुए लिखा है - ईडी की जांच अवैध है, अनाधिकृत है। ईडी जिस मसले पर जांच कर रही है, उसकी विधिक अधिकारिता को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई है। ईडी किसी शेड्यूल अपराध के बगैर जांच नहीं कर सकती और इस मामले में ईडी के पास कोई आईपीसी में दर्ज शैड्यूल अपराध नहीं है।
अनिल टूटेजा ने आगे लिखा है
ईडी के समन का या तो मैंने जवाब दिया है या मेरे प्रतिनिधियों ने जवाब दिया है। हमने इस में विधिक मसले भी उठाए हैं। हमने दो हफ्ते का समय मांगा है, क्योंकि इस संबंध में मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
किस मामले में जांच कर रही है ईडी
ईडी मौजूदा समय में शराब को लेकर जांच में जुटी है, लेकिन इस जांच के विषय क्या हैं। इसके आधार क्या है, इसे लेकर ईडी की ओर से कोई अधिकृत जानकारी नहीं दी गई है। जैसी कि ईडी की कार्यशैली है यह तब ही पता चलता है, जबकि ईडी गिरफ़्तारी की सूचना या कि रिमांड पत्र देती है। फिलहाल इस संबंध में कहीं से कोई सूचना नहीं है। कयास हैं कि यह दिल्ली में लगाए गए आयकर विभाग के परिवाद पर आधारित कार्यवाही है, कुछ का मानना है कि यह झारखंड में शराब के मसले को लेकर की गई कार्रवाई से जुड़ा मसला है।