नितिन मिश्रा. Raipur. छत्तीसगढ़ में पहली बार सबसे बड़ा रामायण महोत्सव आयोजित होने वाला है। सीएम भूपेश बघेल ने रामायण महोत्सव के बारे में खुद जानकारी दी है। यह कार्यक्रम रायगढ़ के रामलीला मैदान में 1 से 3 जून तक चलेगा। सरकार दावा कर रही है कि यह सबसे बड़ा महोत्सव होगा। जिसमे विदेशी कलाकार भी शामिल होंगे। मानस मंडलियों को पुरस्कृत भी किया जाएगा।
सरकार कर रही सबसे बड़ा आयोजन का दावा
छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्यमंत्री ने प्रदेश में सबसे बड़ा रामायण महोत्सव आयोजित करने का दावा कर रही है। रामायण महोत्सव 3 दिन का होगा, जिसमें देश के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों से मंडलियां आकर प्रस्तुति देंगी। यह कार्यक्रम रायगढ़ के रामलीला मैदान में 1 से 3 जून तक चलेगा। रामायण महोत्सव में देश के अलग-अलग राज्यों से आने वाले मानस मंडली के कलाकार दोपहर 2 बजे से शाम 6 बजे तक और विदेशों से आने वाले मानस मंडली के द्वारा रात 8 बजे से रात 10 बजे तक अपनी प्रस्तुति देंगे। रामायण महोत्सव में सामूहिक हनुमान चालीसा एवं भव्य आरती का आयोजन भी होगा। साथ ही इसमें हिस्सा लेने वाली मानस मंडलियों को पुरस्कृत किया जाएगा। जिसमें पहला पुरस्कार 5 लाख रुपये, दूसरा पुरस्कार 3 लाख रुपये और तीसरा पुरस्कार की राशि 2 लाख रुपये है।
छत्तीसगढ़ से गहरा है राम का नाता
छत्तीसगढ़ से मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी का पुराना नाता है। प्रदेश के चन्द्रखुरी में भगवान राम की माता कौशल्या जी का मायका है। इसलिए छत्तीसगढ़ के लोग भगवान राम को अपना भांजा मानते हैं। माना यह भी जाता है कि 14 साल के वनवास के दौरानश्रीराम दंडकारण्य से होकर गए थे और छत्तीसगढ़ का प्राचीन नाम दण्डकारण्य और कोसल नाम से प्रसिद्ध था। मान्यता यह भी है कि चन्दखुरी सैकड़ों साल पहले चन्द्रपुरी मतलब देवताओं की नगरी कहा जाता था, बदलते समय के साथ चन्द्रपुरी अब चन्द्रखुरी हो गया है। पौराणिक दृष्टि से इस मंदिर का अवशेष सोमवंशी कालीन आठवी-नौंवी शताब्दी के है। छत्तीसगढी संस्कृति में राम का नाम रचे-बसे भी है। जो इस बात का साक्षी है कि आज भी लोग एक दूसरे से मिलते वक्त राम राम कहते हैं।
छत्तीसगढ़ में हैं रामनामी संप्रदाय
छत्तीसगढ़ में रामनामी संप्रदाय के लोग निवास करते हैं। इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का गुदना गुदवाते हैं। शरीर के हर हिस्से पर राम का नाम, बदन पर रामनामी चादर, सिर पर मोरपंख की पगड़ी, घुंघरू रामनामी लोगों की पहचान है। जीवन भर मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम का गुणगान और भक्ति इनके जीवन का एक मात्र उद्देश्य है।