बिलासपुर में अनपढ़ बन गया आयुर्वेद अफसर, अप्लाई करने के लिए बनाईं फर्जी मार्कशीट, पता चला तो नौकरी से निकाला

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
बिलासपुर में अनपढ़ बन गया आयुर्वेद अफसर, अप्लाई करने के लिए बनाईं फर्जी मार्कशीट, पता चला तो नौकरी से निकाला

BILASPUR. बचपन में पढ़ाई से वंचित रह गए लोगों को साक्षर बनाने और फिर मुख्यधारा की पढ़ाई से जोड़ने के लिए चलने वाले साक्षरता कार्यक्रम को जरिया बनाकर नौकरी पाने का मामला सामने आया है। जिस व्यक्ति के पास आठवीं तक का सर्टिफिकेट नहीं था उसने फर्जी तरीके से अंकसूची बना ली और आयुर्वेद अफसर बन गया। भेद खुलने पर उसे बर्खास्त कर दिया गया है। मामला बिलासपुर जिले के कोटा का है।



औषधालय सेवक की वैकेंसी साल 2013 में निकली थी



आयुर्वेद विभाग के अंतर्गत कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में औषधालय सेवक की वैकेंसी साल 2013 में निकाली गई थी। इस दौरान बड़ी संख्या में आवेदन जमा हुए। इसमें प्रदीप कुमार माथुर पिता जमुना प्रसाद माथुर का भी आवेदन शामिल था। चयन प्रदीप कुमार का ही हुआ और औषधालय सेवक के रूप में उसी की नियुक्ति की गई। इस दौरान उसने नौकरी के लिए जो आवेदन दिया, उसमें पूर्व माध्यमिक समतुल्यता प्रमाण पत्र परीक्षा 2008 की शैक्षणिक योग्यता का प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था। उसमें रोल नंबर 58564 अंकित था। जबकि पूर्णांक 500 में 485 अंक का प्राप्तांक दर्ज था। 



यह खबर भी पढ़िए



जांजगीर में 3 लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा, 3 महीने से फरार थे, घर में चाकू अड़ाकर लूट और एटीएम में तोड़फोड़ का था आरोप



जांच के बाद पता चला की इस नंबर की मार्कशीट ही नहीं हुई जारी



उसकी अंकसूची को जारी करने वाली संस्था जिला परियोजना अधिकारी जिला साक्षरता मिशन प्राधिकरण कोरबा थी। लिहाजा वहां भेजकर इसका सत्यापन कराया गया। लेकिन, जब वहां रिकार्ड देखा गया तो पता चला कि इस नाम और रोल नंबर से कोई मार्कशीट जारी नहीं की गई है। लिहाजा मार्कशीट को फर्जी करार दिया गया। अब इसी आधार पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण तथा अपील) नियम 1966 के प्रावधानों के अनुसार आरोप सिद्ध हुआ। फिर बीते 21 नवंबर को जिला आयुर्वेद अधिकारी ने प्रदीप कुमार माथुर को शासकीय सेवा से बर्खास्त करने का आदेश जारी कर दिया है।



मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने सेतु का करता है काम



पहले के समय में संचालित प्रौढ़ शिक्षा निरक्षर रह गए बुजुर्गों और अधेड़ वर्ग के ​लोगों के लिए होती थी, ताकि वे भी अक्षर ज्ञान प्राप्त कर सकें। बाद में इसमें बदलाव किया गया और यह हर उस व्यक्ति के लिए कारगर बन गया जो सही उम्र में शिक्षा से वंचित रह गया हो। यानी 14 वर्ष से अधिक आयु के निरक्षर भी इसके माध्यम से अक्षर ज्ञान प्राप्त करने के बाद उनकी साक्षरता परीक्षा होती है। इसके बाद सेतु प्रवेशिका के तहत समतुल्यता परीक्षा होती है जो कक्षा तीसरी के बराबर होता है। इन दोनों परीक्षाओं को पास करने के बाद यहां कक्षा पांचवीं और आठवीं की परीक्षा की भी व्यवस्था की जाती है। इस तरह निरक्षर व्यक्ति भी मुख्यधारा की शिक्षा से जुड़ जाता है। लेकिन, इसे ही नौकरी हथियाने के लिए फर्जीवाड़ा कर जरिया बना लिया गया।


Chhattisgarh News छत्तीसगढ़ न्यूज Forgery in Bilaspur fake officer suspended in Bilaspur बिलासपुर में फर्जीवाड़ा बिलासपुर में फर्जी अधिकारी सस्पेंड