याज्ञवल्क्य मिश्रा, BILASPUR. आपराधिक षड्यन्त्र रचने, धोखाधड़ी और कूट रचना के आरोप में दर्ज एफआईआर पर हाईकोर्ट ने बिलासपुर पुलिस को जांच किए जाने की अनुमति दे दी है। हाईकोर्ट ने ये आदेश मंगलवार 9 मई को दिया। ये एफआईआर परिवाद के बाद दर्ज हुई थी। इस एफआईआर में पूर्व CB चीफ मुकेश गुप्ता, तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह, तत्कालीन एसपी अरविंद कुजुर डीएसपी अशोक जोशी समेत अन्य अधिकारी अभियुक्त बनाए गए हैं। हाईकोर्ट ने इस एफआईआर पर जांच के आदेश दे दिए हैं, लेकिन स्पष्ट किया है कि इस मामले में गिरफ्तारी नहीं होगी।
क्या है मसला
एसीबी ने 2014-15 में जल संसाधन विभाग में खारंग प्रभारी और बिलासपुर के कार्यपालन अभियंता आलोक अग्रवाल उनके भाई पवन अग्रवाल समेत उनके संबंधित लोगों के यहां छापेमार कार्रवाई की थी। एसीबी ने इस मामले में करोड़ों रुपए के ठेकों में गड़बड़ी करने और चेहेते ठेकेदारों को ठेका देने का मामला दर्ज किया था। ये कार्रवाई हुई और आलोक अग्रवाल लंबे अरसे तक इस मामले में जेल में रहे, लेकिन जैसे ही सरकार बदली, विभाग यानी एसीबी ने ये कहते हुए खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी कि कोई गड़बड़ी नहीं हुई, पात्रों को ही ठेके दिए गए। इस मामले में आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल की ओर से एक परिवाद पेश किया गया जिसमें आरोप लगाया गया कि 2014 में जबकि उनके खिलाफ एफआईआर की गई तो फर्जी दस्तावेज के आधार पर वो कार्रवाई की गई। ये परिवाद लोअर कोर्ट में लगाया गया था। कोर्ट ने परिवाद पंजीबद्ध करते हुए बिलासपुर पुलिस को आदेशित किया कि वह पूर्व ACB चीफ मुकेश गुप्ता, तत्कालीन एसपी रजनेश सिंह, तत्कालीन एसपी अरविंद कुजुर डीएसपी अशोक जोशी समेत अन्य अधिकारियों के खिलाफ अपराधिक षड्यंत्र रचने धोखाधड़ी और कूट रचना करने का अपराध दर्ज करे। इस पर हाईकोर्ट ने 3 मार्च 2021 को स्टे दे दिया था।
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हाईकोर्ट ने कहा
हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस राकेश मोहन पांडेय की युगल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। राज्य की ओर से ये बताया गया कि मामले की जांच इस मामले में दिए गए स्टे के आदेश की वजह से नहीं हो रही है। इस पर हाईकोर्ट ने इस आदेश को संशोधित कर दिया और मामले की जांच पर लगाई रोक हटा दी, लेकिन उस एफआईआर में आरोपियों की गिरफ्तारी पर रोक लगाई है। मामले की अगली सुनवाई 4 जुलाई को होगी।