बिलासपुर में बेअसर दवाओं ने रोक रखी थी टाइगर रिजर्व में नीलगायों की शिफ्टिंग, अब बेंगलुरु की दवा करेगी बेहोश

author-image
The Sootr CG
एडिट
New Update
बिलासपुर में बेअसर दवाओं ने रोक रखी थी टाइगर रिजर्व में नीलगायों की शिफ्टिंग, अब बेंगलुरु की दवा करेगी बेहोश

BILASPUR. कानन पेंडारी चिड़ियाघर में क्षमता से ज्यादा हो चुकीं नीलगायों को कोरिया जिले में गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व शिफ्ट करने का काम किया जा रहा है। बीते दिनों कुछ नीलगायों को भेजा जा रहा था तब उन्हें जो बेहोशी की दवा दी गई वह बेअसर साबित हुई। इसके कारण उनकी शिफ्टिंग रुक गई थी। अब बेंगलुरु से नई दवा पहुंच गई है। इससे अब जल्द ही बचे नीलगायों की शिफ्टिंग शुरू की जाएगी।



जू में वन्य जीवों के लिए बनाए हैं केज



कानन पेंडारी जू में सभी वन्यप्राणियों के लिए अलग-अलग केज बनाए गए हैं। सभी की अपनी- अपनी क्षमता है। सीजेडए यानी केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने सभी चिड़ियाघरों को क्षमता के अनुसार वन्यप्राणियों को रखने का नियम तय किया है। यदि किसी प्रजाति का वन्यप्राणी सरप्लस में है तो वह सीजेडए की वेबसाइट में इसका विज्ञापन जारी कर सकता है। दूसरे किसी चिड़ियाघर में कोई वन्यप्राणी सरप्लस में तो है उन्हें कोई दूसरे प्रजाति का वन्यजीव चाहिए तो वे आपस में चर्चा कर अदला-बदली कर सकते हैं। कानन पेंडारी चिड़ियाघर में भी इसी सुविधा का उपयोग कर वन्यप्राणियों की अदला-बदली कर कई नई प्रजाति लाई गई हैं तो सरप्लस को बाहर भेजा गया है। 



अब रह गए नीलगाय और चीतल



नीलगाय औप चीतल की संख्या लगभग सभी चिड़ियाघरों में सरप्लस में ही है, जिनके लेने वाले कोई नहीं हैं। ऐसे में अतिरिक्त चीतलों और नीलगायों को टाइगर रिजर्व और अभयारण्यों में भेजने की अनुमति सीजेडए से मांगी गई। अनुमति मिलने के बाद उनकी शिफ्टिंग की कवायद शुरू की गई। दोनों ही प्रजातियां बेहद संवेदनशील होती हैं, जिसके कारण उन्हें खदेड़कर सीधे गाड़ी में कभी नहीं चढ़ाया जा सकता। ऐसे में उन्हें बकायदा बेहोश किया जाता है और फिर वाहनों में भरकर उन्हें शिफ्ट किया जाता है। कानन पेंडारी में बेहोश करने वाली दवा को ट्रैक्यूलाइज किया गया, लेकिन इससे नीलगाय बेहोश नहीं हो रहे थे। तब जांच में पता चला कि ये दवाएं बेअसर हो गई हैं। इससे केवल दो नीलगायों को ही शिफ्ट किया जा सका। शेष को शिफ्ट करने के लिए बेंगलुरु से नई दवा मंगाई गई थी, जो अब पहुंच गई है। इससे जल्द ही शेष को शिफ्ट किया जाएगा।



33 नीलगाय हैं सरप्लस



सीजेडए की गाइडलाइन के अनुरूप यहां 10 नीलगायों को ही रखा जा सकता है। जबकि यहां उनकी संख्या बढ़कर 43 पहुंच गई थी। ऐसे में कुल 33 नीलगायों को शिफ्ट किया जाना है। उनमें से कुछ को अचानकमार टाइगर रिजर्व भेजा जाएगा तो कुछ को गुरु घासीदास टाइगर रिजर्व भेजा जा रहा है। इसी तरह चीतलों को भी इन्हीं दो जगहों पर भेजने की योजना बनाई गई है। बड़ी संख्या में चीतलों को शिफ्ट भी किया जा चुका है।


Shifting of nilgai in zoo wild animals will get sedation medicine animals will get medicine from Bangalore chital nilgai चिड़ियाघर में नीलगायों की शिफ्टिंग वन्य जीवों को लगेगी बेहोशी की दवा बैंगलुरू की दवा जानवरों को लगेगी चीतल नीलगाय