RAIPUR. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर इस बीच 3 अलग-अलग मुख्य प्रवृत्तियां उभरी हैं। पहली मुख्य प्रवृत्ति तो यह कि बीजेपी ने राज्य के स्थापित नेताओं की अपेक्षा मैदानी कार्यकर्ताओं को अधिक महत्व देना शुरू कर दिया है। बीजेपी ने अपने केंद्रीय स्तर के वरिष्ठ, अनुभवी और चुनावी चक्रव्यूह रचने में परिपक्व नेताओं को छत्तीसगढ़ में कमान सौंप दी है और इन केंद्रीय नेताओं ने बीजेपी के मैदानी कार्यकर्ताओं को प्रेरित करने और उन्हें अपने काम पर मुस्तैद करने के लिए काम शुरू कर दिया है। बीजेपी ने 90 विधानसभा के लिए पूर्णकालिक विस्तारक भी नियुक्त कर दिए हैं जो एक मई से हर बूथ पर पहुंचकर प्रचार करेंगे। ये विस्तारक चुनाव तक विधानसभा क्षेत्र में ही जुटे रहेंगे। इन्हें सोशल मीडिया, नमो एप, सरल पोर्टल, व्हाट्सएप जैसे माध्यमों से मतदाताओं से अनवरत संपर्क बनाने के लिए प्रेरित किया गया है। एक बात और बीजेपी ने यह घोषणा की है कि उनके वरिष्ठ नेता 2-2 विधानसभा क्षेत्रों के लिए जिम्मेदार बनाए जाएंगे। बहरहाल, यह नहीं बताया गया कि ये 45 वरिष्ठ नेता कौन होंगे।
कांग्रेस कर रही नया नेतृत्व तलाशने की कोशिश
कांग्रेस ने भी कुछ ऐसी ही योजना बनाई है। वैसे तो मुख्यमंत्री स्वयं सभी विधानसभा क्षेत्रों में भेंट-मुलाकात के कार्यक्रमों में जुटे हुए हैं। उसके साथ ही कांग्रेस संगठन ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं को भी प्रशिक्षित करने का दौर चलाया है। एक नई बात यह है कि कांग्रेस में राज्य की आरक्षित सीटों पर लीडरशिप डेवलपमेंट मिशन के तहत समन्वयक नियुक्त किए हैं जो उन क्षेत्रों में नया नेतृत्व तलाशने की कोशिश में हैं। बहरहाल, कांग्रेस में इन समन्वयकों की कार्य प्रणाली को लेकर आरक्षित क्षेत्र के कांग्रेसी मंत्रियों और विधायकों ने असंतोष जाहिर किया है।
प्रबल हिंदुत्व को उभार रही बीजेपी
दूसरी मुख्य प्रवृत्ति यह है कि बीजेपी ने प्रबल हिंदुत्व को उभारने का अपना सिलसिला जारी रखा है। इसके अंतर्गत जाने-माने प्रवचनकारों के बहुत बड़े-बड़े कार्यक्रमों के आयोजनों का दौर चल रहा है। पूरे छत्तीसगढ़ में प्रवचन, धर्मयात्रा, कलश यात्रा और झांकियों को निकालकर विशेषकर महिलाओं और युवाओं को आगे लाया जा रहा है। इसके बरक्स, कांग्रेस ने राम वन गमन पथ पर काम तेज कर दिया है। इसके साथ ही चंदखुरी में कौशल्या माता के मंदिर के पुनरुद्धार करने के साथ ही वहां बड़ा महोत्सव आयोजित किया गया है। कौशल्या माता महोत्सव को वार्षिक आयोजन का रूप दिया जा रहा है। कांग्रेस ने रामलीला का राष्ट्रीय आयोजन करने और रामायण मंडलियों को प्रोत्साहित करने की योजना घोषित की है।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव
तीसरी मुख्य प्रवृत्ति कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर है। कर्नाटक चुनाव में प्रचार के लिए पहले कांग्रेस हाई कमान ने छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की घोषणा की। दिलचस्प बात यह है कि कांग्रेस के नेता यह दावा कर रहे हैं कि कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव प्रचार का आधार छत्तीसगढ़ में सफल हुई कांग्रेस की नीतियां हैं। वैसे भी हाल-फिलहाल में जहां-जहां विधानसभा चुनाव हुए हैं, वहां कांग्रेस के संगठन, प्रचार-प्रसार को मजबूत करने में छत्तीसगढ़ कांग्रेस की भूमिका देखी जाती रही है। बीजेपी हाईकमान ने कर्नाटक चुनाव के लिए पहले तो छत्तीसगढ़ के किसी भी नेता को कोई जिम्मेदारी नहीं दी और इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ के बीजेपी नेताओं पर कांग्रेस के द्वारा कुछ छींटाकशी की जाने लगी। विलंब से ही सही किंतु अब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के कुछ नेताओं को कर्नाटक में चुनाव प्रचार का दायित्व सौंप दिया है।
आदिवासी सीटों पर जोर लगा रही बीजेपी
इन 3 मुख्य प्रवृत्तियों के अलावा एक बात बहुत स्पष्ट है कि बीजेपी अपना पूरा जोर आदिवासी सीटों पर लगा रही है और इसी के तहत बीजेपी के केंद्रीय नेता लगातार बस्तर का दौरा कर वहां कार्यकर्ताओं की बैठकें ले रहे हैं। कांग्रेस भी इन सीटों पर अपना पुराना कब्जा बनाए रखने के लिए कोशिश कर रही है, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण और धर्मांतरित हुए आदिवासियों को आरक्षण ना देने की मांग को लेकर बीजेपी लगातार अपना अभियान तेज करती जा रही है।
नक्सली हिंसा पर एक बार फिर चुनावी विमर्श
एक नए घटनाचक्र के रूप में नक्सल हिंसा एक बार फिर से चुनावी विमर्श के केंद्र में आ गई है, क्योंकि नक्सलवादी तत्व छोटी-मोटी वारदात लगातार कर रहे हैं। किंतु कोई 2 बरस के अंतराल के बाद इसी बुधवार को नक्सलवादियों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया जिसमें 10 पुलिस जवान और एक ड्राइवर शहीद हुए। इस घटना से भोपाल से लेकर दिल्ली तक सरकारी क्षेत्रों में चिंता की लहर दौड़ गई। इसके साथ ही कांग्रेस और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। इसका एक परिणाम यह भी हुआ है कि बड़े राजनेताओं के बस्तर चुनावी दौरे और प्रचार पर अनिश्चय की छाया पड़ गई है।
बीजेपी का कांग्रेस के खिलाफ अभियान तेज
बीजेपी ने राज्य की कांग्रेस सरकार की एक और घोषणा के विरुद्ध अभियान तेज किया है। राज्य सरकार ने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की योजना पर काम शुरू कर दिया है जिसके अंतर्गत बहुत बड़ी संख्या में युवाओं ने आवेदन किया है। इस योजना की शर्तें कुछ ऐसी हैं कि जिनसे कुछ हजार युवाओं को ही बेरोजगारी भत्ता मिल पाएगा। बीजेपी की कोशिश है कि इस योजना को लेकर बेरोजगार युवा किसी प्रकार कांग्रेस के प्रभाव में न आएं।
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस-बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला
छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी ही मुख्य प्रतिद्वंद्वी हैं। आम आदमी पार्टी यहां अन्य किसी दल के प्रभावी नहीं होने के कारण अपने लिए जमीन तलाश रही है। आम आदमी पार्टी ने राज्य में अपनी पार्टी को बड़ा आधार देने के लिए आंतरिक क्षेत्रों में एनजीओ के कार्यकताओं को अपने से जोड़ने का अभियान तेज किया है। इसके साथ ही उसने राज्य में अपनी कार्यकारिणी समिति का विस्तार किया है और उसमें उन लोगों को लिया है जो सामाजिक रूप से सक्रिय रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ में चुनाव के लिए भ्रष्टाचार को अपना मुख्य मुद्दा बनाने की घोषणा की है। दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी के कई केंद्रीय नेता भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार हैं। और तो और उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष भी भ्रष्टाचार के आरोप से नहीं बचे हैं। इस सिलसिले में यह बात ध्यान में बनी हुई है कि राज्य में ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स के छापों का दौर चल रहा है जिसके मुख्य लक्ष्य कांग्रेस के नेता और सरकारी अफसर हैं। यह आशंका है कि अगले कुछ माहों में इन छापों का कोई बड़ा प्रभाव सामने आ सकता है जो कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हो।
फिलहाल आगे नजर आ रही कांग्रेस
इस समय छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार में कांग्रेस और बीजेपी बराबर से जोर अजमा रहे हैं, लेकिन अभी कांग्रेस आगे नजर आ रही है। 10 बिंदुओं के स्केल में कांग्रेस 5.25 और बीजेपी 4.75 बिंदुओं पर खड़ी नजर आ रही है।