BILASPUR. बीजेपी के प्रदेश प्रभारी ओम माथुर रविवार, 8 जनवरी को बिलासपुर प्रवास पर रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि पार्टी की रीति-नीति रही है कि संसदीय बोर्ड तय करता है कि चुनाव मुख्यमंत्री का चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा जाए या बिना चेहरे के। इसलिए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के दौरान भी संसदीय बोर्ड ही यह तय करेगा। कुछ इसी तरह की बात आरक्षण को लेकर प्रदेश में चल रहे विवाद पर कही। उन्होंने कहा कि मामला राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव का नहीं, बल्कि कानूनी और तकनीकी मामला है। संगठनात्मक बैठक के सिलसिले में बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर एक दिवसीय प्रवास पर बिलासपुर आए थे। बैठक के बाद उन्होंने भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से चर्चा की। जब उनसे पूछा गया कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी किसके चेहरे को आगे रखकर विधानसभा चुनाव लड़ेगी। तब उन्होंने इसे बीजेपी की रीति-नीति से जोड़ते हुए अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पार्टी का संसदीय बोर्ड ही यह तय करता है कि पार्टी किसी नेता के चेहरे को सामने रखकर चुनाव लड़ेगी या फिर बिना चेहरे के चुनाव मैदान में उतरेगी।
कार्यकर्ताओं से चर्चा करना व व्यवस्था बनाना मेरे प्रवास का उद्देश्य
छत्तीसगढ़ के लिए भी यही बात लागू हो रही है जैसा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केरल समेत कुछ अन्य राज्यों में अपनाया गया था। वहां पार्टी ने किसी नेता के चेहरे को आगे नहीं किया और अधिकांश में सफलता भी मिली। अब आगे भी संसदीय बोर्ड जो तय करेगा, उसी के मुताबिक छत्तीसगढ़ में भी आगे बढ़ेंगे। बिलासपुर प्रवास को उन्होंने संगठन के विषयों से जुड़ा बताया। उन्होंने कहा कि प्रदेश प्रभारी के रूप में कामकाज संभालने के बाद सभी जिलों में प्रवास करना और कार्यकर्ताओं से चर्चा करना व संगठन के मुताबिक व्यवस्था बनाना ही उनके आने का एकमात्र उद्देश्य है।
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ये लोकतंत्र है, जहां कोई किसी से नहीं डरता है
जब उनसे पूछा गया कि राज्य में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार ने जिस तरह से कामकाज का उदाहरण पेश किया है, उससे पार्टी में डर तो नहीं है। इस सवाल पर ओम माथुर तल्ख हो गए। उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र है, जहां कोई किसी से नहीं डरता है। हमारी पार्टी कार्यकर्ताओं की है। उनके दम पर ही हम चुनाव लड़ते हैं और उनके दम पर ही 15 वर्षों तक बहुमत बनाया। अब भी उन्हीं पर भरोसा है और इस बार भी वे हमारे विश्वास पर खरा उतरेंगे, ऐसी उम्मीद है।
आरक्षण का मामला पूर्णत: तकनीकी
जब बीजेपी प्रदेश प्रभारी ओम माथुर से पूछा गया कि आरक्षण को लेकर जो मामला चल रहा है, तो क्या ये राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच टकराव की स्थिति नहीं है। उन्होंने इसे टकराव मानने से साफ इनकार कर दिया। कहा कि ये तो पूरी तरह तकनीकी मामला है। इस पर पार्टी का कोई स्टैंड नहीं है। इस बारे में स्वयं राज्य सरकार को सोचना चाहिए।