नारायणपुर में BJP जांच कमेटी को पुलिस ने घटनास्थल जाने से रोका, पार्टी बोली- प्रदेश में आपातकाल, आदिवासियों के लिए हर जुल्म सहेंगे

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Yagyawalkya Mishra
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नारायणपुर में BJP जांच कमेटी को पुलिस ने घटनास्थल जाने से रोका, पार्टी बोली- प्रदेश में आपातकाल, आदिवासियों के लिए हर जुल्म सहेंगे

Raipur. नारायणपुर में ईसाई मिशनरियों के द्वारा किए जा रहे लगातार धर्मांतरण पर भड़के आदिवासियों का आक्रोश कम नहीं हुआ है। 3 जनवरी को हिंसक झड़प को नियंत्रित करने की कोशिश में एसपी समेत पुलिस टीम घायल हो गई थी। इस मामले में बीजेपी ने जांच दल नारायणपुर भेजा था, जिसमें दो विधायक और दो सांसद सहित 6 लोग शामिल थे। प्रशासन ने नारायणपुर से कुछ किलोमीटर पहले इस दल को बेनूर थाने पर रोक लिया था। बीजेपी के जांच दल में शामिल विधायक शिवरतन शर्मा ने आरोप लगाया है कि उनके जाँच दल के सदस्यों को धारा 151 में गिरफ्तार कर रोका गया और बाद में छोड़ा गया। वहीं, सांसद संतोष पांडेय ने कहा है कि ऐहतियातन रोका गया था, हमने इसका विरोध किया। आदिवासी वर्ग हमें रोकते देख उद्वेलित था, हम लोग देर रात वापस आ गए।



बीजेपी बोली- लड़ेंगे आर पार की लड़ाई



बीजेपी ने इस मसले को लेकर आक्रामक तेवर अपनाए हैं। जाँच दल के सदस्यों जिसमें दो विधायक और दो सांसद शामिल थे, उन्हें पीड़ितों से मिलने से रोके जाने और थाने में बैठाए जाने का आरोप लगाते हुए बीजेपी ने इसे आपातकाल करार दिया है। बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता अजय चंद्राकर ने मीडिया को जारी बयान में कहा-



“बीजेपी आदिवासियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेगी,आदिवासियों की संस्कृति को बचाने के लिए सरकार के जितने जुल्म हों, भाजपा सहन करने तैयार है। बीजेपी आर-पार की लड़ाई लड़ेगी, कहीं पर भी सरकार का मुक़ाबला करने से नहीं चुकेंगी और ज़बरदस्ती धर्मांतरण नहीं होने देगी।”



 जांच दल का आरोप- मिशनरियों की ओर से हमला और लगातार उकसावा 



जांच दल का ये भी आरोप है कि पूरे घटनाक्रम के लिए मिशनरीज की ओर से लगातार धर्मांतरण और आदिवासियों पर किया गया हमला जवाबदेह है। यह घटनाएं लगातार बस्तर में हो रही है और आदिवासियों में बेहद आक्रोश है। जांच दल सदस्य शिवरतन शर्मा ने द सूत्र को फोन पर बताया-



“पूरे इलाक़े में धर्मांतरण की घटनाओं में बेहद तेज़ी है। आदिवासियों पर हमले भी किए जा रहे हैं। अपनी संस्कृति विरासत और जीवन पद्धति के प्रति संवेदनशील आदिवासी समाज की नाराज़गी लगातार बढ़ रही है क्योंकि उन आदिवासियों का यही प्रश्न है कि, जब उनकी जीवन पद्धति संस्कृति पर हमला हो रहा है और वे शिकायत करते हैं तो कार्यवाही नहीं होती है। लेकिन जब आदिवासी वर्ग दृढ़ता से खड़ा होता है तो पूरा प्रशासन उन आदिवासियों के खिलाफ हो जाता है। कल हुई घटना में हिंसक हमले की शुरुआत मिशनरियों ने की, प्रशासन ने कोई कार्यवाही मिशनरियों पर नहीं की, जिसकी प्रतिक्रिया हुई।”



सांसद संतोष पांडेय ने कहा



“लगातार धर्मांतरण की घटनाएं हो रही हैं, जिससे समूचा बस्तर सुलग रहा है। हालिया घटना के लिए मिशनरी जवाबदेह हैं,वे भय और प्रलोभन के जरिए धर्मांतरण कर रहे हैं,जिस घटना में आदिवासियाें को आरोपी बताया जा रहा है, उस घटना की शुरूआत मिशनरियाें ने की थी।उन्होने आदिवासियाें को मारा, जिसके बाद उनपर कार्रवाई नहीं हुई।”



नारायणपुर में स्थिति तनावपूर्ण, लेकिन नियंत्रित



पथराव में घायल हुए एसपी सदानंद कुमार ख़तरे से बाहर हैं, बल्कि वे ड्यूटी पर भी तैनात हैं। उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान जबकि कप्तान सदानंद घायल हुए उन्होंने तब भी पुलिस बल को संयम नहीं खोने दिया और आदिवासियों को तितर-बितर करा दिया। नारायणपुर इलाक़े में व्यापक पुलिस बल तैनात है और हालात तेज़ी से सामान्य हों इसकी क़वायद में प्रशासन जुटा हुआ है।


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