केंद्रीय नेतृत्व के दो टूक निर्देश- 2023 लक्ष्य है,अब कार्य पर जुटें नतीजा लाएं

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Yagyawalkya Mishra
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केंद्रीय नेतृत्व के दो टूक निर्देश- 2023 लक्ष्य है,अब कार्य पर जुटें नतीजा लाएं


New Delhi।शाम के क़रीब चार बजे 6A दीनदयाल उपाध्याय मार्ग याने भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव ( संगठन ),राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश,छत्तीसगढ़ भाजपा संगठन प्रभारी डी पुरंदेश्वरी, सह प्रभारी नितिन नबीन की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में वह बैठक शुरु हुई जिसमें छत्तीसगढ़ से संगठन प्रभारी पवन साय, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय और नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की उपस्थिति थी।यही वो बैठक थी जिसे लेकर दिन भर प्रदेश में भाजपा के भीतर तमाम चर्चाओं का बाज़ार गर्म रहा। लेकिन बैठक को लेकर जो ब्यौरा बाहर आया है उससे उन चर्चाओं को फ़िलहाल तो वैसा संबल मिलता नहीं दिखता जैसी कि चर्चाएँ दिन भर तैरती रहीं। यह बैठक लक्ष्य 2023 के लिए थी, और तीन बिंदुओं पर केंद्रित थी, जिस के ब्लू प्रिंट पर क़रीब तीन घंटे के आसपास चर्चा हुई है।




   हालिया बरस में जिन राज्यों में चुनाव हैं या कि चुनावी काउंट डाउन शुरु है उनमें छत्तीसगढ़ भी है, ऐसे पाँच राज्यों के चुनिंदा चेहरों को केंद्रीय संगठन ने तलब किया था,और चुनाव को लेकर तैयारियों को जाना समझा और जहां जरुरत पड़ी वहाँ अपने तई निर्देश भी दिए हैं।तीन घंटे की मैराथन बैठक में केंद्रीय नेतृत्व ने जिन तीन विषयों पर सवाल को केंद्रित रखा उनमें पहला था संगठनात्मक कार्यक्रम,दूसरा था आंदोलनात्मक कार्यक्रम और तीसरा कि वातावरण का निर्माण कैसे हो। तीनों ही मसलों को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई, इसके साथ साथ केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी ओर से कार्ययोजना को और बेहतर बनाने के लिए क्या किया जाना चाहिए इसे लेकर बिंदुवार दिशानिर्देश दिए हैं।




    संगठनात्मक कार्यक्रम को लेकर जो रुपरेखा है उसमें शक्ति केंद्र से लेकर मतदान केंद्र तक पहुँच और कार्यकर्ताओं के बीच सतत संपर्क और उनमें ऊर्जा फूंकना तो है ही साथ ही साथ यह सुनिश्चित करना भी है कि हर मूलाधार कार्यकर्ता को पुनः पूरी तरह सक्रिय किया जाए। केंद्रीय नेतृत्व संगठनात्मक कार्यक्रम के ज़रिए उन जगहों पर नज़र रखेगा जहां से उसे कठोर मगर सुनिश्चित कार्यवाही करनी आवश्यक हो। आंदोलन को लेकर प्रस्तुत ब्यौरे में पूरी आक्रामकता के साथ जिसमें जनता की सहभागिता भले वैचारिक हो उसे किए जाने के निर्देश भी मिले हैं। वातावरण बनाने का सीधा अर्थ है कि भाजपा अपने कार्यकर्ताओं के ज़रिए मतदाताओं तक पहुँचेगी और ये बहुत संभव है आंदोलन के कई बिंदु उन मतदाताओं से सीधे जुड़े हुए हों।केंद्रीय नेतृत्व ने इस विस्तृत संवाद में जो बातें कही हैं उसका सार यदि समझा जाए तो बस यह है कि, योजना नहीं अब कार्य पर जुटें,और अगली समीक्षा में नतीजाें से संतुष्ट करें।




इस बैठक में शामिल नामों को लेकर छत्तीसगढ़ में जो भी विरोध के सुर हों फ़िलहाल तो यह तय है कि केंद्रीय नेतृत्व को अब भी भरोसा इन्हीं चारों पर है कि वैतरणी पार करने का भरोसा इसी टीम पर है, लेकिन यहाँ यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि, यह भाजपा है जो कौन सा बल्ब कब बदल दे, इसका पता आख़िरी वक्त तक  ना निकलने वाले बल्ब को लगता है और ना ही लगने वाले बल्ब को। चुनाव में अभी देरी है, अभी बहुत कुछ होने की संभावनाएँ पूरी तरह जीवित हैं, क्योंकि जो ब्लू प्रिंट बताया गया और जैसे क्रियान्वयन का दावा किया गया साथ ही जो निर्देश मिले हैं, उन पर समीक्षा का अवसर जल्द आएगा।





 


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