याज्ञवल्क्य मिश्रा, Raipur. छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल अनुसुइया उईके के 10 प्रश्नों के जवाब राज्य सरकार ने भेज दिए हैं। सीएम भूपेश बघेल ने जानकारी देते हुए कहा कि, अब हस्ताक्षर में देर नहीं होनी चाहिए। इधर राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार अब तक कोई जवाब पहुंचा नहीं है।
क्या मसला है
छत्तीसगढ़ में आरक्षण विधेयक पर गतिरोध है। 50% से अधिक आरक्षण वाली व्यवस्था को प्रभावी करने वाले डॉ. रमन सिंह सरकार के अध्यादेश को हाईकोर्ट ने विधि विरुद्ध बताते हुए ख़ारिज कर दिया था। इस आदेश के विरोध में आदिवासी समाज के प्रतिनिधि सुप्रीम कोर्ट चले गए, जहां हाईकोर्ट के आदेश पर स्टे देने से सुप्रीम कोर्ट ने इंकार कर दिया। लेकिन याचिका स्वीकार कर ली। इस याचिका पर राज्य सरकार को जवाब देना है। इस बीच जबकि हाईकोर्ट के फ़ैसले को ढाई महीने का समय बीत चुका था, आदिवासी सीट भानुप्रतापपुर में उप चुनाव होने के करीब एक सप्ताह पहले विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर भूपेश सरकार ने नया आरक्षण विधेयक पारित कर दिया। आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर के संकल्प के बिना पारित करा दिया गया कि इसे नवमीं अनुसूची में जोड़ा जाए। यह संकल्प इसलिए पारित किया गया ताकि भूपेश सरकार ने जो नया आरक्षण विधेयक पारित किया है जिसमें आरक्षण 76 फ़ीसदी को पार कर रहा है, उसे संरक्षण मिल सके। लेकिन यह संकल्प प्रश्नांकित है क्यों कि विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर नहीं थे और यह कानून बना ही नहीं था। दो दिसंबर को भूपेश सरकार ने इसे पारित किया और उसी शाम मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सदस्यों ने राज्यपाल को हाथों-हाथ यह विधेयक हस्ताक्षर के लिए दिया।
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राज्यपाल अनुसुइया उईके ने आवश्यक औपचारिकताओं का उल्लेख करते हुए तत्काल हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। करीब सात दिन बाद विधिक परामर्श का हवाला देते हुए राज्यपाल अनुसुइया उईके ने विधेयक को लेकर दस प्रश्न राज्य सरकार को भेजे और यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब तक इन प्रश्नों के जवाब नहीं मिलते, विधेयक पर विचार नहीं हो सकता। सीएम भूपेश बघेल ने राज्यपाल के द्वारा भेजी प्रश्नावली को गैर वाजिब करार देते हुए नाराजगी जताई और पहले राजभवन फिर बाद में राज्यपाल पर भी सीधी टिप्पणी करते हुए कहा-
“जाने किसका फोन आया या एकात्म परिसर के कौन सा पर्चा आया अब विधेयक पर हस्ताक्षर ही नहीं हो रहे हैं जबकि पहले यह राज्यपाल ने कहा था कि एक मिनट की देरी नहीं होगी तत्काल हस्ताक्षर करेंगी, जो प्रश्नों को वे पूछ रही हैं, यह व्यवस्था संविधान में नहीं है। जिसे विधानसभा पारित कर चुकी हो उस पर विभाग कैसे जवाब देंगे, लेकिन वे हठधर्मिता पर अड़ी हैं तो जवाब भेज देंगे।”
बेहद जटिल हैं राजभवन के प्रश्न
राजभवन ने जो दस प्रश्न तालिका राज्य सरकार को भेजी है। वह बेहद जटिल है और जानकारों के मुताबिक, इसका जवाब देना मुश्किल है। राजभवन ने यह पूछा है कि जब पचास फीसदी से उपर पर रोक है तो यह सत्तर फ़ीसदी को भी पार करने वाले विधेयक को पारित करने के लिए कौन सी विशेष परिस्थितियां थीं और इसका अध्ययन कब किया गया, उस अध्ययन दल की रिपोर्ट कहां हैं। राजभवन ने विभिन्न वर्गों को आरक्षण के प्रतिशत के लिए भी अध्ययन दल की रिपोर्ट मांगी है। राजभवन ने पिछड़े वर्ग की गिनती के लिए बने क्वांटेफाएबल डाटा आयोग की रिपोर्ट भी तलब की है, जिसके आधार पर पिछड़े वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था नए विधेयक में लागू की गई है। राज्यपाल ने यह प्रश्न भी किया है कि यदि इस विधेयक के विरोध में कोई कोर्ट ना जाए या गया तो इसके बचाव में सरकार की क्या रणनीति या कि तर्क है।
राज्यपाल बिलासपुर में हैं
सीएम बघेल ने 25 दिसंबर को यह बताया है कि राजभवन को दस प्रश्नों के जवाब भेज दिए गए हैं। इधर राज्यपाल अनुसुइया उईके बिलासपुर दौरे पर सुबह निकल गई हैं। राजभवन के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राजभवन में राज्य सरकार की ओर से दस प्रश्नों के जवाब पहुँचने की पुष्टि नहीं है। वैसे भी आज (25 दिसंबर) छुट्टी है तो राज्य सरकार द्वारा प्रेषित पत्र को लेकर जानकारी कल कार्यालयीन समय पर मिलने की बात कही गई है।